अक्टूबर का महीना खत्म होने वाला है और नवंबर के पहले दिन से ही देश में बैंक खातों से जुड़ा एक बड़ा बदलाव (1st November Rule Change) होने जा रहा है. वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को ये जानकारी साझा की गई है. नए बदलाव के तहत अब खाताधारक अपने बैंक अकाउंट में एक साथ चार नॉमिनी बना सकेंगे. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ये चेंज बैंकिंग सिस्टम में क्लेम सेटलमेंट में पारदर्शिता और इसे आसान बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
इस तरह चुन सकेंगे 4 नॉमिनी
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, नए प्रावधानों के तहत बैंक अकाउंट होल्डर को अपने खाते के लिए चार नॉमिनी चुनने की अनुमति होगी. ये नॉमिनी एक साथ या क्रमबद्ध तरीके से चुने जा सकेंगे. सीधे शब्दों में समझें, तो खाताधारक अपनी मर्जी से तय कर सकता है कि सभी नॉमिनी को एक साथ हिस्सा मिले या फिर अलग-अलग. क्रमिक नॉमिनी विकल्प का मतलब होता है कि पहले नॉमिनी की मृत्यु हो जाने पर दूसरा नॉमिनी, फिर तीसरा और फिर चौथा नॉमिनी क्लेम कर सकेगा.
पीटीआई के अनुसार बैंक खातों में नॉमिनी जोड़ने से जुड़े नियम में यह बदलाव बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत किया गया है. इसे 15 अप्रैल, 2025 को नोटिफाई किया गया था. यह भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई अधिनियम, 1934 और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 समेत प्रमुख वित्तीय कानूनों में 19 संशोधन पेश करता है.
लॉकर्स में नॉमिनी के लिए ये बदलाव
रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकरों या फिर सेफ डिपॉजिट में रखे गए सामानों के लिए सिर्फ क्रमिक नॉमिनेशन की अनुमति होगी. अकाउंट होल्डर इन मामलों में चार नॉमिनी चुनने की पूरी आजादी होगा और वह उनका हिस्सा तय कर सकेगा, जो कुल मिलाकर 100% होगा. नए सुधारों को लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा जल्द ही बैंकिंग कंपनी (नामांकन) नियम, 2025 को अधिसूचित करेगा.
बैंकिंग सेक्टर में ये बदलाव भी होंगे लागू
नॉमिनी जोड़ने के नियम के साथ ही 1 नवंबर से लागू होने वाले बदलावों के तहत पब्लिक सेक्टर बैंकों को भी कई नए अधिकार दिए जा रहे हैं. इनमें अब पीएसबी अपने उन शेयरों, ब्याज और बॉन्ड रिडेम्पशन की रकम को इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड में ट्रांसफर कर सकेंगे, जिनका कोई दावेदार नहीं है.
इसके अलावा सब्सटैंशियल इंटरेस्ट लिमिट को 1968 के बाद पहली बार 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया गया है. कोऑपरेटिव बैंकों में डायरेक्टर्स (चेयरपर्सन और पूर्णकालिक डायरेक्टर को छोड़कर) का कार्यकाल 8 से बढ़ाकर अब 10 साल कर दिया गया है.