PLI योजना का मकसद आईटी हार्डवेयर के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है. इससे देश में लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर इत्यादि के मैन्युफैक्चर सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश होने का अनुमान है. इसलिए सरकार ने योजना के तहत उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया है. इसमें पात्र कंपनियों को 4 वर्षों की अवधि के लिए भारत में निर्मित उत्पादों की कुल इंक्रीमेंटल सेल्स पर 4% तक प्रोत्साहन राशि मिलेगी.
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‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत सरकार का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है. वर्तमान में भारत में लैपटॉप और टैबलेट की मांग मुख्यतः आयात के माध्यम से पूरी की जाती है. वित्त वर्ष 2019-20 में यह क्रमशः 304.54 अरब रुपये 29.66 अरब रुपये थी. PLI योजना से सरकार को घरेलू स्तर पर आईटी हार्डवेयर में वैल्यू एडिशन 2025 तक 20 से 25 प्रतिशत होने की उम्मीद है.
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कैबिनेट के बयान के मुताबिक, PLI योजना से देश में अगले 4 साल में 3.26 लाख करोड़ रुपये मूल्य के उत्पादों का उत्पादन होने की उम्मीद है. साथ ही देश से 2.45 लाख करोड़ रुपये मूल्य की इन वस्तुओं का निर्यात होने की संभावना भी है.
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इस योजना से हालांकि सरकार के खजाने पर अगले 4 वर्षों में करीब 7,350 करोड़ रुपये का बोझ आने का अनुमान है. लेकिन उत्पादन और निर्यात बढ़ने से सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 15,760 करोड़ रुपये की आय भी होगी. योजना के तहत सरकार 7,325 करोड़ रुपये प्रोत्साहन पर और 25 करोड़ रुपये प्रशासनिक शुल्क के तौर पर खर्च करेगी.
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सरकार की इस योजना से लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी और सर्वर समेत आईटी हार्डवेयर निर्माण से जुडी 5 प्रमुख वैश्विक कंपनियों और 10 घरेलू कंपनियों को लाभ मिलने की संभावना है. दुनियाभर में आईटी हार्डवेयर के बाजार पर 6-7 कंपनियों का वर्चस्व है. जिनकी दुनिया के बाजार में लगभग 70% प्रतिशत हिस्सेदारी है. ऐसे में जरूरी है कि ये कंपनियां भारत में अपने कार्यों का विस्तार करें और इसे आईटी हार्डवेयर के निर्माण के लिए एक प्रमुख स्थान बनाएं. इससे इन कंपनियों के ‘मेड इन इंडिया’ लैपटॉप बाजार में उपलब्ध होंगे.
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सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक और हार्डवेयर उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उत्पादान आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी है. इससे इस क्षेत्र में तेजी से रोजगार पैदा होने की संभावना है. सरकार का अनुमान है कि अगले चार साल में इससे 1.80 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे.
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