कौन हैं कशिश चौधरी, जो बलूचिस्तान में बनीं असिस्टेंट कमिश्नर? 25 साल की हिंदू लड़की ने रचा इतिहास

पाकिस्तान के अशांत और संवेदनशील राज्य बलूचिस्तान से एक ऐतिहासिक खबर सामने आई है. यहां की 25 साल की हिंदू युवती कशिश चौधरी ने वो मुकाम हासिल किया है, जो आज तक अल्पसंख्यक समुदाय की किसी महिला को नहीं मिला. नॉशकी जैसे दूरदराज इलाके से ताल्लुक रखने वाली कशिश अब बलूचिस्तान की पहली हिंदू महिला असिस्टेंट कमिश्नर बन गई हैं. उन्होंने यह सफलता बलूचिस्तान लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा पास करके हासिल की है. यह न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पाकिस्तान में रह रहे तमाम अल्पसंख्यक समुदायों के लिए गर्व का पल है.

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बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती और अन्य अधिकारियों के साथ कशिश. (Image: X/@dpr_gob) बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती और अन्य अधिकारियों के साथ कशिश. (Image: X/@dpr_gob)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2025,
  • अपडेटेड 9:23 AM IST

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक हिंदू लड़की ने इतिहास रचते हुए असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर नियुक्ति पाई है. कशिश चौधरी 25 साल की हैं, जो बलूचिस्तान की पहली हिंदू महिला असिस्टेंट कमिश्नर बनी हैं. उनकी यह उपलब्धि न केवल पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए गर्व का विषय है, बल्कि वहां की हिंदू महिलाओं की शिक्षा और समाज में उनकी भागीदारी को लेकर एक संदेश है.

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एजेंसी के अनुसार, कशिश चौधरी का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के छगई जिले के नॉशकी शहर में हुआ था. यह इलाका बहुत ही पिछड़ा हुआ और सुदूर है, लेकिन कशिश ने यहां से निकलकर शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की एक नई मिसाल पेश की है. उन्होंने बलूचिस्तान पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की और असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर चयनित हुईं. कशिश की इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार को गर्वित किया, बल्कि पूरे प्रांत के लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनीं.

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कशिश चौधरी ने बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बगती से क्वेटा में मुलाकात के दौरान स्पष्ट किया कि वे महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों व प्रांत के समग्र विकास के लिए काम करेंगी. कशिश ने कहा कि उनकी प्राथमिकता महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें समान अधिकार दिलवाना रहेगा.

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उनकी इस सोच को बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने भी सराहा. मुख्यमंत्री बगती ने कशिश की सफलता को न केवल बलूचिस्तान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बताया और कहा कि जब अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य अपनी मेहनत से उच्च पदों तक पहुंचते हैं, तो यह पूरे राष्ट्र की जीत होती है.

कशिश की सफलता पर क्या बोले उनके पिता?

कशिश चौधरी की सफलता में उनके पिता गिरधारी लाल का अहम योगदान है. गिरधारी लाल, जो एक मिड-लेवल व्यापारी हैं, उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बेटी ने हमेशा से अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखा था, और आज वह इस सपने को पूरा करने में सफल हुई हैं. यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि मेरी बेटी ने अपनी मेहनत और समर्पण से असिस्टेंट कमिश्नर बनने का सपना साकार किया है.

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कशिश चौधरी की यह उपलब्धि पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं के लिए प्रेरणा है. पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की महिलाएं कई ऐसे क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ रही हैं, जो पारंपरिक रूप से पुरुषों के प्रभुत्व वाले माने जाते थे. एक और उदाहरण मनीश रोपेटा हैं, जो पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला पुलिस सुपरिटेंडेंट बनीं. उन्होंने कराची में पुलिस के उच्च पद पर कार्यभार संभाला है और वर्तमान में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं.

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इसी प्रकार, पुष्पा कुमारी कोहली, जो कराची में पुलिस सब इंस्पेक्टर हैं. उन्होंने सिंध पुलिस पब्लिक सर्विस परीक्षा में सफलता हासिल की और आज वह अपने कार्यक्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं.

कशिश चौधरी की उपलब्धि से बलूचिस्तान के अल्पसंख्यक समाज में नई उम्मीद जगी है. हिंदू समुदाय की महिलाएं अब सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी अपनी जगह बना रही हैं. कशिश के साथ-साथ पाकिस्तान में कई अन्य हिंदू लड़कियां भी अपने परिवारों के समर्थन से उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और प्रशासन, न्यायपालिका, और पुलिस जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

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