अमेरिका ने आखिरकार दो साल बाद भारत में अपने स्थायी राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एरिक गार्सेटी को भारत में अमेरिकी राजदूत नियुक्त किया है. लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी को जो बाइडेन का वफादार माना जााता है.
नौ साल तक लॉस एंजिल्स का मेयर रह चुके एरिक गार्सेटी का विवादों से पुराना नाता रहा है. साल 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने जब सीएए कानून बनाया था तो गार्सेटी ने इस पर चिंता जताई थी.
साल 2021 में गार्सेटी ने अमेरिकी कांग्रेस के ऊपरी सदन (सीनेट) को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर वह भारत में राजदूत नियुक्त होते हैं तो वह CAA के संबंध में कथित मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाएंगे.
गार्सेटी के राजदूत नियुक्त होने की घोषणा के बाद से गार्सेटी का वह वीडियो वायरल हो रहा है. क्लिप के सामने आने के बाद से लोग गार्सेटी और बाइडेन सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
कौन हैं एरिक गार्सेटी?
गार्सेटी की वेबसाइट के अनुसार, 52 वर्षीय गार्सेटी सैन फर्नांडो की घाटी में पले बढ़े और कोलंबिया विश्वविद्यालय से बीए और एमए हैं. इसके अलावा उन्होंने ऑक्सफोर्ड और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में रोड्स स्कॉलर के रूप में अध्ययन किए हैं और ऑक्सिडेंटल कॉलेज और यूएससी में पढ़ा चुके हैं. वेबसाइट के अनुसार, वह 12 साल तक अमेरिकी नौसेना रिजर्व में एक अधिकारी भी रह चुके हैं.
गार्सेटी 2013 में लॉस एंजिल्स के मेयर चुने गए. पिछले 100 साल के इतिहास में गार्सेटी सबसे कम उम्र के मेयर बने. वहीं, मेयर की कुर्सी संभालने वाले पहले यहूदी व्यक्ति थे. लॉस एंजिल्स को 2028 के ओलंपिक शहर के रूप में चुने जाने के रूप में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है.
आलोचना के शिकार होते रहे हैं एरिक गार्सेटी
लॉस एंजिल्स में घर संकट को लेकर उनकी आलोचना की जाती रही है. इसके अलावा जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस को बचाने के आह्वान के साथ बीच का रास्ता निकालने के उनके प्रयासों के लिए वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों ने उनकी आलोचना की थी.
गार्सेटी के कार्यकाल के दौरान नगर परिषद में भ्रष्टाचार के कई आरोपों उन पर लगे. हालांकि, उनके लिए सबसे बड़ा झटका तब लगा जब एक ऑफिस स्टाफ के खिलाफ यौन दुराचार का आरोप लगा. इसमें गार्सेटी पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने ऑफिस स्टाफ पर सही तरीके से कार्रवाई नहीं की.
गार्सेटी का हो रहा है विरोध
गार्सेटी की नियुक्ति पर भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और अन्य पर्यवेक्षक भी सवाल उठा रहे हैं. वेटर्न और माउंटेन ब्रिगेड के पूर्व कमांडर और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के पूर्व फोर्स कमांडर ब्रिगेडियर वी महालिंगम ने गार्सेटी की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, "सवाल यह है कि क्या हमें देश में उनकी (एरिक गार्सेटी) की जरूरत है? यदि नहीं तो उन्हें क्यों स्वीकार करें?"
भारतीय सेना के स्पेशल फोर्स के रिटार्यर्ड लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश कटोच ने भी एरिक गार्सेटी की नियुक्ति पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका पश्चिम एशिया और दक्षिण और लैटिन अमेरिका में की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को गिराने की साजिश रचने के लिए जिम्मेदार है.
कॉलेमनिस्ट राकेश कुमार सिम्हा ने भी गार्सेटी की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एरिक गार्सेटी भारत एक राजदूत के रूप में नहीं, बल्कि एक एक्टिविस्ट के रूप में आ रहे हैं.
एरिक गार्सेटी के पूर्व संचार निदेशक, नाओमी सेलिगमैन ने सीएनएन से बात करते हुए कहा, "यौन उत्पीड़न प्रकरण के बाद गार्सेटी राजदूत बनने के योग्य नहीं हैं. राजदूत ही नहीं, बल्कि इस देश या दुनिया में कहीं भी सार्वजनिक पद संभालने के योग्य नहीं हैं."
1/2. Eric Garcetti, US Amb designate to India at the Senate Foreign Relations Committee during his confirmation hearing says he would bring up human rights & discrimination via the Citizenship Amendment Act (CAA) as a “core” piece of his engagement rather than as an obligation.
— Brig V Mahalingam (@BrigMahalingam) March 9, 2023विवादों से पुराना नाता
विवादों के कारण ही भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में नाम की घोषणा होने के बाद लगभग ढाई साल बाद एरिक गार्सेटी अपना पदभार संभालेंगे. अमेरिका और भारत के राजनयिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दो साल से ज्यादा समय तक भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं है.
दरअसल, गार्सेटी को बाइडेन सरकार ने जुलाई 2021 में ही भारत में राजदूत के रूप नामित किया था. सीनेट समिति ने भी जनवरी 2022 में सीनेट के नाम की मंजूरी दे दी थी. लेकिन कुछ सांसदों ने गार्सेटी पर आरोप लगाया कि मेयर कार्यकाल के दौरान उनके स्टाफ सदस्य के ऊपर लगे यौन उत्पीड़न पर उन्होंने सही से कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद गार्सेटी की नियुक्ति रोक दी गई थी.
aajtak.in