पाकिस्तान ने कहां छुपा रखे हैं अपने परमाणु हथियार? सैटेलाइट तस्वीरों से हो गया खुलासा

पाकिस्तान के पास भले ही खाने के लिए न हो लेकिन वह तेजी से अपने परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहा है चाहे वो परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने की बात हो या फिर उन्हें लॉन्च करने में इस्तेमाल होने वाले लॉन्चरों की. पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों के संबंध में बेहद सीमित जानकारी साझा की लेकिन एक रिपोर्ट में उसके परमाणु हथियारों को लेकर कई बातों का खुलासा हुआ है.

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पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के संबंध में बड़ी जानकारी हाथ लगी है (brookings institutions) पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के संबंध में बड़ी जानकारी हाथ लगी है (brookings institutions)

बिदिशा साहा

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST

'अगर भारत परमाणु बम बनाता है तो हम भले ही घास-पत्ते खा लेंगे, भूखे भी रह जाएंगे लेकिन अपना परमाणु बम जरूर बनाएंगे', पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने साल 1965 में अपने शासनकाल में परमाणु बम बनाने का ऐलान किया था. लेकिन इस सपने के साकार होने में तीन दशक से अधिक का समय लग गया और दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक, पाकिस्तान के लिए चोरी और जासूसी का एक गुप्त नेटवर्क आखिरकार उस बम को बनाने में कामयाब रहा.

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भू-राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था में, पाकिस्तान एक वास्तविक परमाणु शक्ति संपन्न देश है जिसने परमाणु अप्रसार संधि ढांचे के बाहर अपना परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है. इसके लिए उसने 'भीख मांगो, उधार लो, या चोरी करो', फिर भी परमाणु बम बनाओ का रास्ता अपनााया.

परमाणु हथियारों के प्रसार के एक प्रमुख विशेषज्ञ गैरी मिलहोलिन का कहना है कि चीन की मदद के बिना पाकिस्तान के परमाणु बम का अस्तित्व नहीं होता.

11 सितंबर को परमाणु वैज्ञानिकों के बुलेटिन में '2023 पाकिस्तान न्यूक्लियर हैंडबुक' शीर्षक से प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट का मानना ​​है कि पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियारों का भंडार है. पाकिस्तान ने अपने परमाणु बमों के निर्माण और रखरखाव को लेकर सार्वजनिक रूप से बेहद सीमित जानकारी दी है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स में परमाणु सूचना प्रोजेक्ट के रिसर्चर एलियाना जोन्स और मैट कोर्डा वैज्ञानिक ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की अधिक जानकारी हासिल करने के लिए सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की है.

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पाकिस्तान के परमाणु की रूपरेखा को समझने के लिए इंडिया टुडे OSINT टीम ने हैंडबुक के लेखक और परमाणु सूचना प्रोजेक्ट के वरिष्ठ शोधकर्ता मैट कोर्डा से बात की. 

भारत पाकिस्तान के परमाणु भंडार लगभग एक बराबर लेकिन....

उन्होंने कहा, 'हमारा अनुमान है कि भारत और पाकिस्तान के पास लगभग समान मात्रा में परमाणु भंडार है, लेकिन उनकी स्थिति काफी अलग है. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की स्थिति ऐसी रखी है जिससे वो किसी संघर्ष की शुरुआत में उसे इस्तेमाल कर सके जबकि भारत ने अपने परमाणु हथियारों की स्थिति ऐसी रखी है कि वो उसे पाकिस्तान और चीन दोनों के खिलाफ इस्तेमाल कर सके.'

कोर्डा आगे कहते हैं, 'यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में दोनों देशों का परमाणु भंडार कितना बढ़ेगा. हालांकि, हम यह जरूर कह सकते हैं कि इससे दक्षिण एशिया में परमाणु से जुड़े खतरे बढ़ रहे हैं. दोनों देश न केवल अपनी परमाणु तैयारी बढ़ा रहे हैं, बल्कि वे ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जो संघर्ष के समय परमाणु हथियारों को अधिक तेजी से लॉन्च कर सके. भारत और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक स्थिरता तेजी से नाजुक होती जा रही है.'

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के कहुटा और गडवाल में परमाणु बम की सामग्री के उत्पादन के लिए बनाए जा रहे प्लांट्स पूरे होने वाले हैं. ऐसा लगता है कि वो सभी प्लांट्स यूरेनियम संवर्धन प्लांट्स हैं.

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रिपोर्ट में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में खुशाब से लगभग 33 किलोमीटर दक्षिण में खुशाब कॉम्प्लेक्स में नए बनाए गए चार हैवी वाटर प्लूटोनियम उत्पादन रिएक्टरों (जो पाकिस्तानी परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम बनाते हैं) की भी पहचान की गई है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि इस्लामाबाद के पूर्व में निलोर और चश्मा कॉम्प्लेक्स में न्यू लैब्स रीप्रोसेसिंग प्लांट का विस्तार हुआ है. यह प्लांट इस्तेमाल कर लिए गए ईंधन को रीप्रोसेस करता है और प्लूटोनियम निकालता है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जून में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके अनुसार, पाकिस्तान और चीन 1,200 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए 4.8 अरब डॉलर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था.

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि इस्लामाबाद के पश्चिम में काला चित्त दाहर पर्वत में पाकिस्तान अपने परमाणु मिसाइलों और उनके मोबाइल लॉन्चरों का विस्तार कर रहा है. इसके साथ ही पाकिस्तान पर्वत के पश्चिमी हिस्से (जहां वो मिसाइल बनाता है और उनका परीक्षण करता है) और पूर्वी हिस्से (फतेह जंग के उत्तर में, जहां वो परमाणु मिसाइलों को रखता है) उनका भी विस्तार कर रहा है. 

इसके लिए पाकिस्तान ने रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TELs), जो मिसाइलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और फायर करने के लिए इस्तेमाल होते हैं, उन्हें पूर्वी खंड में तैनात किया है.

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सैटेलाइट तस्वीरों से बड़ा खुलासा

सैटेलाइट तस्वीरों में विभिन्न प्रकार की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के लिए रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर भी दिखाई दे रहा है. इस साल जून में, पाकिस्तान ने अपने रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर को प्रदर्शित किया था. पाकिस्तान ने दिखाया था कि इसके जरिए नस्र, शाहीन-आईए बैलिस्टिक मिसाइलों और बाबर क्रूज मिसाइलों को लॉन्च किया जा सकता है.

अमेरिकी रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों से हासिल जानकारी के आधार पर लिखा गया है कि पिछले 10 सालों से फतेह का काफी विस्तार हुआ है और अब भी पाकिस्तान इसके विस्तार में लगा हुआ है. इस इलाके में रॉकेट लॉन्चरों को एक साथ रखने के लिए नई इमारतें बनाई गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉन्चर उत्पादन के लिए तरवाना और तक्षशिला के पास प्लांट्स विकसित की गई होंगी.

पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों के उत्पादन के संबंध में बेहद सीमित जानकारी दी है लेकिन विशेषज्ञ लंबे समय से अनुमान लगाते रहे हैं कि इस्लामाबाद के उत्तर-पश्चिम में वाह के पास स्थित Pakistan Ordnance Factories इस संबंध में बेहद अहम हैं. इन कारखानों में से एक बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच छह बंकरों से घिरा हुआ है.

अपने परमाणु बमों को कहां रखता है पाकिस्तान?

परमाणु बमों की तैनाती में पाकिस्तान के मिराज III और मिराज V लड़ाकू स्क्वाड्रन सबसे अधिक सक्षम हैं. पाकिस्तानी वायु सेना के मिराज लड़ाकू बमवर्षक दो ठिकानों पर रखे गए हैं- मसरूर एयर बेस और रफीकी एयर बेस.

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कराची के बाहर मसरूर एयर बेस में 32वां विंग है जिसमें तीन मिराज स्क्वाड्रन हैं- 7वां स्क्वाड्रन (बैंडिट्स), 8वां स्क्वाड्रन (हैडर्स), और 22वां स्क्वाड्रन (गाजी). 

यह भी कहा जाता है कि पाकिस्तान के संभावित परमाणु हथियारों की सूची बेस से पांच किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में रखी गई हैं. उस इलाके में पाकिस्तान ने कई अंडरग्राउंड फैसिलिटीज बना रखी हैं जो संभावित रूप से परमाणु हमले मिशन के लिए डिजाइन की गई हैं. इसमें भूमिगत हथियार-हैंडलिंग क्षमता वाला एक संभावित अलर्ट हैंगर शामिल है.

दूसरा मिराज बेस शोरकोट के पास रफीकी एयर बेस है जहां 34वां विंग है. इस विंग में दो मिराज स्क्वाड्रनों की तैनाती की गई: 15वां स्क्वाड्रन (कोबरा) और 27वां स्क्वाड्रन (जर्रास). कहा जाता है कि पाकिस्तान ने मार्च 2023 में 12 जेएफ-17 ब्लॉक III विमानों के पहले बैच को 16वें (ब्लैक पैंथर्स) स्क्वाड्रन में शामिल किया था.

अमेरिका के साथ पाकिस्तान के एक समझौते के तहत पाकिस्तान परमाणु हथियार ले जाने के लिए पाकिस्तानी वायु सेना के पुराने F-16 विमानों में संशोधन नहीं कर सकता. हालांकि, कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तान ने ऐसे संशोधन करने का सोचा होगा. 

F-16A/B विमान मुशफ (पूर्व में सरगोधा) एयर बेस पर तैनात हैं, जो उत्तरपूर्वी पाकिस्तान में लाहौर से लगभग 160 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित है और 38वें विंग के अधिकार क्षेत्र में आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई युद्ध शुरू होता है तो पाकिस्तान उन्हें सरगोधा हथियार भंडारण परिसर में रख सकता है जो एयर बेस से लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण में है.

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नए F-16C/D विमान उत्तरी पाकिस्तान में जैकोबाबाद के बाहर स्थित शाहबाज एयर बेस पर तैनात हैं, और 39वें विंग के दायरे में आते हैं. सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ F-16 विमान इस्लामाबाद के उत्तर-पश्चिम में मिन्हास (कामरा) एयर बेस पर भी दिखाई दे रहे हैं. 

पाकिस्तान के पास परमाणु क्षमता वाली कितने बैलेस्टिक मिसाइल सिस्टम?

पाकिस्तान के पास वर्तमान में परमाणु क्षमता से युक्त 6 बैलेस्टिक मिसाइल सिस्टम ऑपरेशनल हैं. इनमें छोटी दूरी की मारक क्षमता वाली अब्दाली(हत्फ-2), गजनवी (हफ्त-3), शाहीन-1/A (हत्फ-4) और नस्र (हत्फ-9) हैं, मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली गौरी (हत्फ-5) और शाहीन-2 (हत्फ-6) शामिल हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान दो अलग परमाणु क्षमता वाले बैलेस्टिक सिस्टम पर काम कर रहा है- मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली शाहीन-3 और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रिएंट्री वीकल अबाबील.

सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि पाकिस्तान के पास कम से कम पांच मिसाइल बेस हैं जो पाकिस्तान की न्यूक्लियर फोर्स में अहम भूमिका निभा सकते हैं-

आर्को चौकी- यह बेस भारत के बॉर्डर से करीब 145 किमी की दूरी पर स्थित है. सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि यहां के टीईएल गैराज के नीचे एक अंडरग्राउंड फैसिलिटी का भी निर्माण किया जा रहा है.

गुजरांवाला चौकी: गुजरांवाला चौकी पाकिस्तान के सबसे बड़े सैन्य परिसरों में से एक है जो भारत की सीमा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सैटेलाइट तस्वीरों में कई ट्रक देखे जा सकते हैं जो नस्र नामक कम दूरी की मिसाइल प्रणाली से काफी मिलते जुलते हैं. 

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खुजदार चौकी: यह भारतीय सीमा से सबसे दूर स्थित है. इसके दक्षिणी सेक्शन ने 2017 के अंत में तीन अतिरिक्त रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर के गैरेज को शामिल करने के लिए अपना विस्तार किया था जिसके बाद अब यहां छह रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर रखे जा सकते हैं. इस सेक्शन में दो बहुमंजिला हथियार-हैंडलिंग इमारतें भी हैं.

पानो अकील चौकी: पानो अकील चौकी सिंध प्रांत के उत्तरी भाग में भारतीय सीमा से केवल 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. माना जाता है कि यहां 50 रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर रखे गए हैं. हालांकि, इनमें से कुछ गैराजों में सहायक वाहन भी रखे जाने की संभावना है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि इस चौकी पर बाबर और शाहीन-I मिसाइलों सहित बड़ी संख्या में रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर रखे गए हैं.

सरगोधा चौकी: किराना हिल्स में स्थित सरगोधा चौकी को 1983 से 1990 तक परमाणु के विकास के लिए पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया था. इस चौकी में 10 रोड-मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर और दो अन्य वाहनों के रखरखाव के लिए गैरेज हैं. इस गैरेज के पूर्व में पहाड़ में एक अंडरग्राउंड भंडारण सुविधा भी बनाई गई है.

पाकिस्तान जमीन और समुद्र से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों पर भी तेजी से काम कर रहा है जिसमें बाबर (हफ्त-7) भी शामिल है. सबसोनिक और डुअल मिसाइल वाली क्रूज मिसाइल बाबर, अमेरिकी टॉमहॉक, चीनी डीएच-10 और रूसी एस-15 क्रूज मिसाइल्स से मिलती-जुलती दिखती है. पाकिस्तानी सरकार के मुताबिक, बाबर बड़ी सटीकता से अपने टारगेट को भेदता है और इसकी लड़ाकू क्षमता गजब की है.

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