ब्रेग्जिट से संकट में ब्रिटेन, गिर सकती है थेरेसा सरकार

Brexit Vote प्रधानमंत्री मे के इस डर का अंदाजा इसी से लगता है कि उन्होंने देश के एक प्रमुख अखबार में लेख लिखते हुए अपने सांसदों से प्रस्ताव पर समर्थन की अपील की थी.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:33 PM IST

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) के रिश्तों के लिए फैसले की घड़ी आ गई है. ईयू से अलग होने की कवायद में ब्रिटेन की संसद में प्रधानमंत्री थेरेसा मे के प्रस्ताव पर बहस और वोटिंग होनी है. थेरेसा मे का प्रस्ताव सदन में पारित होता है तो 29 मार्च को ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर संघ से बाहर निकल जाएगा. लेकिन प्रधानमंत्री का प्रस्ताव विफल हुआ तो उसके सामने बेहद कड़ी राजनीतिक चुनौती होगी जहां थेरेसा मे की सरकार गिरने से लेकर एक बार फिर नए सिरे से ईयू से बाहर निकलने की कवायद शुरू करनी होगी.

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फैसले की इस घड़ी में प्रधानमंत्री थेरेसा मे को डर है कि संसद में विपक्ष के साथ-साथ उनकी पार्टी के सदस्य उनका साथ छोड़ सकते हैं. इस डर के चलते मे ने बीते रविवार पार्टी के सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा था कि ब्रैक्जिट मामले में विफल होना 'लोकतंत्र के प्रति भरोसे का अनर्थकारी व अक्षम्य उल्लंघन होगा.'

प्रधानमंत्री मे के इस डर का अंदाजा इसी से लगता है कि उन्होंने देश के एक प्रमुख अखबार में लेख लिखते हुए अपने सांसदों से प्रस्ताव पर समर्थन की अपील की थी. मे ने अपने लेख में कहा है कि ब्रेक्जिट से संबंधित उनके प्रस्ताव पर संसद के निचले सदन में वोट डालना मौजूदा पीढ़ी का सबसे अहम फैसला होगा.

दरअसल प्रधानमंत्री मे को निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) में इस प्रस्ताव को जीतना बेहद जरूरी है क्योंकि यहां हार का सामना करने पर उन्हें सत्ता गंवाने के डर के साथ-साथ ईयू से अलग होने के लिए नए सिरे से कवायद करनी होगी. आर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि ब्रिटेन को बिना किसी समझौते के ईयू से बाहर निकलना पड़ा तो उसकी अर्थव्यवस्था को कभी न भरपाई होने वाली छति पहुंचने का डर है.

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गौरतलब है कि हार के डर से प्रधानमंत्री मे ने पिछले महीने संसद के निचले सदन में इस प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग को टाल दिया था. आज होने वाली इस मीटिंग में मे को विपक्ष और छोटे राजनीतिक दलों के साथ-साथ अपनी पार्टी के अधिकांश सांसदों के वोट को साधने की चुनौती है.

हाउस ऑफ कॉमन्स

थेरेसा मे के प्रस्ताव पर निचले सदन हाउस ऑफ कामन्स में बहस होगी. सदन में कुल 650 सांसद हैं और इनसे प्रस्ताव पारित कराने के लिए मे को कम से कम 318 सांसदों का वोट चाहिए. यह स्थिति तब है जब आइरिश नैशनलिस्ट सिन्न फेन पार्टी के 7 सदस्य संसद में न बैठें, सदन के 4 स्पीकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल न करें और वोटों को गिनने के लिए नियुक्त 4 सांसद अपने वोट को  न गिनें.

बहस का मुद्दा

ब्रिटिश संसद में मंगलवार शाम 7 बजे (जीएमटी) वोटिंग प्रक्रिया शुरू होगी. वोटिंग से पहले संसद में बहस का मुद्दा होगा कि क्या संसद ने ईयू से बाहर निकलने के सरकार के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. इसके साथ ही इस प्रस्ताव के साथ सरकार का एक राजनीतिक प्रस्ताव भी शामिल है जिसमें ईयू से बाहर निकलने के बाद ब्रिटेन का संघ के साथ लंबी अवधि में रिश्ते की अवधारणा दी गई है. गौरतलब है कि इस बहस के दौरान निचली सदन के सांसद सरकार के प्रस्ताव में संशोधन का प्रस्ताव भी ला सकते हैं.

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ब्रेक्जिट प्रस्ताव फेल हुआ तो थेरेसा मे के पास विकल्प

ब्रिटेन की थेरेसा मे सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि प्रस्ताव सदन में पारित नहीं हो पाने की स्थिति में भी वह बिना किसी समझौते के ही 29 मार्च को ईयू से बाहर निकल जाएगी. हालांकि ऐसी स्थिति में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होने की आशंका है और वैश्विक बाजार में उसकी साख कमजोर हो सकती है. वहीं संसद के नियम के मुताबिक यदि थेरेसा मे आज प्रस्ताव पारित कराने में विफल होती हैं तो उन्हें तीन दिन के अंदर अपने अगले कदम को बताते हुए नया प्रस्ताव लेकर आने की जरूरत है. वहीं दिसंबर में लाए गए विश्वास प्रस्ताव में थेरेसा मे के खिलाफ कुल 317 वोट पड़े थे जिसमें उनकी पार्टी के 117 सांसद भी शामिल थे. ऐसी स्थिति में ब्रक्जिट प्रस्ताव पर हार मिलने के बाद उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा.

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