बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के पोस्टर्स पर 17 वर्षों तक उनका चेहरा दिखता रहा. ढाका से लेकर देश के दूर-दराज इलाकों तक रैलियों में अगर वह खुद नहीं पहुंच पाते थे तो उनकी रिकॉर्डेड आवाज गूंजती थी. यहां बात हो रही है बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और कभी देश की राजनीति के ‘डार्क प्रिंस’ कहे जाने वाले तारिक रहमान की, जो लगभग दो दशक बाद ढाका लौट आए हैं.
BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान अपनी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी, बैरिस्टर जाइमा के साथ ढाका पहुंचे हैं. ढाका पहुंचते ही उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि 6,314 दिनों के बाद बांग्लादेश में. यह हिंसा से जूझ रहे बांग्लादेश और BNP के लिए एक निर्णायक क्षण है. उनकी यह वापसी फरवरी में होने वाले अहम आम चुनावों से ठीक पहले हुई है, ऐसे चुनाव जो भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं.
भारत के लिए तारिक रहमान की वापसी खास मायने रखती है, खासकर ऐसे समय में जब भारत समर्थक अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोका जा चुका है और खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं.
यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब बांग्लादेश एक चौराहे पर खड़ा है. अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी इस्लामी तत्व खुलेआम सक्रिय हैं और भारत विरोधी जहर फैला रहे हैं. भारत की सबसे बड़ी चिंता जमात-ए-इस्लामी को लेकर है, जिसे पाकिस्तान की ISI का मोहरा माना जाता है. शेख हसीना सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई यह पार्टी, पिछले साल उनकी सत्ता से विदाई के बाद दोबारा राजनीति में पैर जमा चुकी है.
हालिया जनमत सर्वेक्षण में संकेत मिले हैं कि जहां तारिक रहमान की BNP को सबसे अधिक सीटें मिलने की संभावना है, वहीं कभी उसकी सहयोगी रही जमात अब उसकी एड़ी पर सांस ले रही है. भारत की चिंता तब और बढ़ गई जब ढाका विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में जमात की छात्र इकाई ने चौंकाने वाली जीत दर्ज की.
ऐसे हालात में, भारत की नजर में BNP को अपेक्षाकृत अधिक उदार और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, भले ही दोनों के बीच रिश्ते ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हों. भारत को उम्मीद है कि तारिक रहमान की वापसी से पार्टी कैडर में जान आएगी और बीएनपी अगली सरकार बनाएगी.
भारत के लिए यह अच्छी खबर क्यों हैं?
इस बीच, छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) ने आरोप लगाया है कि BNP अवामी लीग के नेताओं को अपने दल में शामिल कर रही है. शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश ने भारत के साथ करीबी रिश्ते बनाए रखे और चीन के साथ संतुलन साधा. पाकिस्तान से उन्होंने स्पष्ट दूरी बनाए रखी. लेकिन यूनुस सरकार के तहत हालात पूरी तरह पलट गए हैं, बांग्लादेश भारत से दूरी बनाकर पाकिस्तान के करीब जाने की कोशिश करता दिख रहा है.
भारत को उम्मीद है कि अगर BNP सत्ता में आती है तो बांग्लादेश की विदेश नीति में फिर बदलाव होगा. हाल के दिनों में भारत और BNP के बीच रिश्तों को रीसेट करने के संकेत भी मिले हैं. एक दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से खालिदा ज़िया की गंभीर हालत पर चिंता जताई और भारत की ओर से मदद की पेशकश की. इसके जवाब में BNP ने आभार जताया. वर्षों से चले आ रहे तल्ख रिश्तों के बीच यह एक दुर्लभ और अहम राजनीतिक संकेत माना गया.
भारत के लिए राहत की बात यह है कि तारिक रहमान के यूनुस सरकार से मतभेद रहे हैं. उन्होंने अंतरिम सरकार के अधिकारों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उसे दीर्घकालिक विदेश नीति तय करने का जनादेश नहीं है. उन्होंने जमात-ए-इस्लामी की आलोचना की है और चुनाव में उसके साथ गठबंधन से इनकार किया है.
इस साल की शुरुआत में तारिक रहमान ने ‘बांग्लादेश फर्स्ट’ नामक विदेश नीति का खाका पेश किया, जो डोनाल्ड ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे से प्रेरित बताया गया. उन्होंने कहा था, न दिल्ली, न पिंडी, बांग्लादेश सबसे पहले. इस बयान के जरिए उन्होंने साफ कर दिया कि BNP न तो रावलपिंडी और न ही दिल्ली के ज्यादा करीब जाने की नीति अपनाएगी.
लोकतंत्र के पैरोकार के रूप में खुद को स्थापित कर चुके तारिक रहमान ढाका भारी जनसमर्थन के साथ पहुंचे. एयरपोर्ट से अपने आवास तक निकाले गए रोड शो में करीब 50 लाख पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए. तारिक रहमान के बोगुड़ा-6 (सदर) सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है.
इंडिया टुडे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कट्टरपंथी तत्व इस शक्ति प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. चुनाव से पहले BNP और जमात के बीच टकराव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. गुरुवार के लिए सरकार ने सुरक्षा के सबसे कड़े इंतजाम किए थे. स्थानीय मीडिया के अनुसार, करीब 10 विशेष ट्रेनों से 3 लाख से ज्यादा BNP समर्थक ढाका पहुंचे. पार्टी ने इसे अभूतपूर्व जनसभा बताया. रॉयटर्स के हवाले से BNP के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी ने कहा कि यह एक निर्णायक राजनीतिक क्षण है.
तारिक रहमान कौन हैं?
तारिक रहमान, पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बेटे हैं. वे 2008 से लंदन में रह रहे थे और वहीं से BNP का नेतृत्व कर रहे थे. शेख हसीना शासनकाल में उन पर कई मामलों में सजा सुनाई गई थी, जिन्हें BNP राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताता रहा है.
2007 में उन्हें एक भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया गया. हिरासत के दौरान उनके गंभीर रूप से बीमार होने और यातना दिए जाने के आरोप लगे. अगले साल उन्हें ज़मानत मिली और इलाज के लिए लंदन जाने की अनुमति दी गई, तब से वे वहीं रह रहे थे. उन्हें 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले मामले में गैरहाजिरी में सजा सुनाई गई थी। इस हमले में अवामी लीग की रैली को निशाना बनाया गया था, जिसमें 24 लोगों की मौत हुई थी. शेख हसीना बाल-बाल बची थीं.
2008 में ढाका ट्रिब्यून अखबार ने 2001-2006 के BNP शासनकाल में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं पर रिपोर्टों की एक श्रृंखला प्रकाशित की थी. इन्हीं रिपोर्टों में तारिक रहमान को डार्क प्रिंस कहा गया.
हालांकि, पिछले एक साल में अदालतों ने उन्हें सभी बड़े मामलों में बरी कर दिया है, जिनमें 2004 का ग्रेनेड हमला मामला भी शामिल है. तारिक रहमान की वापसी BNP के लिए संजीवनी साबित हो सकती है, लेकिन उनके सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. शेख हसीना के पतन के बाद BNP में संभावित टूट को उन्होंने रोक जरूर लिया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या वे पार्टी को पूरी तरह एकजुट कर पाएंगे और हिंसा व आंदोलनों से टूट चुके देश के युवाओं को अपने पक्ष में ला पाएंगे. भारत इन घटनाक्रमों पर करीबी नज़र बनाए हुए है.
aajtak.in