मलेरिया से बचाव को लेकर अफ्रीका में शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी मिली है. एक ऐसी दवा का ट्रायल किया गया है, जो एक बार लेने पर छह महीने तक मलेरिया से बचाव करता है. छोटी अवधि के लिए यह एंटीबॉडी दवा काफी कारगर मानी जा रही है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ क्लिनिकल ट्रायल की स्टडी में पता चला है कि इस एंटीबॉडी दवा की एक खुराक छह महीनों तक मलेरिया नहीं होने देगी.
यह एंटीबॉडी 24 हफ्ते की इस अवधि के दौरान मलेरिया से बचाव के लिए 88.2 फीसदी प्रभावी है. यह स्टडी द न्यू इंग्लैंड जर्नल में प्रकाशित की गई और सिएटल में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन 2022 की सालाना बैठक में पेश की गई.
यह स्टडी माली के बामको की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज, टेक्नीक्स एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के शिक्षक डॉ. कसूम कायेंताओ की अगुवाई में की गई. इस दौरान अफ्रीका के कालिफाबोगू और टोरोडो गांवों में ट्रायल किए गए. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस एंटीबॉडी से सभी लोगों की सुरक्षा नहीं होगी.
उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान ड्रिप के जरिए लोगों को यह एंटीबॉडी दी गई. हालांकि यह तरीका मुश्किल है, क्योंकि इस तरीके से बड़ी आबादी को दवा नहीं दी जा सकती. लेकिन इससे मिले नतीजे उत्साहजनक रहे हैं. इसलिए इसे वयस्कों के अलावा बच्चों पर भी टेस्ट किया जा रहा है.
एंटीबॉडी कैसे करती है काम?
स्टडी में कहा गया कि यह एंटीबॉडी अलग तरीके से काम करती है. इसके जरिए मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से मनुष्य के शरीर में पहुंचने वाले परजीवियों के साइकिल को तोड़ा जाता है. ये एंटीबॉडीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों के लीवर तक पहुंचने वाले अविकसित परजीवियों को निशाना बनाते हैं.
रिसर्च में शामिल माली के 330 वयस्कों में से कुछ को एंटीबॉडीज की अलग-अलग मात्रा में खुराक दी गई. 24 हफ्तों तक हर दो हफ्ते में इन लोगों की मलेरिया की जांच हुई, जो बीमार हुआ, उसका इलाज किया गया.
स्टडी के नतीजों से पता चलता है कि इस दवा से कई महीनों तक मलेरिया से बचा जा सकता है. रिपोर्ट कहती है कि इस दवा को उसी तरह इस्तेमाल करने का विचार है, जैसे मलेरिया से बचने के लिए अन्य उपाय उपयोग किए जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2020 में दुनियाभर में मलेरिया के 24 करोड़ मामले होने थे. इस दौरान अकेले अफ्रीकी देशों में ही मलेरिया से 6.27 लाख मौतें हुई थीं.
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