'धरती पर हर कोई मिट्टी को बचाने के पक्ष में', दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर बोले सद्गुरु

मिट्टी को बचाने के लिए लंबी यात्रा पर निकले सद्गुरु ने खराब हो चुकी जमीन को एक बार फिर काम में लेने के लिए अपने 'वन बिल्डिंग सिटी' के विचार रखे. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में उन्होंने कहा कि मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने के लिए कई जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. 

Advertisement
स्प्रिचुअल गुरु सदगुरु (फाइल फोटो) स्प्रिचुअल गुरु सदगुरु (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2022,
  • अपडेटेड 10:21 PM IST

धरती पर कोई ऐसा नहीं है जो मिट्टी में जैविक तत्व को बढ़ाने के खिलाफ है, न तो उर्वरक उद्योग, न ही कीटनाशक उद्योग... हर कोई इसके पक्ष में है क्योंकि समृद्ध मिट्टी ही हमारे समृद्ध जीवन की बुनियाद है. स्वस्थ मिट्टी और स्वस्थ जीवन जटिलता से जुड़े हुए हैं. ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक सद्गुरु ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच 2022 में 'शहरों का भविष्य' कार्यक्रम में ये बातें कहीं.

Advertisement

कार्यक्रम में भाग ले रहे 150 देशों के प्रतिनिधियों से एक अपील में सद्गुरु ने मिट्टी के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता के बारे में बात की. उन्होंने शहरों की ओर पलायन कम करने और धरती की दीर्घकालिक खुशहाली को सुनिश्चित करने के लिए इसे किसानों के लिए लाभकारी बनाने पर जोर दिया, ताकि खाद्य सुरक्षा के हित में वे अपनी जमीनों पर खेती करते रहें.

 

सद्गुरु ने कार्यक्रम में खराब हो चुकी जमीन को एक बार फिर काम में लेने के लिए अपने 'वन बिल्डिंग सिटी' के विचार रखे. उन्होंने कहा कि बिल्डरों को शहरों में भीड़ कम करने के लिए बाहरी इलाकों में जाने और उसे आंशिक रूप से इंसानी निवास के लिए विकसित करने को कहा, जहां पर्याप्त जमीन है. 

उन्होंने 50 एकड़ जमीन पर एक एकड़ में घर बनाने का प्रस्ताव रखा. सदगुरु ने कहा कि आप 50 से 100 मंजिल तक बना सकते हैं, बाकी 49 एकड़ पूरी तरह से इको-फ्रेंडली जंगल होगा और पर्याप्त खेती होगी. अगर आप चाहें, तो आप उस समुदाय की जरूरत के लिए पर्याप्त फल और सब्जी उगा सकते हैं. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि इस शहर में 10,000 लोग तक रह सकते हैं; हम इसे 10,000 पर सीमित कर सकते हैं. सदगुरु ने आगे कहा कि 1 करोड़ आबादी वाला शहर बड़ा एक झमेला है.

 

सद्गुरु ने कहा कि दुनिया का 72 प्रतिशत निवेश बस 31 शहरों में है. इससे शहरी केंद्र लोगों के वहां जाने के लिए चुंबक का काम करते हैं और उसे ज्यादा से ज्यादा बेतरतीब और बेतुका बनाते हैं. इस दौरान उन्होंने निवेश को मौजूदा भीड़ भरे शहरी केंद्रों से हटाने, और ग्रामीण इलाकों के शहरीकरण करने को कहा.

पैनेल में दूसरे वक्ताओं में, पास्ताज़ा, इक्वाडोर में किचवा सारायाकू समुदाय की इक्वाडोर की पर्यावरण और मानवाधिकार एक्टिविस्ट, हेलेना गुआलिंगा और खुशहाली और मानवता पर शोध के लिए एनजीओ, चोपड़ा फाउण्डेशन के संस्थापक डॉ. दीपक चोपड़ा शामिल थे.

बता दें कि सद्गुरु आजकल मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए ग्लोबल सहमति पर जोर देने के लिए 100 दिन की 30,000 किलोमीटर की मोटरसाइकिल यात्रा पर हैं, जो यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व से होकर गुजरेगी. दावोस में बोलने के तुरंत बाद मध्य-पूर्व में अपनी यात्रा को जारी रखने के लिए सद्गुरु चल दिए. वे बुधवार को ओमान में प्रवेश करेंगे.
 

सद्गुरु ने 21 मार्च को लंदन से अपनी यात्रा शुरू की थी और अपनी यात्रा के 65वें दिन तक दुनिया भर में 467 कार्यक्रम कर चुके हैं. इससे दुनिया भर के राजनीतिक, बिज़नेस और सांस्कृतिक नेता मिट्टी बचाने के लिए एक आवाज में बोलने के लिए साथ आए हैं. आज तक 72 देशों ने अभियान का समर्थन किया है और वे मिट्टी बचाने के लिए उचित कदम उठाने को राजी हैं.

Advertisement

मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के लिए उनका वैश्विक अभियान ऐसे मौके पर आया है जब दुनिया भर में उपजाऊ मिट्टी तेजी से खराब हो रही है, जिससे वैश्विक खाद्य और जल सुरक्षा को स्पष्ट वर्तमान खतरा है. वहीं संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि मिट्टी खराब होने की मौजूदा दर से धरती का 90 प्रतिशत 2050 तक, अब से तीन दशक से भी कम समय में रेगिस्तान में बदल जाएगा. 
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement