युद्ध में अमेरिकी मदद... जानें यूक्रेन और इजरायल को मिल रहे सपोर्ट में कितना अंतर

यूक्रेन और इजरायल के लिए अमेरिका की मदद में काफी अंतर है. अमेरिका यूक्रेन में सावधानी से मदद कर रहा है और नाटो के साथ मिलकर काम कर रहा है, जबकि इजरायल को दी जाने वाली मदद एक मजबूत द्विदलीय समर्थन पर आधारित है, जो इसकी भू-राजनीतिक अहमियत को दर्शाता है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायल PM बेंजामिन नेतन्याहू. (फाइल फोटो: रॉयटर्स) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायल PM बेंजामिन नेतन्याहू. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

यूक्रेन और इजरायल अलग-अलग मोर्चों पर वार की चपेट में हैं और इन दोनों देशों के बीच झूल रहा है अमेरिका. कारण साफ है. दोनों देशों के ऊपर अमेरिका का हाथ है और दोनों ही देश रणभूमि में डंटे रहने के लिए अमेरिकी मदद पर काफी हद तक निर्भर हैं. युद्ध के बीच यूक्रेन और इजरायल को मिल रही अमेरिकी मदद में काफी फर्क देखने को मिल रहा है.

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इसका कारण है दोनों देशों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राजनीतिक रिश्ते, और उनकी रणनीतिक जरूरतें. वैसे तो अमेरिका दोनों का साथी है, लेकिन मदद करने का तरीका, लोगों की सोच और हालात को संभालने का तरीका अलग है. तो आइए जानते हैं आखिर दोनों देशों के मिल रही मदद में कैसा अंतर देखने को मिल रहा है.

नाटो के साथ मिलकर अमेरिका कर रहा है यूक्रेन की मदद 

यूक्रेन के युद्ध में अमेरिका ने काफी पैसे और हथियार भेजे हैं, लेकिन हमेशा सावधानी से. अमेरिका खुद सीधे युद्ध में शामिल नहीं हुआ है. इसके बजाय उसने नाटो और आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए रूस का सामना किया है और अभी तक तो ऐसा ही देखने को मिल रहा है.

सैन्य और आर्थिक मदद: अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को $113 बिलियन से ज्यादा की मदद दी है. जिसमें HIMARS और Javelin मिसाइलें शामिल हैं. लेकिन अमेरिका के कुछ नेता इसे अनिश्चितकाल तक जारी रखने पर सवाल उठा रहे हैं.

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बाइडेन और जेलेंस्की का रिश्ता: यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और बाइडेन के बीच अच्छे संबंध हैं. जेलेंस्की कहता है कि यूक्रेन की लड़ाई सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए है. इससे अमेरिका को यूरोप और नाटो से मदद जुटाने में आसानी होती है.

नाटो की भूमिका: अमेरिका ने यूक्रेन में अपने सैनिक नहीं भेजे हैं. नाटो को आगे रखते हुए वह संयम से काम ले रहा है, ताकि रूस भड़क न जाए. यह स्थिति मध्य पूर्व में उसकी सैन्य सक्रियता से अलग है.

पुरानी दोस्ती और इजरायल के लिए अमेरिका की मदद

अमेरिका और इजरायल का रिश्ता काफी पुराना और मजबूत है. इजरायल को अमेरिका का समर्थन रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों से मिलता है, जो इसे और खास बनाता है.

द्विदलीय समर्थन: अमेरिका में दोनों पार्टियां इजरायल के लिए एकजुट हैं, जबकि यूक्रेन के लिए मदद पर कुछ मतभेद हैं. वॉशिंगटन में इजरायल की मजबूत लॉबी भी इसके समर्थन को बढ़ावा देती है.

बाइडेन और नेतन्याहू का रिश्ता: बाइडेन और इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का रिश्ता ज्यादा जटिल है. नेतन्याहू की कुछ नीतियां, जैसे यहूदी बस्तियों पर बाइडेन के विचारों से मेल नहीं खातीं. इसके विपरीत जेलेंस्की अमेरिका की बात मानते हैं.

इजरायल की स्वायत्तता: इजरायल अपने फैसले खुद लेता है और कई बार अमेरिका से अलग होकर काम करता है. जैसे, नेतन्याहू ने ईरान पर बिना अमेरिका की अनुमति के हमले किए हैं. इससे साफ है कि इजरायल को अमेरिका से खास तरह की आजादी मिली हुई है.

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मध्य पूर्व बनाम यूरोप: सैन्य रणनीतियों में अंतर 

अमेरिका की यूक्रेन और इजरायल के लिए सैन्य मदद में सबसे बड़ा फर्क है. इसका सबसे प्रमुख कारण है उनकी उपस्थिति. यूक्रेन में अमेरिका सीधे युद्ध में शामिल नहीं हुआ है, सिर्फ हथियार और जानकारी भेजता है. लेकिन मध्य पूर्व में वह अपनी सैन्य ताकत तेजी से तैनात करता है.

मध्य पूर्व में सैन्य उपस्थिति: हाल ही में बढ़ते तनाव के चलते अमेरिका ने अपनी सेना भेजी, जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर. ये ईरान और हिज्बुल्लाह के लिए एक कड़ा संदेश है कि अमेरिका हस्तक्षेप के लिए तैयार है. वहीं, यूक्रेन में अमेरिका अपने सैनिकों को भेजने से बचता रहा है.

भू-राजनीतिक संदर्भ: शीत युद्ध vs मध्य पूर्व

यूक्रेन और इजरायल के युद्ध अलग-अलग भू-राजनीतिक हालात का नतीजा हैं. यूक्रेन में अमेरिका इसे रूस के प्रभाव को रोकने के तौर पर देखता है, जबकि इजरायल को वह मध्य पूर्व की अस्थिरता के बीच स्थिरता का प्रतीक मानता है.

यूक्रेन में शीत युद्ध का असर: अमेरिका यूक्रेन के समर्थन को शीत युद्ध के नजरिए से देखता है, जो रूस के आक्रमण को रोकने की पुरानी सोच से जुड़ी है. कुछ नेता इस पर सवाल उठाते हैं, लेकिन यह विचार आज भी जिंदा है.

मध्य पूर्व की अस्थिरता: अमेरिका का इजरायल के प्रति समर्थन उसकी रणनीतिक जरूरतों और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है. इजरायल को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका एक महत्वपूर्ण साथी मानता है.

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यूक्रेन और इजरायल के लिए अमेरिका की मदद को अलग-अलग संदर्भों में देखा जा सकता है. यूक्रेन में अमेरिका संयम से काम कर रहा है, जबकि इजरायल में वह अपनी सैन्य ताकत दिखाने से नहीं हिचकता. अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव काफी करीब है. ऐसे में ये विदेश नीति के मसले अमेरिका की भूमिका पर असर डालते रहेंगे.

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(अमेरिका से पत्रकार रोहित शर्मा के इनपुट के साथ)

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