पश्चिमी देशों की घेराबंदी से तिलमिलाए पुतिन का सबसे बड़ा फैसला, दुनिया पर क्या पड़ेगा असर?

यह बैन एक फरवरी 2023 से प्रभावी होगा. इस आदेश में कहा गया है कि यह एक फरवरी 2023 से प्रभावी होगा और एक जुलाई 2023 तक लागू रहेगा. इस महीने की शुरुआत में पुतिन ने संकेत दिए थे कि रूस तेल उत्पादन में कटौती कर सकता है और उन देशों को तेल नहीं बेचेगा, जिन्होंने उसके तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था. 

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व्लादिमीर पुतिन व्लादिमीर पुतिन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय यूनियन (ईयू) के देशों में तेल के निर्यात पर बैन लगाने के लिए एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए हैं. ईयू के उन देशों में तेल के निर्यात पर बैन लगाया गया है, जिन्होंने रूस के तेल प्राइस कैप लगा दिया था.

रूस की इस डिक्री के मुताबिक, यह बैन एक फरवरी 2023 से प्रभावी होगा. इस आदेश में कहा गया है कि यह एक फरवरी 2023 से प्रभावी होगा और एक जुलाई 2023 तक लागू रहेगा. 

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हालांकि, इस डिक्री में एक ऐसा क्लॉज है, जिसके तहत पुतिन को यह अधिकार दिया गया है कि वह विशेष मामलों में इस बैन को खारिज कर सकते हैं. 

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में पुतिन ने संकेत दिए थे कि रूस तेल उत्पादन में कटौती कर सकता है और उन देशों को तेल नहीं बेचेगा, जिन्होंने उसके तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था. 

मालूम हो कि यूरोपीय यूनियन ने पांच दिसंबर को रूस के क्रूड के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद G-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस के तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लगा दी थी. रूस के तेल पर यह प्राइस कैप लगाने के पीछे मंशा रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी चोट करने की थी.

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लेकिन इसका तोड़ निकालते हुए रूस ने अपना रुझान वैकल्पिक बाजारों विशेष रूप से एशिया की तरफ बढ़ा दिया है. रूस का लक्ष्य वैकल्पिक बाजारों के तौर पर एशिया को भुनाना और प्रतिदिन की दर से लगभग 10 लाख बैरल तेल बेचना है.

क्या है प्राइस कैप?

यूकेन पर हमले के बाद से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. ये प्रतिबंध मूल रूप से अमेरिका सहित कई बड़े पश्चिमी देशों ने लगाए हैं. इन प्रतिबंधों में प्राइस कैप भी है. प्राइस कैप के तहत रूस के तेल की कीमत का निर्धारण जी-7 देश करेंगे. रूस मौजूदा समय में अपनी कीमतों पर तेल बेच रहा है. लेकिन एक बार रूस के तेल पर प्राइस कैप लगने से स्थिति पहले जैसी नहीं रह जाएगी.

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