पाकिस्तान में सड़क पर खुलेआम सेना से होने लगी बंदूक-गोलों से लड़ाई, मचा हड़कंप

बलूचिस्तान के मंगूचार कलात में रातोंरात हिंसा भड़क उठी. 22 अक्टूबर की रात क्वेटा-कराची हाईवे पर पाकिस्तानी सेना और हथियारबंद उग्रवादियों के बीच तीखी झड़पें हुईं. ड्रोन से बम गिरने और गोलियों की तड़तड़ाहट ने इलाके को जंग का मैदान बना दिया. ये अशांति बलूच अलगाववादियों और तालिबान की बढ़ती बगावत का संकेत है जो पाकिस्तान को अस्थिरता की कगार पर ले जा रही है.

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बलूचिस्तान में बगावत की आग: सेना-उग्रवादियों की भिड़ंत, ड्रोन हमले (प्रतीकात्मक तस्वीर) बलूचिस्तान में बगावत की आग: सेना-उग्रवादियों की भिड़ंत, ड्रोन हमले (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

बलूचिस्तान के कलात जिले के मंगूचार इलाके में रात भर चली गोलीबारी और विस्फोटों ने एक बार फिर अंदरूनी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सोशल मीडिया और स्थानीय खबरों के अनुसार क्वेटा-कराची नेशनल हाईवे (एन-25) पर सड़क जाम के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और हथियारबंद विद्रोहियों के बीच भारी झड़पें हुईं. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस हमले से पाकिस्तानी सेना को नुकसान हुआ है. वहीं विद्रोहियों को कोई क्षति नहीं पहुंची. 

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यहां सेना ने क्वाडकॉप्टर्स (ड्रोन) का इस्तेमाल कर बम गिराए थे. फिलहाल अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. ये घटना बताती है कि बलूचिस्तान में किस तरह से अस्थिरता बढ़ रही है, जहां अलगाववादी समूहों की गतिविधियां तेज हो रही हैं.

ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) और X (पूर्व ट्विटर) पर वायरल पोस्ट्स के मुताबिक मंगूचार में करीब एक घंटे तक चेक पॉइंट्स लगाए गए थे. यहां देर रात अचानक भारी गोलीबारी और विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं, जिससे इलाके में दहशत फैल गई. ट्रैफिक पूरी तरह रुक गया और स्थानीय लोग घरों में छिप गए. ये हमला बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे संगठनों से जुड़ा माना जा रहा है, जो पाकिस्तानी सेना पर संसाधनों के शोषण का आरोप लगाते हुए स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं. हालांकि, पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग ISPR या दूसरे मीडिया सोर्सेज ने इस घटना को रिपोर्ट नहीं किया है.

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द‍िन पर दिन बिगड़ते बलूचिस्तान के हालात...

बता दें कि मंगूचार और कलात क्षेत्र बलूच विद्रोह का केंद्र रहा है. फरवरी 2025 में बीएलए ने इसी इलाके में सैन्य चौकियों पर हमला कर 18 फ्रंटियर कोर जवानों को मार गिराया था. मई 2025 में भी हाईवे ब्लॉकेज और सरकारी भवनों पर कब्जे की घटनाएं हुईं, जिसमें बीएलए ने 39 स्थानों पर हमलों का दावा किया. ये हमले क्षेत्र के खनिज संसाधनों के शोषण के खिलाफ हैं, जहां बलूच समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान केंद्र सरकार इनका फायदा उठा रही है.

अफगानिस्तान सीमा पर भी बढ़ रहा तनाव

इस घटना के बीच अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर भी तनाव चरम पर है. 22 अक्टूबर को दक्षिण वजीरिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़पें हुईं, जहां टीटीपी ने एक सैन्य चौकी पर हमला कर 25 सैनिकों की मौत का दावा किया. पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन हमलों का जवाब दिया.ये अफगान तालिबान के साथ चल रहे संघर्षों का हिस्सा है जहां अक्टूबर में काबुल और कंधार पर हवाई हमले हुए.

तालिबान से संघर्ष जारी

अक्टूबर 2025 में अफगान-पाकिस्तान सीमा पर सबसे घातक झड़पें हुईं. 9-12 अक्टूबर को पाकिस्तानी वायुसेना ने टीटीपी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसके जवाब में तालिबान ने चमन और स्पिन बोल्डाक पर पाकिस्तानी चौकियों पर हमला बोला. दोनों पक्षों ने दर्जनों सैनिकों की मौत का दावा किया. जहां पाकिस्तान ने 200 से ज्यादा तालिबान लड़ाकों को मार गिराने की बात कही, वहीं तालिबान ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत का दावा किया. 15 अक्टूबर की गोलीबारी में भी 12 नागरिकों के मरने और 100 के घायल होने की घटना रिपोर्ट हुई. 

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पीओके में भी विरोध जारी 

पाकिस्तान में हर तरफ विद्रोह जारी है. उधर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भी अक्टूबर की शुरुआत में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए. बिजली बिल वृद्धि, महंगाई और शोषण के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतरे. मुजफ्फराबाद, रावलकोट और मीरपुर में झड़पों में 12 नागरिक मारे गए. जॉइंट अवामी एक्शन कमिटी ने 38 मांगें रखीं, जिनमें से 21 पर 4 अक्टूबर को समझौता हुआ. प्रदर्शनकारियों ने स्वायत्तता की मांग की और इंटरनेट ब्लैकआउट के बावजूद आंदोलन फैला.ये घटनाएं पाकिस्तान की आर्थिक स्थ‍िति और सीमावर्ती स्थिरता की पोल खोलती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोह से क्षेत्रीय सुरक्षा खतरे में है. संयुक्त राष्ट्र ने भी संयम की अपील की है.

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