पाकिस्तान में कंगाली से अस्पतालों पर आफत, ऑपरेशन थिएटरों पर भी लग सकते हैं ताले!

पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते आवश्यक दवाओं और घरेलू उत्पादन में उपयोग की जाने वाली सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) का आयात नहीं किया जा रहा है. जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय दवा निर्माताओं को अपने उत्पादन को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान में हालात बदतर बने हुए हैं. रिपोर्ट्स के मुताकि, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर से भी नीचे पहुंच चुका है और इसमें लगातार गिरावट आ रही है. वहीं महंगाई की मार को देखें तो मुद्रास्फीति दर 40% के पार पहुंच चुकी है और लोगों की थाली से रोटी-दाल-चावल गायब होते जा रहे हैं. गैस से लेकर पेट्रोल-डीजल तक के दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं. इस सबके बीच अब पाकिस्तान में दवाओं का स्टॉक भी खत्म होता जा रहा है. जिसके चलते मरीजों को जरूरी दवाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है.

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इतना ही नहीं, अस्पतालों में सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाला एनेस्थेटिक्स (बेहोशी की दवा) का भी स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है. जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या आने वाले दिनों में ऑपरेशन थिएटरों में भी ताले लग जाएंगे?

न्यूज एजेंसी के मुताबिक पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. यही कारण है कि अब मरीज आवश्यक दवाओं के लिए भी जूझ रहे हैं. दरअसल, देश में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते आवश्यक दवाओं और घरेलू उत्पादन में उपयोग की जाने वाली सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) का आयात नहीं किया जा रहा है. जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय दवा निर्माताओं को अपने उत्पादन को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. और इसका खामियाजा अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण डॉक्टर भी सर्जरी नहीं कर पा रहे हैं.

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पाकिस्तान मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ऑपरेशन थिएटरों में दिल, कैंसर और किडनी सहित संवेदनशील सर्जरी के लिए आवश्यक एनेस्थेटिक्स का दो सप्ताह से भी कम का स्टॉक बचा है. माना जा रहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो पाकिस्तान के अस्पतालों में काम करने वालों की नौकरी जाएंगी. वहीं दवा निर्माताओं का दावा है कि वाणिज्यिक बैंक उनके आयात के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी नहीं कर रहा है, जिसके चलते स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में संकट पैदा हुआ है.

सरकार ने पैसे बचाने को उठाए ये कदम 

पाकिस्तान सरकार ने कॉस्ट कटिंग फॉर्मूला अपनाते हुए मंत्रियों और सलाहकारों से इकॉनोमी क्लास में यात्रा करने, लग्जरी कारों और वेतन भत्तों को छोड़ने का आदेश दिया है, इससे सरकार को 200 अरब रुपये सालाना की बचत होने का अनुमान है. इसके अलावा सरकारी कार्यालयों को खर्च में 15% की कमी करने का निर्देश भी दिया गया है. बीते दिनों IMF की शर्त मानते हुए देश में नया टैक्स थोपा गया है. इसके बाद कारों और घरेलू उपकरणों से लेकर चॉकलेट और ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक के आयात पर बिक्री कर 17% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है. बिजनेस क्लास हवाई यात्रा, शादी हॉल, मोबाइल फोन और धूप के चश्मे के लिए भी लोगों को ज्यादा पैसा खर्च करना होगा. वहीं सामान्य सेल्स टैक्स को 17% से बढ़ाकर 18% किया गया है.

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सैनिकों का हाल-बेहाल 

सरकार की ओर से देश का खजाना बचाने के लिए जो कम उठाए गए हैं, उनके आम जनता, सरकारी कर्मचारी से रईस लोगों से लेकर पाकिस्तान की सेना तक प्रभावित हुई है. देश की सेना आपूर्ति में कटौती के चलते कथित तौर पर मेस में भोजन की कमी का सामना कर रही है यानी सैनिकों को 'दो वक्त का खाना' भी ठीक से नहीं मिल रहा है. शहबाज शरीफ सरकार ने विदेशी मिशनों की संख्या में कटौती के साथ ही कार्यालयों और कर्मचारियों की संख्या घटाने के आदेश भी दिए हैं.

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