पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. पाकिस्तान की सेना ने बुधवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बाड़ लगाने को योजना के अनुसार पूरा किया जाएगा क्योंकि इस महत्वपूर्ण पहल में पाकिस्तानी शहीदों का खून शामिल है. पाकिस्तान की सेना का कहना है कि अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों के जाने के बाद सीमा पार से आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है और ऐसे में डूरंड रेखा पर बाड़ का काम पूरा करना जरूरी है.
पाकिस्तान के अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य सैन्य प्रवक्ता (DG ISPR) मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'बाड़ लगाने का उद्देश्य लोगों को बांटना नहीं बल्कि उनकी रक्षा करना है. यह काम सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए हो रहा है... इस पर काम जारी रहेगा और बाड़ यहीं रहेगी.'
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक की ये टिप्पणी तालिबान सैनिकों द्वारा पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बाड़ के कुछ हिस्सों को हटाने के बाद आई है. कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे थे जिनमें तालिबानी सेना पाकिस्तान के द्वारा लगाए गए बाड़ को उखाड़ते हुए दिखी थी.
इसके बाद अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता और कुछ अन्य तालिबान अधिकारियों ने कहा था कि पाकिस्तान से लगाई जा रही बाड़ अवैध है क्योंकि ये दोनों तरफ के ट्राइब्स को अलग करती है.
सीमा पर बाड़बंदी का काम लगभग पूरा
उसी दौरान पाकिस्तान के DG ISPR ने भी स्पष्ट किया था कि बाड़ लगाने का काम जारी रहेगा. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बाड़ लगाने का 94% पहले ही पूरा हो चुका है. उन्होंने जोर देकर कहा था कि तालिबान अधिकारियों के दावों के विपरीत, बाड़ लगाने का उद्देश्य लोगों की आवाजाही को विनियमित करना, व्यापार को सुविधाजनक बनाना और सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
मेजर जनरल इफ्तिखार ने कहा था कि ये घटनाएं स्थानीय स्तर की समस्याएं हैं और इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाया जाना चाहिए. उनका कहना था, 'मौजूदा अफगान सरकार के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं. हम एक-दूसरे को समझते हैं और विभिन्न मुद्दों पर बात करते रहते हैं जो सामने आते हैं. हमारे बीच कोई समस्या नहीं है. बाड़ लगाने का काम चल रहा है और जारी रहेगा.'
पाकिस्तान-अफगानिस्तान परदे के पीछे कर रहे बातचीत
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान सीमा पर तार लगाने में तालिबान की तरफ से रुकावट की घटनाओं से निपटने में अत्यधिक सावधानी बरत रहा है, क्योंकि अफगानिस्तान के भीतर और बाहर किसी भी गलत कदम का फायदा उठाया जा सकता है.
इस मुद्दे को अफगान तालिबान नेतृत्व के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया गया है. तालिबान सरकार ने भी राजनयिक माध्यम से इसका समाधान करने की इच्छा व्यक्त की है. परदे के पीछे के इन प्रयासों के बाद, अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को पाक-अफगान सीमा पर हाल की घटनाओं पर एक बयान जारी किया.
अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने कहा, 'हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड रेखा पर कुछ घटनाएं हुई हैं, इस समस्या के समाधान के लिए दोनों पक्षों के अधिकारियों को बातचीत की आवश्यकता है. अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात समझ, बातचीत और एक अच्छे पड़ोस की तरह समस्याओं को हल करने में विश्वास करता है. इस मुद्दे को राजनयिक वार्ता के माध्यम से हल किया जाएगा.'
डूरंड रेखा दोनों दोस्तों के बीच दरार पैदा कर रही
जहां तालिबान की सरकार पिछली अफगान सरकारों की तरह डूरंड रेखा को मान्यता नहीं देती, वहीं पाकिस्तान कहता रहा है कि ये सीमा अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. DG ISPR ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान डूरंड रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में मानता है. उन्होंने कहा, 'ये एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा है.'
सेना के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान-अफगान सीमा पर पाकिस्तान का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए उत्तरी वजीरिस्तान में एक अभियान चलाया गया था. उन्होंने कहा, 'इसी ऑपरेशन के परिणामस्वरूप, इस क्षेत्र में बाड़ लगाने की शुरुआत की गई.' उन्होंने कहा कि ये इलाका प्रतिकूल मौसम के कारण दुर्गम रहा है और इसका उपयोग सीमा पार करने के लिए आतंकवादियों द्वारा किया जा रहा था.
मेजर जनरल इफ्तिखार ने कहा कि अगस्त में अफगानिस्तान से विदेशी बलों की वापसी का पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर असर पड़ा है. उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन हम पूरी तरह से इस पर ध्यान दे रहे हैं और पश्चिमी सीमा पर ताड़बंदी का काम पूरा किया जाएगा.'
सीमा सुरक्षा मजबूत कर रहा पाकिस्तान
मेजर जनरल इफ्तिखार ने जानकारी दी कि पाकिस्तान ने पाकिस्तान-अफगान सीमा पर 1,200 से ज्यादा चेक पोस्ट बनाए हैं. सीमा के दूसरी ओर 377 चौकियां हैं. उन्होंने कहा, 'इसका मतलब है कि चेक पोस्ट के बीच कम से कम 7-8 किमी की दूरी है.' मेजर जनरल ने कहा कि चौकियों की कमी ने आतंकवादियों को रोकना चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
उन्होंने कहा, '2021 में 164 सीमा चौकियों का निर्माण किया गया था. पाक-अफगान सीमा और पाक-ईरान सीमा पर 31 सीमा चौकियां बनाई गई थीं. अब तक कुल 673 सीमा चौकियों का निर्माण किया गया है. पाकिस्तान ने सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एफसी बलूचिस्तान और एफसी खैबर-पख्तूनख्वा के 67 नए विंग स्थापित किए हैं, जबकि छह और विंग का गठन प्रक्रिया में है.'
अफगानिस्तान के बारे में बोलते हुए DG ISPR ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में मौजूदा स्थिति एक गंभीर मानवीय संकट पैदा कर सकती है जिसका पाकिस्तान और क्षेत्र की सुरक्षा और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा.
सीमा मुद्दे को लेकर पाक NSA भी जाने वाले थे अफगानिस्तान
सीमा विवाद को सुलझाने के मकसद से ही पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ हाल ही में अफगानिस्तान की यात्रा पर जाने वाले थे. लेकिन काबुल हवाई अड्डे पर पाकिस्तान के खिलाफ उनके दौरे को देखते हुए विरोध-प्रदर्शन आयोजित होने की खबरें आने लगीं जिसके बाद NSA ने अपना दौरा
रद्द कर दिया. हालांकि पाकिस्तान की तरफ से बताया गया कि खराब मौसम को देखते हुए दौरे को रद्द किया गया है.
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