'मैंने नहीं दिए गोली चलाने के आदेश, हिंसा के पीछे घुसपैठ...', नेपाल में Gen Z प्रोटेस्ट पर ओली का दावा

नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री ओली पिछले दस दिन से अंडरग्राउंड थे और उन्हें सेना के बैरक में सुरक्षित रखा गया था. लेकिन अब अंतरिम सरकार के गठन के बाद ओली पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए, जो एक किराए के घर में रह रहे हैं. नेपाल के संविधान दिवस के मौके पर उन्होंने देश की जनता के सामने सोशल मीडिया के जरिए अपना पक्ष रखा है.

Advertisement
ओली ने हिंसा के पीछ घुसपैठ और साजिश को बताया वजह (File Photo: AP) ओली ने हिंसा के पीछ घुसपैठ और साजिश को बताया वजह (File Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST

नेपाल में Gen Z आंदोलन की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को नौ सितंबर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. आठ सिंतबर को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुए युवाओं के प्रदर्शन ने एक देशव्यापी आंदोलन का रूप ले लिया और काठमांडू की सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. इस दौरान गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हो गई, जिसने Gen Z आंदोलन को भड़काने का काम किया. लेकिन अब हिंसा के दस दिन बाद ओली ने सरकार की तरफ से गोलीबारी के आदेश देने की बात से इनकार किया है.

Advertisement

'सरकार ने नहीं दिए फायरिंग के आदेश'

नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली शुक्रवार को हिंसा के बाद पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए. ओली ने नौ सितंबर को Gen-Z प्रोटेस्ट के बाद सेना के हेलिकॉप्टर से अपना आधिकारिक प्रधानमंत्री आवास छोड़ दिया था, जिसके बाद उन्हें सुरक्षा कारणों की वजह से शिवपुरी की सैन्य बैरक में रखा गया था. अब वह एक किराए के मकान में शिफ्ट हुए हैं, क्योंकि हिंसा के दौरान काठमांडू स्थित उनका निजी आवास और झापा में उनके पैतृक निवास में आगजनी हुई थी. 

ये भी पढ़ें: नेपाल में अब आगे क्या होगा? PM ओली के इस्तीफे से बढ़ा सस्पेंस, चीन की चुप्पी पर भी सवाल

ओली ने अब इस बात से इनकार किया है कि उनकी सरकार ने आठ सितंबर को आंदोलन के पहले दिन Gen Z विरोध प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी का आदेश दिया था. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ने इस संकट के लिए घुसपैठियों को दोषी ठहराया है. ओली ने देश के संविधान दिवस पर जारी एक संदेश में दावा किया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था. ओली ने दावा किया, 'प्रदर्शनकारियों पर ऑटोमेटिक बंदूकों से गोलियां चलाई गईं, जो पुलिसकर्मियों के पास नहीं थीं और इसकी जांच होनी चाहिए.'

Advertisement
काठमांडू की सड़कों पर हुए थे हिंसक प्रदर्शन (File Photo: AP)

'नेपाल हिंसा के पीछे घुसपैठिए'

उन्होंने दावा किया कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ की गई थी और घुसपैठ करने वाले साजिशकर्ताओं ने आंदोलन को हिंसक बना दिया, जिससे हमारे युवाओं की जान गई. ओली ने जानमाल के नुकसान पर दुख जताते हुए गोलीबारी की घटना की जांच कराने की मांग की है. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'मेरे पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह दरबार सचिवालय और सुप्रीम कोर्ट को आग लगा दी गई, नेपाल का नक्शा जला दिया गया और कई अहम सरकारी इमारतों को आग लगा दी गई.'

ये भी पढ़ें: 'इस्तीफा दो, तब ही मिलेगा हेलीकॉप्टर...', जब ओली ने मांगी मदद तो सेना प्रमुख ने रख दी शर्त

ओली ने कहा, 'मैं इन घटनाओं के पीछे की साजिशों के बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहता, समय खुद ही सब बता देगा.' उन्होंने संविधान लागू करते समय देश के सामने आई चुनौतियों को भी याद किया. उन्होंने कहा कि संविधान को सीमा की नाकाबंदी और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ चुनौतियों के बीच लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने के बाद उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाला ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए जा रहे थे ताकि नेपाल को कोई रोक न सके.

Advertisement

नेपाल की जनता से की अपील

उन्होंने कहा कि हमने उत्तरी पड़ोसी देश के साथ परिवहन समझौता भी किया था. हमने अपनी संप्रभुता की क्षमता का विस्तार किया था. हमने अपने विकास ढांचे की नींव रखी थी. लेकिन अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी. ओली ने कहा कि हमारी संप्रभुता पर हमले का सामना करने और हमारे संविधान की रक्षा करने के लिए नेपाल की सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा. 

ओली ने 9 सितंबर को पद छोड़ दिया था, जिसके तुरंत बाद सैकड़ों आंदोलनकारी उनके कार्यालय में घुस आए और 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग करने लगे. 8 और 9 सितंबर को भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान तीन पुलिसकर्मियों समेत 70 से ज्यादा लोगों की जान गई थी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement