म्यांमार में सैन्य सरकार ऐसे समय चुनाव करा रही है, जब देश गंभीर राजनीतिक और मानवीय संकट से गुजर रहा है. यह चुनाव 2021 के सैन्य तख्तापलट के करीब पांच साल बाद हो रहा है, लेकिन इसे लेकर देश और दुनिया में भारी संदेह जताया जा रहा है. बड़े राजनीतिक दलों को भंग कर दिया गया है, कई शीर्ष नेता जेल में बंद हैं और जारी गृहयुद्ध के चलते देश का बड़ा हिस्सा मतदान से बाहर रहने वाला है. यह चुनाव चरणबद्ध एक महीने चलेगा.
सैन्य शासन ने चरणबद्ध तरीके से मतदान कराने का फैसला किया है. अगले एक महीने में 330 में से केवल 274 टाउनशिप में वोटिंग होगी. बाकी इलाकों को अस्थिर बताकर चुनाव से बाहर रखा गया है. जानकारों का कहना है कि वास्तव में देश के लगभग आधे हिस्से में मतदान नहीं हो पाएगा. जहां वोटिंग होगी, वहां भी सभी सीटों पर चुनाव नहीं होंगे, जिससे मतदान प्रतिशत का अनुमान लगाना मुश्किल है.
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चुनाव से पहले सैन्य सरकार ने एक नया सख्त कानून लागू किया है, जिसके तहत चुनाव का विरोध करने या बाधा डालने पर कड़ी सजा, यहां तक कि मौत की सजा का भी प्रावधान है. अब तक 200 से ज्यादा लोगों पर इस कानून के तहत आरोप लगाए जा चुके हैं. मशहूर फिल्म निर्देशक माइक टी, अभिनेता क्यॉ विन हटुट और कॉमेडियन ओन डाइंग को चुनाव प्रचार से जुड़ी एक फिल्म की आलोचना करने पर सात साल की जेल की सजा दी गई है.
म्यांमार चुनाव के शेड्यूल
सेना द्वारा नियुक्त यूनियन इलेक्शन कमीशन (UEC) देश में चल रहे गृहयुद्ध के चलते चरणबद्ध तरीके से चुनाव करा रहा है.
पहला चरण: 28 दिसंबर 2025 को होगा. इसमें 102 टाउनशिप शामिल हैं, जिनमें राजधानी नेपीडॉ के साथ यांगून और मांडले जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं.
दूसरा चरण: 11 जनवरी 2026 को होगा. इस चरण में 100 टाउनशिप में मतदान कराया जाएगा.
तीसरा चरण: 25 जनवरी 2026 को होगा. इसमें 63 टाउनशिप शामिल होंगे.
अंतिम नतीजे: चुनाव के सभी नतीजे जनवरी 2026 के अंत तक घोषित किए जाने की उम्मीद है.
म्यांमार को लेकर क्या है यूनाइटेड नेशन की राय?
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने कहा है कि म्यांमार में अभिव्यक्ति की आजादी, संगठन बनाने और शांतिपूर्ण विरोध की कोई गुंजाइश नहीं बची है. उनका कहना है कि आम नागरिकों पर हर तरफ से दबाव डाला जा रहा है.
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देश में सेना कई मोर्चों पर लड़ रही है. एक तरफ तख्तापलट के विरोध में खड़े सशस्त्र समूह हैं, तो दूसरी ओर जातीय सशस्त्र संगठन. चीन और रूस के समर्थन से सेना ने हाल के महीनों में कुछ इलाके वापस लिए हैं, लेकिन हालात अब भी बेहद अस्थिर हैं.
आंग सान सू की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी सहित करीब 40 दलों पर प्रतिबंध है. सू की और उनकी पार्टी के कई नेता जेल में हैं या देश से बाहर हैं. पश्चिमी देशों और यूरोपीय संसद ने इस चुनाव को दिखावा करार दिया है, जबकि आसियान ने पहले राजनीतिक संवाद की मांग की है. इसके बावजूद सैन्य सरकार का कहना है कि वह देश को बहुदलीय लोकतंत्र की ओर ले जाना चाहती है.
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