चीन से अहम रक्षा समझौते के बाद अब मालदीव ने तुर्की से ड्रोन खरीदे हैं.. ये पहली बार है जब मालदीव ने अपनी सेना में इस तरह के ड्रोन शामिल किए हैं जो उसके विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) में गश्ती का काम करेंगे. मालदीव ने इससे कुछ दिन पहले ही चीन से मुफ्त में गैर घातक हथियार (टियर गैस के गोले, पेपर स्प्रे) के लिए एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
शनिवार को मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि मालदीव को तुर्की से ड्रोन मिल गए हैं. संभावना है कि मालदीव सरकार इस हफ्ते ड्रोन का संचालन शुरू कर देगी. रिपोर्ट में हालांकि, ड्रोन की सटीक संख्या के बारे में नहीं बताया गया. इसे लेकर मालदीव के रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय ने कोई आधिकारिक पुष्टि भी नहीं की है.
चीन समर्थक मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जनवरी में चीन से लौटने पर संकेत दिया था कि सरकार निगरानी के लिए ड्रोन खरीदने पर विचार कर रही है.
मालदीव के समाचार पोर्टल अधाधू ने मामले में शामिल एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा, 'देश के समुद्री क्षेत्र में गश्ती की खातिर ड्रोन खरीदने के लिए वर्तमान सरकार ने तुर्की की कंपनी के साथ एक डील की थी जिसके बाद अब पहली बार मालदीव में सैन्य ड्रोन लाए गए हैं. ड्रोन 3 मार्च को मालदीव पहुंचाए गए थे. उन्हें फिलहाल नूनू माफारू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रखा गया है.'
राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले विदेश दौरे में भारत के बजाए तुर्की गए थे मुइज्जू
मोहम्मद मुइज्जू नवंबर में राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद अपने पहले विदेश दौरे में तुर्की गए थे. मालदीव में दशकों से यह परंपरा चली आ रही है कि राष्ट्रपति अपने पहले विदेश दौरे में भारत आता है लेकिन मुइज्जू ने इस परंपरा को तोड़ते हुए तुर्की जाना चुना.
तुर्की की तरफ से मालदीव को जो ड्रोन मिले हैं, उनकी संख्या स्पष्ट नहीं है हालांकि, सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार इस हफ्ते ड्रोन का संचालन शुरू करने के लिए काम कर रही है.
रिपोर्ट में लिखा गया कि बीते बुधवार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसकी तरफ से सवाल किया गया था कि क्या मालदीव ऐसे ड्रोन संचालित कर सकता है.
समाचार पोर्टल ने लिखा, 'लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने सीधे तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काम जारी है.'
रिपोर्ट में आगे सोशल मीडिया पोस्ट्स के हवाले से दावा किया गया कि मालदीव को मिले ड्रोन और बाकी जरूरी उपकरण तुर्की की कंपनी Bayker's TB2 के हैं.
चीन से लौटने के बाद मुइज्जू ने किए थे कई दावे
जनवरी में चीन के पांच दिवसीय दौरे से लौटने के बाद वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पत्रकारों की और बिना भारत का नाम लिए देश की रक्षा के बारे में कई दावे किए.
उन्होंने कहा कि हमारा देश किसी भी देश का पिछलग्गू नहीं है. उन्होंने भारत पर निशाना साधते हुए कहा था, 'भले ही हमारे द्वीप छोटे हैं लेकिन हम नौ लाख वर्ग किलोमीटर के एक बहुत बड़े विशेष आर्थिक क्षेत्र वाले एक विशाल देश हैं. मालदीव एक ऐसा देश है जिसके पास इस महासागर (हिंद महासागर) का सबसे बड़ा हिस्सा है. यह महासागर किसी देश की संपत्ति नहीं है.'
4 मार्च को मुइज्जू ने यह भी घोषणा की कि उनका देश इस महीने मालदीव के समुद्री क्षेत्र के लिए 24/7 निगरानी सिस्टम स्थापित करने के लिए काम कर रहा है ताकि वो अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र पर नियंत्रण कर सके.
अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल की शुरुआत में, राष्ट्रपति कार्यालय ने आयात शुल्क छूट प्रक्रिया में संशोधन किया है ताकि राष्ट्रपति को सुरक्षा सेवाओं में इस्तेमाल के लिए सामानों पर आयात शुल्क हटाने का अधिकार दिया जा सके.
रिपोर्ट में कहा गया, 'ऐसा माना जा रहा है कि यह संशोधन इसलिए किया गया है ताकि सैन्य ड्रोन की खरीद को आसान बनाया जा सके.'
अखबार ने पहले बताया था कि ड्रोन खरीदने के लिए मालदीव के आकस्मिक बजट से 3.7 करोड़ डॉलर आवंटित किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने बाद में कहा कि सरकार सड़क, समुद्र और हवाई मार्ग से मालदीव की रक्षा और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सेना के लिए आधुनिक उपकरण खरीद रही है.
भारतीय सैनिकों की वापसी से ठीक एक दिन पहले मालदीव को मिले ड्रोन
मालदीव से भारतीय सैनिकों की पहले जत्थे की वापसी हो चुकी है. इससे ठीक पहले मालदीव को तुर्की से ड्रोन मिलने की खबर आई.
बीते हफ्ते भारत विरोधी समझे जाने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा था कि कोई भी भारतीय सैनिक, यहां तक कि सादे कपड़ों में भी, 10 मई के बाद उनके देश के अंदर मौजूद नहीं रहेगा.
मालदीव मे करीब 88 भारतीय सैनिक थे जो द्वीप देश को भारत की तरफ से दिए गए दो ध्रुव HAL हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट के संचालन का काम करते थे.
हालांकि, मुइज्जू शुरू से ही मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की वापसी की बात कहते आए हैं. दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि सैनिक दो खेप में वापस आएंगे. पहली खेप 10 मार्च और बाकी के सैनिक 10 मई तक वापस आ जाएंगे. इन सैनिकों की जगह भारत के टेक्निकल एक्सपर्टस मालदीव जाएंगे जो हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट का संचालन करेंगे. कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि भारत के कुछ टेक्नीकल एक्सपर्ट्स मालदीव पहुंच चुके हैं.
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