चीन के विदेश मंत्री किन गांग 2 मार्च को होने वाली जी-20 की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे. चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि चीनी विदेश मंत्री इस हफ्ते भारत के दौरे पर रवाना होंगे.
चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए किन गांग जी-20 की बैठक में हिस्सा लेंगे.
हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी बुधवार से शुरू हो रही जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आ रहे हैं. एक सरकारी अधिकारी ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि हयाशी जी-20 के बजाए संसदीय कामकाज को प्राथमिकता देंगे और उनके जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने की संभावना नहीं है. अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्वॉड देशों (भारत, जापान, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया का संगठन) की शुक्रवार की बैठक में शामिल होने के लिए वह भारत आएंगे या नहीं.
जापानी अखबारों में इस खबर के साथ कहा गया है कि उनके स्थान पर जापान किसी उप-मंत्री को जी-20 की बैठक में भेजेगा. जापान ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है जब वह क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के साथ-साथ यूक्रेन-रूस युद्ध की बढ़ती चिंताओं के बीच नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ सुरक्षा और अन्य संबंधों को मजबूत करना चाहता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस खबर के सामने आने के बाद जापान के सांसदों ने भी इसकी आलोचना की है. सोशल मीडिया पर भी लोग कह रहे हैं कि जापान ने नेतृत्व दिखाने का एक बड़ा मौका गंवा दिया है. जापान मई में जी-7 देशों की मेजबानी करने वाला है, ऐसे में वह खुद एक बड़े सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहा. लोगों का कहना है कि इससे भारत-जापान संबंधों को नुकसान पहुंचेगा.
सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक गोशी होसोनो ने ट्विटर पर लिखा, 'यह एक अफसोसजनक निर्णय है जिसका अर्थ है कि जापान जी-20 में भाग लेने वाले विकासशील देशों को कानून के शासन के महत्व पर जोर देने का एक मौका छोड़ रहा है.'
उन्होंने कहा कि कूटनीति के बजाए संसद को महत्व देने का हयाशी का फैसला सत्तारूढ़ पार्टी को खुश करने के लिए है.
विदेश नीति में नकारात्मक संदेश देगा जापानी मंत्री का यह कदम
जापान की क्योदो न्यूज एजेंसी ने एक अनाम भारत सरकार के अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि यह निर्णय जापान की विदेश नीति के लिए नकारात्मक संदेश देगा. इससे गलत धारणा बनेगी कि जापान केवल जी-7 को महत्व देता है.
जापान की संसद के निचले सदन में मंगलवार को देर शाम बजट पारित किए जाने और इसे उच्च सदन में चर्चा के लिए सौंपे जाने की संभावना है. कैबिनेट के सभी सदस्य बजट समिति के शुरुआती सत्रों के लिए परंपरागत रूप से उपस्थित होते हैं, जो बुधवार और गुरुवार को आयोजित की जाएगी. इसी सत्र में शामिल होने के लिए ही जापानी विदेश मंत्री जी-20 में हिस्सा लेने नहीं आ रहे हैं.
भारत-जापान के संबंध
भारत और जापान के बीच बेहद करीबी संबंध रहे हैं. पिछले साल सितंबर में पीएम मोदी पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए राजधानी टोक्यो गए थे. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ बातचीत की थी.
किशिदा सरकार के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना बड़ी प्राथमिकता रही है. चीन के खतरों का मुकाबला करने के लिए जापान अमेरिका के अलावा एक साझेदार की तलाश में है, और उसकी यह तलाश भारत पर आकर खत्म होती है. जापान भारत के साथ क्वॉड का सदस्य भी है.
इसके अलावा, जनवरी में जापान और भारत ने अपना पहला संयुक्त सैन्य हवाई अभ्यास भी किया था. जापान के सरकारी प्रसारक NHK के मुताबिक, जापान की सरकार यूक्रेन, परमाणु निरस्त्रीकरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मई में जी-7 शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया और भारत को भी बुलाने वाली है.
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