फिलीस्तीन के साथ जारी विवाद को लेकर हाल ही में चर्चा में रहे इजरायल में अब नेतृत्व का संकट आ गया है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार पर संकट मंडरा रहा है, ऐसे में उन्हें अपना पद छोड़ना भी पड़ सकता है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार का समर्थन करने वाले एक नेता अब विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन करने की कोशिश में हैं.
इजरायल की यामिना पार्टी के नफ्ताली बेनेट ने रविवार को ऐलान किया कि वह जल्द ही विपक्षी पार्टी से हाथ मिला रहे हैं.
नफ्ताली बेनेट और विपक्षी नेता याइर लैपिड के बीच अभी अंतिम दौर की चर्चा जारी है, दोनों ही कई मुलाकात कर चुके हैं. अब अगर दोनों नेताओं के बीच डील फाइनल होती है, तो बेंजामिन नेतन्याहू लंबे वक्त के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री के पद से हट जाएंगे.
नफ्ताली बेनेट ने बयान दिया है कि उनकी कोशिश है कि वो याइर लैपिड के साथ मिलकर एक साझा सरकार बनाएं, ताकि इजरायल को मौजूदा परिस्थितियों से बाहर निकाल पाएं. बुधवार तक आगे की स्थिति को लेकर चीज़ें साफ हो सकती हैं.
आपको बता दें कि नफ्ताली बेनेट की गिनती बेंजामिन नेतन्याहू के साथी नेताओं में होती है, जो सरकार में कैबिनेट मंत्री पद पर रह चुके हैं. साथ ही वेस्ट बैंक मुद्दे में उनकी भूमिका अहम रही है.
गौरतलब है कि इजरायल में पिछले दो साल से सरकार को लेकर संकट बना हुआ है, दो साल में चार बार चुनाव हो चुका है लेकिन किसी भी बार किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू दूसरी पार्टियों की मदद से सरकार चला रहे हैं.
खत्म होगा नेतन्याहू का लंबा राज
अगर नई सरकार बनती है तो बेंजामिन नेतन्याहू का कार्यकाल खत्म होगा, वह लगातरा 12 साल से प्रधानमंत्री पद पर हैं. इसके अलावा 1990 के दशक में भी इस पद पर रह चुके हैं. नई सरकार की हलचल के बीच बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे इजरायल के लोगों के साथ धोखा करार दिया है और कहा है कि इस वक्त देश संकट से गुजर रहा है, ऐसे में राजनीति का ये मौका ठीक नहीं है.
इजरायल में बहुमत के लिए किसी पार्टी के पास 61 का जादुई आंकड़ा होना चाहिए, बीते दो साल में हुए चुनावों में कोई एक पार्टी ऐसा नहीं कर पाई है. ऐसे में साझा सरकारें ही चल रही हैं. इजरायल में ये राजनीतिक हलचल तब हो रही है, जब बीते दिनों ही इजरायल और फिलीस्तीन के बीच युद्ध जैसे हालात हो गए थे. दोनों ही तरफ से मिसाइलें दागी जा रही थीं और दर्जनों लोगों की जान चली गई थी. हालांकि, अभी दोनों ने सीजफायर किया है लेकिन सत्ता परिवर्तन का इस स्थिति पर क्या फर्क पड़ता है इसपर नज़रें रहेंगी.
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