Eli Cohen: कहानी उस जासूस की, जो बनने वाला था दुश्मन देश का 'डिप्टी मिनिस्टर ऑफ डिफेंस'

कौन था इजरायल का बहादुर बेटा Eli Cohen और क‍िन कामों के चलते उसे 'द ग्रेटेस्ट स्पाई' कहा जाता है और क्यों उनकी इतनी बातें हो रही हैं? जान‍िए उसके इजरायल की सीक्रेट एजेंसी मोसाद में तैनाती से लेकर दुश्मन मुल्क में रहकर उसकी ही नाक के नीचे से कई साल तक खुफ‍िया जानकारी जुटाते रहने और पकड़े जाने तक की पूरी सच्ची कहानी.

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इजरायल के 'द ग्रेटेस्ट स्पाई' एली कोहेन की कहानी. इजरायल के 'द ग्रेटेस्ट स्पाई' एली कोहेन की कहानी.

विनय त्रिवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत के अलग-अलग राज्यों में पाकिस्तानी जासूसों पर ताबड़तोड़ एक्शन चल रहा है. जासूसी के आरोप में हिसार की ज्योति मल्होत्रा से लेकर पंजाब की गजाला तक, कई लोग पकड़े जा चुके हैं. लेक‍िन क्या आप एक ऐसे जासूस के बारे में जानते हैं, जो दुश्मन मुल्क में जाकर उसका भरोसेमंद बना और कई साल तक उसके जरूरी जानकारियां चुराता रहा. इतना ही नहीं, उसने न सिर्फ अपने देश को 'Six Days War' जैसी जंग जितवाने में अहम रोल निभाया, बल्कि एक वक्त तो ऐसा आया जब दुश्मन देश उसे अपना डिप्टी मिनिस्टर ऑफ डिफेंस बनाने वाला था.

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ये कहानी है इजरायल के 'द ग्रेटेस्ट स्पाई' एली कोहेन की, जिनके ढाई हजार से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स को वापस पाने के लिए इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद को सीरिया में कोवर्ट ऑपरेशन करना पड़ा, वो भी कोहेन की मौत के 60 साल बाद.

एली कोहेन 6 दिसंबर 1924 को मिस्र के एलेक्जेंड्रिया में एक यहूदी परिवार में पैदा हुए थे. बड़े होकर उन्होंने यहूदी एक्टिविस्ट के तौर पर काम किया और ऑपरेशन लेवोन अफेयर के तहत मिस्र में रहने वाले यहूदियों को सुरक्षित इजराइल पहुंचाया.

IDF छोड़ एक इंश्योरेंस कंपनी में क‍िया काम

साल 1956 में स्वेज नहर क्राइसिस के बाद एली को मजबूरन मिस्र छोड़ना पड़ा और इजरायल वो चले गए. इसके बाद देखते ही देखते इजरायल में उन्हें एक साल बीत गया और फिर जाकर इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने एली को काउंटर इंटेलिजेंस एनालिस्ट और ट्रांसलेटर का काम दिया. हालांकि, इस काम में बोरियत हुई तो उन्होंने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद जॉइन करने की कोशिश की. लेकिन कामयाब नहीं हो सके क्योंक‍ि उन्हें इस काम के ल‍िए रिजेक्ट कर दिया गया था. इससे एली बहुत दुखी हुए और उन्होंने IDF भी छोड़ दी. इसके बाद वो इंटेलिजेंस से 2 साल तक दूर रहे और एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करने लगे. 

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मोसाद की इंटेलिजेंस सर्व‍िस में मारी एंट्री

एली जब इंश्योरेंस कंपनी में काम कर रहे थे, उस दौरान मोसाद के डायरेक्टर मायर अमीत एक ऐसे इंटेलिजेंस ऑफिसर की तलाश में थे, जो सीरिया की सरकार में घुसपैठ कर खुफ‍िया जानकार‍ियां ला सके. लेकिन दुश्मन देश सीरिया की सरकार में किसी यहूदी का घुस पाना आसान काम नहीं था. इस बीच उनकी नजर एली कोहेन के पोर्टफोलियो पर पड़ी तो वो समझ गए कि इस काम के ल‍िए एली से बेहतर और कोई नहीं हो सकता. क्योंकि एली कोहेन फर्राटेदार तरीके से अरबी, हिब्रू, फ्रेंच बोल सकते थे और अरब दुनिया को भी अच्छे से जानते थे.

एक जासूस कैसे बना सीरिया का भरोसेमंद?

फिर मोसाद ने एली कोहेन को फर्जी तरीके से सीरिया का बड़ा कारोबारी बनाया और नया नाम दिया- कामेल अमीन थाबेत. चूंकि सीरिया में सीधे घुसना मुमकिन नहीं था, इसीलिए मोसाद ने एली को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स भेजा, जहां सीरिया में बैन हो चुकी बाथ पार्टी और सीरियन आर्मी के तमाम बड़े अफसर रहते थे. यहां एली ने सबसे पहले अरब समुदाय में खासी पैठ बनाई और धीरे-धीरे बाथ पार्टी के नेताओं और बड़े ओहदे वाले सीरियन आर्मी के अफसरों से घुल-मिल गए. 

दुश्मन के क‍िले में रहकर करते रहे सेंधमारी

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एली को बाथ पार्टी का करीबी बनाने का प्लान गेमचेंजर कदम साबित हुआ क्योंकि इसी बाथ पार्टी ने 1963 में सीरिया की मौजूदा सरकार को हटाकर सत्ता हथिया ली. चूंकि एली बाथ पार्टी और आर्मी अफसरों के करीबी बन चुके थे, इसीलिए वो तुरंत सीरिया पहुंच गए. फिर क्या था, एली ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के सबसे पॉश इलाके में किराए का घर लिया और सरकार की तमाम एक्टिविटीज पर नजर रखने लगे. उनके दमिश्क वाले घर की खास बात ये थी कि वहां से सभी अहम सरकारी इमारतें दिखाई देती थीं. इस बात का उन्हें काफी फायदा मिला.

सीरिया का उप रक्षामंत्री बनाने तक की चली बात

फिर धीरे-धीरे सीरियाई सरकार का एली पर भरोसा इतना बढ़ गया कि पकड़े जाने से ठीक पहले तक उन्हें सीरिया का डिप्टी मिनिस्टर ऑफ डिफेंस बनाने की बात चल रही थी. इस तरह सीरियाई सरकार और आर्मी की आंखों में धूल झोंकने का खेल चलता रहा. 1961 से 65 के बीच बहुत बड़े स्तर पर कोहेन ने इजरायल को खुफ‍ियां जानकार‍ि‍यां मुहैया कराईं. इस दौरान, वो गुपचुप तरीके से 3 बार इजरायल भी गए, ढेर सारे सीक्रेट लेटर और खुफिया सूचनाएं मोसाद को देते रहे, लेकिन कभी दुश्मनों को शक तक नहीं हुआ.

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Six Days War में रंग लाई एली की चतुराई

एली कोहेन के जासूसी करियर में उनका गोलन हाइट्स का दौरा बहुत खास था. वहां जाकर उन्होंने बहुत-से संवेदनशील इलाकों की तस्वीरें लीं. गोलन हाइट्स पर मिलिट्री की पोजीशन देखी. ऐसा भी कहा जाता है कि जहां-जहां सीरिया ने इजरायल की तरफ आर्टिलरी तैनात की थी, ऐली ने आर्मी अफसरों को मनाकर वहां-वहां पेड़ लगवा दिए थे. एली ने आर्मी अफसरों से कहा था कि हमारे जवान इतनी गर्मी में यहां तैनात रहते हैं इसलिए मैं उनके आराम के लिए यहां पेड़ लगाना चाहता हूं. बाद में एली की इसी चालाकी ने Six Days War में इजराइल की बहुत मदद की. इजराइल ने इस जंग के दौरान महज 6 दिन में ही सीरिया के कब्जे वाली गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था. क्योंकि एली के लगवाए गए पेड़ों की वजह से इजरायल को सीरियाई सैनिकों के ठिकानों की सटीक लोकेशन पता लग जा रही थीं.

ऐसे पकड़ा गया इजरायल का ये बहादुर बेटा

1965 में एक सीक्रेट इंफॉर्मेशन भेजने के दौरान सीरिया की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने एली कोहेन को पकड़ लिया. फिर मुकदमा चला और मिलिट्री ट्रिब्यूनल ने एली को फांसी की सजा सुना दी. इसके बाद उन्हें बेरहमी से टॉर्चर किया गया और आखिर में सीरिया की राजधानी दमिश्क के एक मशहूर चौराहे पर फांसी पर चढ़ा दिया गया. और इस तरह खत्म हुई अपने देश के लिए सबकुछ कुर्बान करने देने वाले दुनिया के मशहूर जासूस एली कोहेन की कहानी.

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