भारत और कनाडा के बीच तनाव बरकरार है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है. कनाडाई हाई कमिश्नर्स को सस्पेंड किए जाने और भारत के डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने के बाद से हालात और भी खराब हुए हैं. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के आरोपों का भारत ने कई बार खंडन किया है.
कनाडा के डिप्टी विदेश मंत्री डेविड मॉरीसन ने मंगलवार को संसदीय समिति को बताया था कि कनाडा में निज्जर की हत्या की साजिश के लिए प्रधानमंत्री मोदी सरकार का एक शीर्ष अधिकारी जिम्मेदार है.
मॉरीशन ने बताया कि वॉशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार ने मुझसे पूछा था कि क्या यह वही शख्स (भारत का अधिकारी) है और मैंने इसकी पुष्टि की थी. हालांकि, ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नताली ड्रोविन ने उनके इस दावे के उलट कहा था कि हमने यह जानकारी वॉशिंगटन पोस्ट के अधिकारी के साथ साझा नहीं की थी.
ड्रोविन ने कहा कि उन्हें ये गोपनीय जानकारी लीक करने के लिए प्रधानमंत्री की मंजूरी की अनुमति नहीं दी थी. दरअसल गोपनीय जानकारी लीक करना कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी का हिस्सा थे. उन्होंने और कनाडा के उपविदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने यह सुनिश्चित किया कि अमेरिका के एक बड़े अखबार को भारत और कनाडा के बीच चल रहे इस राजनयिक विवाद को लेकर ओटावा का वर्जन पता चले.
उन्होंने कहा कि इस कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी पर प्रधानमंत्री ऑफिस की पूरी नजर थी. इस बीच 13 अक्तूबर को वॉशिंगटन पोस्ट में पब्लिश एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की सिंगापुर में कनाडा के एनएसए के साथ एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी.
संसदीय समिति ने ड्रोविन और मॉरीशन को फटकार लगाते हुए कहा कि ट्रूडो और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों और आरसीएमपी ने इस जानकारी को अखबार को सौंपने के बजाए इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
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