भारत के चुनावों में धरती पकड़ का नाम हमेशा सुर्खियों में रहा है. ऐसा नेता जो ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक सभी में अपनी किस्मत आजमा चुका है, लेकिन अब तक उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दावेदारी पेश करने वाले हर्षवर्धन सिंह को भी यूएस में भारतीय मूल का धरतीपकड़ कहा जा रहा है. इसकी वजह यह है कि भारतीय मूल के हर्षवर्धन सिंह अमेरिका में मेयर से लेकर सांसद तक का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन तीन चुनावों में से उन्हें किसी में भी सफलता नहीं मिली है. अब हर्षवर्धन ने 2024 में होने जा रहे प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए दावा ठोक दिया है. हर्षवर्धन रिपब्लिकन पार्टी के बेहद पुराने कार्यकर्ता हैं.
कब-कब उतरे चुनावी मैदान में?
हर्षवर्धन सिंह सबसे पहले 2017 में न्यूजर्सी के मेयर (अमेरिका में गवर्नर) के चुनाव के लिए मैदान में उतरे, लेकिन वह रिपब्लिकन पार्टी के अंदरूनी चुनाव भी जीतने में नाकाम रहे. इसके बाद 2018 में उन्होंने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए अपनी दावेदारी पेश की. इसे हमारे यहां निचला सदन कहते हैं. लेकिन यह चुनाव भी वह हार गए. साल 2010 में हर्षवर्धन ने अमेरिकी सीनेट यानी उच्च सदन का चुनाव लड़कर अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी. इसके बाद साल 2021 में उन्होंने एक बार फिर न्यूजर्सी से मेयर (गवर्नर) का चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी वह रिपब्लिकन पार्टी के अंदर प्रत्याशी बनने के लिए होने वाले चुनाव तक नहीं जीत पाए. आइए अब आपको हर्षवर्धन के बारे में बताते हैं.
कौन हैं दावेदारी करने वाले हर्षवर्धन?
हर्षवर्धन रिपब्लिकन पार्टी के भारतीय मूल के ऐसे तीसरे नेता हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति पद कै लिए चुनाव में उतरने का फैसला लिया है. उनसे पहले निक्की हेली और विवेक रामास्वामी भी प्रेसिडेंट पद के लिए दावेदारी जता चुके हैं. बता दें कि अमेरिका में सियासी पार्टियों की कमी नहीं है. लेकिन दो मुख्य पार्टियां डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी हैं. इसके अलावा कई राजनीतिक दल हैं. लेकिन उनका प्रभाव नहीं के बराबर है. इसलिए राष्ट्रपति का चुनाव डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के बीच ही होता है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार उतारती हैं. पार्टी में इन उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया भी लंबी और जटिल होती है. चलिए आपको बताते हैं कि डेमेक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी कैसे अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन करते हैं.
प्राइमरी सिस्टम से चुनाव
प्राइमरी चुनाव राज्य सरकारों के अंतर्गत कराए जाते हैं. ये खुले और बंद तरीके से होते हैं. इसका मतलब है कि अगर राज्य सरकार चाहती है कि खुले रूप से चुनाव हो तो पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आम जनता भी वोट कर सकती है. जबकि बंद रूप से चुनाव होता है तो इसमें सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता ही उम्मीदवार को चुनते हैं. प्राइमरी सिस्टम से राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का तरीका ज्यादातर राज्यों में अपनाया जाता है.
कॉकस सिस्टम से चुनाव
कॉकस सिस्टम में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चुनाव पार्टी ही कराती है. इसमें पार्टी कार्यकर्ता एक जगह इकट्ठा होते हैं और अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं. जो शख्स पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनना चाहता है तो वो अपनी बात कहता है. समर्थक उसे सुनते हैं. उसके बाद अपनी राय बनाते हैं. उस सभा में मौजूद सभी कार्यकर्ता हाथ खड़ा करके अपने उम्मीदवार को समर्थन देते हैं. हालांकि ये तरीका बहुत ही कम राज्यों में अपनाया जाता है.
कौन है हर चुनाव लड़ने वाला धरती पकड़?
ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद और यहां तक की राष्ट्रपति चुनाव तक में वो अपनी दावेदारी पेश कर चुके वयोवृद्ध नेता धरती पकड़ का असली नाम नागरमल बाजोरिया है. नागरमल उर्फ धरती पकड़ अब तक 281 बार चुनाव लड़ चुके हैं. धरती पकड़ रहने वाले बिहार के है, लेकिन बहुत सारे चुनाव उन्होंने बिहार से बाहर जाकर देश के विभिन्न राज्यों में भी लड़े हैं. कह सकते हैं कि चुनाव लड़ने की उनकी आदत उन्हें कश्मीर से कन्या कुमारी तक की सैर करा चुकी है. इससे भी खास बात ये रही है कि वह अपने 281 चुनावों में से एक में भी नहीं जीते. चुनाव चाहे वार्ड स्तर का रहा हो या फिर राष्ट्रपति का. हर जगह उन्होंने पराजय का सामना किया, फिर भी उनकी चुनाव लड़ने की जिद नहीं छूटी.
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