चीन ने 'हांगकांग सुरक्षा कानून' पर जी 7 के साझा बयान पर जताई आपत्ति

ग्रुप-7 (जी-7) के सदस्य देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से हांगकांग प्रकरण पर साझा बयान जारी किया गया था.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

  • जी 7 के निर्णय पर फिर से विचार करने का आग्रह
  • 'बहस, मशविरा हांगकांग में स्वतंत्रता के लिए जरूरी'
कोरोना महामारी और भारत के साथ लद्दाख विवाद समेत कई तरह की समस्याओं से घिरे चीन के विवादित हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के फैसले की जी-7 ने साझा बयान जारी कर कड़ी निंदा की है. हालांकि चीन ने जी-7 के साझा बयान पर कड़ा विरोध जताया है.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार चीन ने हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के फैसले पर जी-7 के विदेश मंत्रियों के साझा बयान पर आपत्ति जताई है.

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ग्रुप-7 (जी-7) के सदस्य देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से हांगकांग प्रकरण पर साझा बयान जारी किया गया था.

चीन के कानून से नाराजगी

जी-7 के विदेश मंत्रियों के साझा बयान में कहा गया कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि हांगकांग पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के चीन के फैसले पर गंभीर चिंता जताते हैं.

साझा बयान में कहा गया कि चीन का निर्णय हांगकांग के बुनियादी कानून और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) - पंजीकृत चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा पत्र के सिद्धांतों के तहत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप नहीं है. प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 'वन कंट्री, टू सिस्टम्स' सिद्धांत और क्षेत्र की उच्च स्तर की स्वायत्तता को लेकर गंभीर खतरा होगा. यह उस प्रणाली को खतरे में डाल देगा जिसने हांगकांग को फलने-फूलने दिया है और पिछले कई सालों में इसे सफल बनाया है.

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'खुली बहस, स्टेकहोल्डर्स के साथ सलाह-मशविरा और संरक्षित अधिकारों का सम्मान हांगकांग में स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बेहद आवश्यक है.'

साझा बयान में चिंता जताते हुए कहा गया, 'हम इस बात से भी चिंतित हैं कि यह कार्रवाई कानून के शासन और एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली के अस्तित्व द्वारा संरक्षित सभी लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर अंकुश लगाएगी.'

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साझा बयान में ग्रुप-7 के सदस्य देशों की ओर से कहा गया, 'हम चीन सरकार से इस निर्णय पर फिर से विचार करने का आग्रह करते हैं.'

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