आम इंसान की तुलना में लाखों गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं रईस, रिपोर्ट में दावा

ऑक्सफैम (Oxfam) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर के इन 125 अरबपतियों की 183 कंपनियों में संयुक्त रूप से 2.4 ट्रिलियन डॉलर की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में कहा गया कि इन अरबपतियों का प्रदूषण फैलाने वाले जीवाश्म ईंधन और सीमेंट जैसे उद्योगों में निवेश स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (S&P Global Ratings) की 500 कंपनियों के औसत निवेश से दोगुना है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

ऑक्सफैम की एक हालिया रिपोर्ट से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. गैर लाभकारी संगठन ऑक्सफैम (Oxfam) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर के 125 अरबपतियों के निवेश से सालाना औसतन 30 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन (Emission) होता है. यह दुनिया के 90 फीसदी आम लोगों के औसत से 10 लाख गुना अधिक है. इससे स्पष्ट है कि दुनिया के 90 फीसदी लोग मिलकर जितना कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं, यह उससे 10 लाख गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन दुनिया के 125 अरबपति करते हैं. 

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रिपोर्ट में कहा गया कि इन अरबपतियों की 183 कंपनियों में संयुक्त रूप से 2.4 ट्रिलियन डॉलर की हिस्सेदारी है. 'कार्बन बिलियनेयर्स:  द इन्वेस्टमेंट एमिशंस ऑफ द वर्ल्ड रिचेस्ट पीपुल' शीर्षक के तहत रिपोर्ट में कहा गया कि इन अरबपतियों का प्रदूषण फैलाने वाले जीवाश्म ईंधन और सीमेंट जैसे उद्योगों में निवेश स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (S&P Global Ratings) की 500 कंपनियों के औसत से दोगुना है.

ये 125 अरबपति संयुक्त रूप रूप से हर साल 39.3 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड को फंड करते हैं, जो 6.7 करोड़ की आबादी वाले फ्रांस के सालाना कार्बन उत्सर्जन के समान है. रिपोर्ट कहती है कि प्रत्येक अरबपतियों के कार्बन उत्सर्जन की भरपाई के लिए लगभग 40 लाख लोगों को शाकाहारी बनना होगा.

ऑक्सफैम के सीईओ अमिताभ बेहर का कहना है कि लगातार बढ़ रहे इस कार्बन उत्सर्जन के लिए अमीर लोगों की जवाबदेही पर बेमुश्किल ही चर्चा की जाती है. इसे बदलना होगा. क्लाइमेट चेंज में इन अरबपति निवेशकों की बहुत बड़ी भूमिका है. ये लोग लंबे समय से अपनी जवाबदेही से भागते आए हैं. ऑक्सफैम ने कहा कि आमतौर पर इन कॉरपोरेट्स द्वारा किए गए हाई प्रोफाइल वादों की कोई जांच नहीं की जाती. 

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ऑक्सफैम ने 2021 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2050 तक नेट जीरो कॉर्बन एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कम से कम 1.6 अरब हेक्टेयर नए वनों की जरूरत होगी, जो भारत के आकार के पांच गुना के बराबर है. रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक जलवायु संकट को बढ़ावा देने वाले प्रदूषण से मुनाफा कमाने में बड़े कॉरपोरेट्स और अरबपति निवेशक अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिसका पर्दाफाश करने के लिए हमें COP27 की जरूरत है.

ऑक्सफैम इंटरनेशनल के क्लाइमेट चेंज लीड नैफ्कोटे डाबी ने कहा कि इन अरबपतियों को इस तरह बच निकलने नहीं दिया जा सकता. हमें चाहिए कि सरकारें इस पर फुर्ती से काम करें और अमीरों के कार्बन उत्सर्जन आंकड़ें प्रकाशित करे. कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए निवेशकों और कॉरपोरेट्स को रेगुलेट करें, प्रदूषण फैलाने के  लिए उन पर टैक्स लगाएं. 

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