तालिबानियों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा PAK, ISI का निर्देश- भारतीय संपत्तियों को टारगेट करें

अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान एक्टिव हो गया है. इसका फायदा पाकिस्तान उठा रहा है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने अपने लड़ाकों और तालिबानी आतंकियों को भारतीय संपत्तियों को टारगेट करने के निर्देश दिए हैं.

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अमेरिकी सेना के हटने ही फिर से तालिबान एक्टिव हो गया है. (फाइल फोटो-PTI) अमेरिकी सेना के हटने ही फिर से तालिबान एक्टिव हो गया है. (फाइल फोटो-PTI)

मंजीत नेगी

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST
  • अफगानिस्तान में तालिबान एक बार फिर से एक्टिव
  • ISI का निर्देश- भारतीय संपत्तियों को टारगेट करें

अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से एक बार फिर से तालिबान (Taliban) ने आतंक मचाना शुरू कर दिया है. अफगानिस्तान और तालिबान के बीच चल रही इस लड़ाई का इस्तेमाल पाकिस्तान (Pakistan) ने भारत के खिलाफ करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने तालिबान और अपने लड़कों को पिछले 20 साल में अफगानिस्तान में बनाई गई भारत की बिल्डिंग्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर को टारगेट करने को कहा है.

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जमीनी हालात पर नजर बनाए रखने वाले सरकारी सूत्रों ने आजतक को बताया कि बड़ी संख्या में पाकिस्तान के लड़ाके अफगानिस्तान में दाखिल हुए हैं. ये लड़ाके अफगान सरकार के खिलाफ और तालिबान का समर्थन कर रहे हैं. ये लोग भारतीय संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि इन लड़ाकों को ISI ने साफ निर्देश दिया है कि उनका पहला टारगेट भारतीय और भारतीय संपत्तियां होनी चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक, हाल ही में पाकिस्तान से 10 हजार से ज्यादा लड़ाके अफगानिस्तान में दाखिल हुए हैं. 

ये भी पढ़ें-- पाकिस्तान पर भड़का अफगानिस्तान, कहा- तालिबान की मदद कर रही PAK वायुसेना

2001 में काबुल में तालिबान के खत्म हो जाने के बाद भारत ने अफगानिस्तान में करीब 3 अरब डॉलर खर्च किए हैं. भारत ने वहां 218 किमी लंबी देलाराम और जरांज के बीच एक सड़क बनाई है, जिसे इंडिया-अफगानिस्तान फ्रैंडशिप डैम या सलमा डैम भी कहा जाता है. इसके अलावा भारत की मदद से ही अफगानिस्तान में संसद भी बनाई गई थी, जिसका उद्घाटन 2015 में ही हुआ है.

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तालिबान के एक बार फिर से एक्टिव हो जाने के बाद से अभी तक ये साफ नहीं है कि भारत वहां से अपनी मौजूदगी किस हद तक कम करता है. हालांकि, कंस्ट्रक्शन वर्क से जुड़े भारतीयों को अफगानिस्तान से तुरंत निकलने की सलाह दी गई है. जबकि, बाकी देश काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) पर नजर बनाए हुए हैं, जिसे जल्द ही अमेरिका तुर्की को सौंप सकता है.

अफगानिस्तान में भारत के अब सिर्फ दो संस्थान बचे हैं, जिसमें मजार-ए-शरीफ और काबुल में एम्बेसी शामिल है. कांधार में स्थित कॉन्सुलेट से हाल ही में भारतीय नागरिकों और सिक्योरिटी को वापस बुला लिया गया है, जबकि जलालाबाद और हेरात स्थित कॉन्सुलेट पहले से ही बंद थे.

 

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