काबुल में खुलेगा अफगान-हिन्दू रिसर्च सेंटर! नए दौर में भारत अफगानिस्तान संबंध, कई प्रोजेक्ट पर काम करेगा इंडिया

भारत अफगानिस्तान में अफगान-हिन्दू रिसर्च सेंटर खोलने जा रहा है. इसकी घोषणा अफगानिस्तान तालिबान के एक बड़े मंत्री ने की है. तालिबान के नेता अताउल्लाह ओमारी ने गुरुवार को काबुल में भारत के नए राजदूत करण यादव से मुलाकात की है. इस दौरान दोनों के बीच अफगानिस्तान के कई प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई.

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अफगानिस्तान में ऐतिहासिक बामियान बुद्ध की गुफा. (Photo: Pexels) अफगानिस्तान में ऐतिहासिक बामियान बुद्ध की गुफा. (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:34 PM IST

भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में एक अहम पॉजिटिव मोड़ देखने को मिल रहा है. भारत अफगानिस्तान में 'अफगान-हिन्दू' रिसर्च सेंटर खोलने जा रहा है. इसके अलावा भारत अफगानिस्तान में कृषि क्षेत्र में बड़ा काम करने जा रहा है. भारत अफगानिस्तान के एग्रीकल्चर सेक्टर को सुधारने के लिए वहां अधिकारियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेनिंग देगा.

गुरुवार को अफगानिस्तान के कृषि, सिंचाई और पशुधन मंत्री मौलवी अताउल्लाह ओमारी ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास में भारत के राजदूत करण यादव से मुलाकात की. हाल ही में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री और तालिबानी नेता अमीर खान मुत्ताकी ने नए दिल्ली का एक सप्ताह का दौरा किया था. 

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इसके बाद भारत ने एक साहसिक कदम उठाते हुए काबुल में अपने राजनयिक मिशन को फिर से स्थापित किया है. इसके बाद भारत ने विदेश सेवा के अधिकारी करण यादव को अफगानिस्तान में भारत का नया राजदूत नियुक्त किया है. 

अफगानिस्तान में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके तेज तर्रार अफसर करण यादव से अफगान-तालिबान का नेतृत्व मुलाकात कर रहा है. गुरुवार को अफगानिस्तान के कृषि मंत्री अताउल्लाह ओमारी ने करण यादव से मुलाकात की. 

इस मुलाकात पर अफगानिस्तान ने बड़ा बयान जारी किया है. अफगानिस्तान ने कहा है कि अताउल्लाह ओमारी और करण यादव ने कृषि, सिंचाई, पशुधन, कृषि उत्पादों के निर्यात और मशीनीकृत कृषि उपकरणों के आयात जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की.

गुरुवार को अफगानिस्तान के कृषि मंत्री अताउल्लाह ओमारी ने भारत के राजदूत करण यादव से मुलाकात की. (Photo: Afg.gov)

कृषि मंत्रालय के एक बयान के अनुसार अताउल्लाह ओमारी ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल ढलने में देश की मदद के लिए जलवायु-प्रतिरोधी फसल विकसित करने के लिए रिसर्च पर जोर दिया. 

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अताउल्लाह ओमारी ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी किस्मों के फसल विकसित करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान पर काम करने की आवश्यकता है.

अफगानिस्तान की सरकार ने कहा कि इसके जवाब में भारतीय राजदूत ने वादा किया कि उनका देश अफ़ग़ानिस्तान में एक अफगान-हिंदू अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम करेगा. उन्होंने कहा कि ये रिसर्च संस्थान नई परियोजनाओं को लागू करने का प्रयास करेगा. उन्होंने कृषि मंत्रालय के विशेषज्ञों की क्षमता में सुधार के लिए आमने-सामने और ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी वादा किया. 

अफगानिस्तान के कृषि मंत्री ने भारत से अपील की कि उनके मुल्क के लैब को आधुनिक किया जाए, चेक प्वाइंट बनाया जाए, और पशु स्वास्थ्य गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ बनाने में भारत सहयोग करे. 

अताउल्लाह ओमारी ने भारत को कृषि और पशुधन उत्पादों का निर्यात करने वाले अफगान व्यापारियों के लिए वीजा की सुविधा प्रदान करने में आवश्यक सहयोग प्रदान करने का भी आह्वान किया. अफगानिस्तान के अनुसार भारत ने आश्वासन दिया है कि राजनयिक माध्यमों से उठाए गए मुद्दों पर आने वाले दिनों में काम किया जाएगा और उन्हें लागू किया जाएगा.

भारत-अफगान के मजबूत होते रिश्ते

भारत-अफगान संबंध हाल के दिनों में बेहतर हुए हैं. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने तालिबान के साथ संबंधों को नए सिरे परिभाषित करना शुरू किया है. भारत ने अफगानिस्तान में 2001 से 2021 तक भारी निवेश किया, जिसमें $3 बिलियन से अधिक की परियोजनाएं शामिल हैं. इनमें सड़कें, बांध, और संसद भवन का निर्माण शामिल है. 

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 तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपने दूतावास को बंद कर दिया, लेकिन हाल के वर्षों में रणनीतिक जरूरतों ने इसे फिर से जोड़ा. 2025 में भारत ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के साथ कूटनीतिक संवाद शुरू किया, जिसमें चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई.  हाल के भूकंप (नवंबर 2025) के बाद भारत ने 15 टन खाद्य सहायता भेजी है और अफगानिस्तान की लगातार मदद कर रहा है. 

भारत का यह कदम चीन और पाकिस्तान के प्रभाव को कम करने की कोशिश है. जो तालिबान पर प्रभाव रखते हैं. हालांकि भारत ने तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं दी, बल्कि व्यावहारिक सहयोग पर जोर दिया है. इन संबंधों में आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता प्रमुख मुद्दे हैं.

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