इस्लामाबाद से एक कॉल, घर में घुसकर हमले की गारंटी... क्यों तमतमा गया तालिबान, कैसे टूटी अफगान-पाकिस्तान वार्ता

इस्तांबुल में शांति वार्ता के दौरान अफगानिस्तान इस बात को लेकर राजी दिखा कि उसकी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होगा, लेकिन अफगान तालिबान ने जब यही गारंटी पाकिस्तान से मांगी तो उसने अपना असली रंग दिखा दिया. पाकिस्तान की माने तो उसका एक देश के साथ समझौता है जिसके तहत वो उस देश को अफगानिस्तान में ड्रोन भेजने से नहीं रोक सकता है.

Advertisement
पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को अहम गारंटी देने से इनकार कर दिया है.  (File Photo: Reuters) पाकिस्तान ने अफगान तालिबान को अहम गारंटी देने से इनकार कर दिया है. (File Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता उम्मीद के मुताबिक ही विफल हो गई है. इसके पीछे पाकिस्तान की मक्कारी एक बार फिर से सामने आई है. अफगानिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए इस्तांबुल में बातचीत की टेबल पर बैठा पाकिस्तान अफगानिस्तान के अंदर घुसकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर हमला करने की इजाजत चाहता था. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की इस डिमांड पर तीखी नाराजगी जताई. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच गर्मागरम बहस हुई. 

Advertisement

तालिबान के साथ शांति वार्ता फेल होने के बाद पाकिस्तान कूटनीतिक मर्यादा को भी भूल गया है. पाकिस्तान के बड़बोले रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को पाकिस्तान का 'प्यादा' बताया है. और कहा है कि अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ तो पाकिस्तान ऐसे किसी हमले का 50 फीसदी ज्यादा जवाब देगा.

वहीं अफगानिस्तान तालिबान ने अपने ही अंदाज में पाकिस्तान को चेताते हुए कहा है कि हमारे पास भले ही परमाणु हथियार नहीं है लेकिन पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि अफगानियों ने अबतक किसी के सामने भी हार नहीं मानी है.

तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता लगभग सफल होने ही वाली थी. लेकिन ऐन मौके पर पाकिस्तान ने अपनी मक्कारी वाली चाल चल दी. 

टोलो न्यूज ने अफगानिस्तान के अधिकारियों से लिखा है, "अफगान प्रतिनिधिमंडल द्वारा इस्लामाबाद की कुछ मांगों का विरोध करने के बाद, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल वार्ता की मेज़ से उठकर चला गया, जिससे वार्ता बिना किसी नतीजे के रुक गई."

Advertisement

सूत्रों के अनुसार आखिर-आखिर में कई मुद्दों पर असहमति और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के अराजनयिक व्यवहार के कारण वार्ता टूट गई. 

अफगानिस्तान की गारंटी ले ली, लेकिन अपने वादे पर...

वार्ता के दौरान अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को भरोसा दिया कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होने देगा. लेकिन बदले में अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद से अफगान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन बंद करने और अमेरिकी ड्रोनों की उड़ानों को रोकने का अनुरोध किया. 

पाकिस्तान पहले इस पर राजी होता हुआ दिख रहा था. लेकिन तभी इस्लामाबाद से इस्तांबुल आए ने 'अज्ञात कॉल' ने सारी कहानी बदल दी. 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बातचीत के बीच में ही पाकिस्तानी अधिकारियों को इस्लामाबाद से एक कॉल आया इसके बाद पाकिस्तानी अधिकारियों का सुर बदल गया.

इसके बाद बातचीत में जब अमेरिकी ड्रोन का जिक्र आते ही पाकिस्तान ने अपना असली रंग दिखा दिया. 

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की ओर से इस बातचीत की अगुआई मेजर जनरल शहाब असलम कर रहे थे. शहाब असलम आईएसआई में स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन के चीफ हैं.

पाकिस्तान ने अमेरिका की ओर इशारा करते हुए पहली बार यह खुलासा किया कि इस्लामाबाद का एक विदेशी देश के साथ ड्रोन उड़ान की अनुमति देने वाला समझौता है. इसके तहत वे अपनी जमीन से ड्रोन उड़ान की अनुमति देता है और यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसे रद्द नहीं किया जा सकता है. 

Advertisement

पाकिस्तान की ये स्वीकारोक्ति न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए बल्कि वार्ता के लिए मध्यस्थता कर रहे कतर और तुर्की के लिए भी झटके जैसा था.

दरअसल अफगानिस्तान जैसा पाकिस्तान भी चाहता था कि पाक कि जमीन से उड़कर आए ड्रोन को रोका जाए इसके अलावा पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को जो पनाह मिल रही है वो भी बंद किया जाए. इस मुद्दे पर पाकिस्तान का मुंह बंद हो गया.

दोनों देशों के बीच विवाद का मुद्दा TTP को लेकर भी रहा.  

पाकिस्तान ने बातचीत के दौरान अफगान तालिबान से पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय सभी संगठनों पर कंट्रोल करने की मांग की. 

इस पर अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि पाकिस्तान पर कोई भी हमला अफगान की धरती से नहीं हो. लेकिन अफगानिस्तान ने कहा कि टीटीपी मुद्दा पाकिस्तान की आंतरिक समस्या है.  और जो लोग अफगानिस्तान के नहीं हैं उन पर अफगानिस्तान कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है. 

अफगान पक्ष ने कहा कि टीटीपी के सदस्य अफगान नहीं, बल्कि पाकिस्तानी नागरिक हैं और "पाकिस्तान के अपने नागरिकों को नियंत्रित करना" काबुल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. 

इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी समूह घोषित करने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

Advertisement

इस मांग के जवाब में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने कहा, "पाकिस्तान और कुछ देश अपने विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक उद्देश्यों के लिए आतंकवाद के लेबल का इस्तेमाल करते हैं."

अफगानिस्तान ने भी आगे की तैयारी कर ली है

अफगानिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान के किसी भी हमले का जवाब दिया जाएगा और अगर अफगानिस्तान के क्षेत्र पर बमबारी की जाती है, तो इस्लामाबाद को निशाना बनाया जाएगा. 

अफ़ग़ानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने एरियाना न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वे पाकिस्तान को ऐसा जवाब देंगे जो इस्लामाबाद के लिए एक सबक और दूसरों के लिए एक मिसाल होगा. 

अब्दुल मतीन कानी ने कहा, "यह सच है कि हमारे पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन क्या नाटो के पास नहीं थे? क्या अमेरिका के पास नहीं थे? उन्होंने बीस साल तक अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ी और सबसे बड़े बमों का इस्तेमाल किया. पाकिस्तान के पास अब कुछ हथियार जरूर हैं, कमोबेश, लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान के लोगों ने कभी किसी के आगे घुटने नहीं टेके हैं."

बता दें कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव के बाद कतर की मध्यस्थता के बाद शांति समझौता हुआ था. इसके बाद पहली राउंड की वार्ता कतर में हुई और दूसरे राउंड की वार्ता तुर्की में हो रही थी. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement