लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में इन दिनों एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने डॉक्टरों से लेकर आम लोगों तक को हैरत में डाल दिया है. डेढ़ साल के एक बच्चे की पीठ के निचले हिस्से में जन्म से ही एक पूंछ जैसी संरचना विकसित हो रही थी. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता गया, यह पूंछ भी बढ़ती चली गई. परिवार शुरू में इसे मामूली उभार समझता रहा, लेकिन जब इसकी लंबाई 14 सेंटीमीटर तक पहुंच गई और बच्चे को लेटना-सोना, खेलना तक मुश्किल होने लगा, तब उन्हें चिंता हुई.
यह मामला डॉक्टरों के लिए भी नया और दुर्लभ था. इतने छोटे बच्चे में इतनी विकसित पूंछ देखना अपने आप में असाधारण है. अस्पताल में जब बच्चे को लेकर आया गया, तो पहली नजर में ही डॉक्टर समझ गए कि यह कोई सामान्य त्वचा या हड्डी की समस्या नहीं है. बच्चे के शरीर के इस हिस्से को छूने मात्र से ही उसे दर्द होता था, और हर दिन बढ़ती यह संरचना उसके दैनिक जीवन में बाधा बन चुकी थी.
हर महीने बढ़ती चली गई
परिवार ने डॉक्टरों को बताया कि जन्म के समय यह उभार बहुत छोटा था, शायद डेढ़–दो सेंटीमीटर. घरवालों ने सोचा कि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा, यह अपने आप सामान्य हो जाएगा. लेकिन हुआ उल्टा. बच्चे की उम्र बढ़ी और यह पूंछ भी उसके साथ बढ़ती चली गई. बच्चे की मां ने डॉक्टरों को बताया, हम उसे कपड़े पहनाते थे तो वह बहुत रोता था. जब भी वह पीठ के बल लेटता, दर्द से चीख पड़ता. पहले सोचा कि चर्म रोग होगा, लेकिन जब यह हिस्सा दिन-ब-दिन बढ़ने लगा तो डर लगने लगा कि कहीं कोई बड़ी दिक्कत न हो. गांव और मोहल्ले में इसे लेकर कई तरह की बातें होने लगीं. किसी ने इसे दैवी संकेत कहा, तो किसी ने अजीब बीमारी का नाम दे दिया. लेकिन परिवार ने अंधविश्वासों को नजर अंदाज़ करते हुए बच्चा डॉक्टरों के पास ले जाने का फैसला किया.
डॉक्टरों की जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच
बलरामपुर अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने विस्तृत जांच कराई. एमआरआई रिपोर्ट आई तो मामले की गंभीरता साफ हो गई. यह असल में स्पाइना बिफिडा ऑक्ल्टा नामक जन्मजात स्थिति से उत्पन्न पूंछ थी. आम भाषा में कहें तो बच्चे की रीढ़ की हड्डी पूरी तरह बंद होकर विकसित नहीं हुई थी और उसी स्थान से एक असामान्य वृद्धि बाहर निकल आई थी. सबसे जटिल बात यह थी कि यह पूंछ सिर्फ त्वचा के ऊपर नहीं थी. इसकी जड़ रीढ़ की झिल्लियों और नर्वस टिश्यू से जुड़ी हुई थी.
डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी में हल्की सी भी लापरवाही बच्चे के तंत्रिका तंत्र को जीवनभर के लिए नुकसान पहुंचा सकता था. डॉ. अखिलेश बताते हैं, ऐसे मामले मेडिकल साइंस की किताबों में तो दर्ज हैं लेकिन असल जिंदगी में मिलना बेहद दुर्लभ है. पूंछ बढ़ रही थी और उसका आधार रीढ़ के भीतर तक फैला था, जो ऑपरेशन को बेहद नाजुक बना रहा था. डॉ. एसए मिर्जा, डॉ. एमपी सिंह की टीम इस मामले में बारीकी से मॉनिटरिंग करते रहे. ऑपरेशन करीब डेढ़ घंटे चला. डॉक्टरों ने पहले पूंछ की बाहरी संरचना को अलग किया, फिर धीरे-धीरे उसकी जड़ को रीढ़ की झिल्ली से बेहद सावधानी के साथ हटाया. एक-एक मिलीमीटर हटाते हुए आखिरकार वह हिस्सा पूरी तरह निकाल दिया गया.
ऑपरेशन के बाद बच्चे की मुस्कान ने डॉक्टरों को राहत दी
सर्जरी सफल रही. बच्चा होश में आने के बाद बिना दर्द के करवट ले पाया और यह उस परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था. बच्चे के पिता ने बताया, हमने कभी नहीं सोचा था कि यह इतना बड़ा मामला होगा. डॉक्टरों ने हमारे बच्चे का जीवन बदल दिया.
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