भाई की मौत, पिता की बीमारी और डॉगी बीमार... लखनऊ की दो बहनों की कहानी जिन्होंने कुत्ते के लिए दे दी जान

लखनऊ में 24 और 22 साल की दो सगी बहनों ने अपने बीमार पालतू डॉग के लिए जान दे दी. पिता छह महीने से गंभीर रूप से बीमार हैं, जबकि छोटे भाई की पहले ही ब्रेन हेमरेज से मौत हो चुकी है. दुखों से घिरी दोनों बहनें डिप्रेशन में चली गईं थी और अब फिनायल पी लिया. इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई.

Advertisement
दोनों बहनों की मौत के बाद घर में जुटी महिलाएं (Photo ITG) दोनों बहनों की मौत के बाद घर में जुटी महिलाएं (Photo ITG)

अंकित मिश्रा

  • लखनऊ,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

लखनऊ में दो बहनों ने अपने पालतू कुत्ते के लिए जान दे दी. लोगों को पहली नजर में यह खबर अजीब लगती है, लेकिन जब इसकी परतें खुलती हैं, तो यह महज पालतू जानवर के लिए उठाया गया कदम नहीं, बल्कि सालों से उनके भीतर जमा होते दुखों की वह चीख है, जिसे किसी ने समय रहते नहीं सुना.

लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र की रहने वाली राधा (24) और जिया (22) ने जिस डॉग के लिए अपनी जिंदगी खत्म की, वह उनके लिए सिर्फ कुत्ता नहीं था. टोनी नाम का वह जर्मन शेफर्ड उनके लिए सब कुछ था. जब टोनी बीमार पड़ा और तमाम इलाज के बावजूद उसकी हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई, तो दोनों बहनों के लिए जैसे सब कुछ खत्म हो गया. लेकिन यह कहानी टोनी की बीमारी से शुरू नहीं हुई थी.

Advertisement

ऐसा बोझ जिसे किसी से कह नहीं सकी 

इस घर में दुख पहले से मौजूद था. चुपचाप, गहराई में, लगातार. छह महीने से पिता गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. जो कभी परिवार की ताकत थे, आज खुद बिस्तर पर थे. उनकी लाचारी हर दिन बेटियों की आंखों के सामने थी. दवाइयां, अस्पताल, खर्च और भविष्य की अनिश्चितता. इन सबने राधा और जिया के कंधों पर ऐसा बोझ डाल दिया था, जिसे वे किसी से कह नहीं पाईं. इससे पहले भी इस परिवार ने सबसे बड़ा आघात झेला था. सात साल पहले छोटे भाई की ब्रेन हेमरेज से अचानक मौत हो गई थी. राधा और जिया अपने भाई से बेहद जुड़ी थीं. उसका यूं चले जाना उनके भीतर एक ऐसा खालीपन छोड़ गया, जो कभी भरा ही नहीं.

एक साथ पी लिया फिनायल 

Advertisement

इन सबके बीच टोनी ही था, जो बिना बोले उनका दर्द समझता था. वही उनके अकेलेपन का साथी बना, वही उनके लिए जिंदा रहने की वजह. लेकिन जब वही टोनी बीमारी से तड़पने लगा, तो बहनों को लगा जैसे उनसे आख़िरी रिश्ता भी छीना जा रहा है. धीरे-धीरे दोनों बहनें ड्रिप्रेशन में आ गई. वे बाहर से सामान्य दिखती रहीं, लेकिन भीतर सब कुछ टूट चुका था. पिता की बीमारी, भाई की मौत का अधूरा शोक और टोनी की बिगड़ती हालत. तीनों मिलकर उनके लिए असहनीय हो चुके थे. आखिरकार उन्होंने एक साथ फिनायल पी लिया.

हम नहीं बचेंगे, टोनी को घर से मत निकालना 

हालत बिगड़ने पर मां से कहा हमने फिनायल पी लिया है. अब हम नहीं बचेंगे. हमारे बाद टोनी को घर से मत निकालना, उसकी दवा कराते रहना. ये शब्द किसी जिद के नहीं थे, बल्कि उस टूटे मन की आख़िरी इच्छा थे, जिसने जिंदगी से हार मान ली थी. इस एक फैसले ने एक बीमार पिता से उसकी दोनों बेटियों को छीन लिया, एक मां की गोद हमेशा के लिए सूनी कर दी और पूरे मोहल्ले को स्तब्ध कर दिया.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement