सिर्फ एक आवारा बिल्ली के कारण यहां मौत के मुंह में चला गया इंसान

एक आवारा बिल्ली द्वारा पंजे मारने के बाद एक व्यक्ति की मौत हुई है. बताया जा रहा है कि व्यक्ति के शरीर में अलास्कापॉक्स नामक वायरस ने अपनी जगह बनाई और ये पहली बार हुआ जब ये वायरस,इंसान की मौत का कारण बना.

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यूके में बिल्ली द्वारा पंजा मारने के बाद एक व्यक्ति की मौत हुई है  यूके में बिल्ली द्वारा पंजा मारने के बाद एक व्यक्ति की मौत हुई है 

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 14 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

बिल्लियां भले ही क्यूट समझी जाती हों, लेकिन क्या वो किसी की मौत की वजह बन सकती हैं? जी हां एक आवारा बिल्ली का एक व्यक्ति को पंजा मारना भर था. व्यक्ति के शरीर में अलास्कापॉक्स नामक वायरस ने अपनी जगह बनाई और ये पहली बार हुआ जब ये वायरस, किसी की मौत की वजह बना.

कहा जा रहा है कि ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस की एक प्रजाति के रूप में पहचान रखने और चेचक से निकटता रखने वाले अलास्कापॉक्स के 2015 के बाद से, केवल सात मामले खोजे गए हैं.

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मरने वाले व्यक्ति के संबंध में माना यही जा रहा है कि उसकी मौत का कारण बिल्ली द्वारा पंजा मारना है. पंजे के जरिये व्यक्ति के शरीर में इस वायरस का संचार हुआ और उसकी प्रतिरक्षा कमजोर हुई जिस कारण उसकी मौत हुई.

इस वायरस को सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में फेयरबैंक्स, अलास्का में खोजा गया था. और इसे AKPV के रूप में संदर्भित किया गया था, हालांकि ऐसा माना जाता है कि यह इससे पहले भी प्रसारित हो रहा था.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह छोटे कृंतकों से लोगों में फैलता है और त्वचा पर छोटे घाव और हलकी फुल्की बीमारी का कारण बनता है, इससे व्यक्ति कि लिम्फ नोड्स में सूजन और मांसपेशियों में दर्द भी होता है.

इस वायरस के विषय में दिलचस्प ये भी है कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि यह मनुष्यों के बीच प्रसारित हो सकता है. इसके बावजूद, अलास्का स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा यह सलाह दी गई है कि त्वचा के घावों को पट्टियों से ढंकने से इस बीमारी को रोका जा सकता है.

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इंपीरियल कॉलेज लंदन में संक्रामक रोग विभाग में रिसर्च फेलो और एसेक्स विश्वविद्यालय में आणविक विषाणु विज्ञान के व्याख्याता डॉ. स्टैथिस गियोटिस ने कहा कि वायरस कैसे फैलता है, इसका पता लगाने के मामले में वैज्ञानिकों को अभी भी काफी दूरी तय करनी है.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 'हालांकि हम जानते हैं कि वायरस छोटे कृंतकों, जैसे कि वोल्स और छछूंदरों में फैलता है, अतीत में कुछ रोगियों ने कहा था कि उन्हें मकड़ियों, बिल्लियों या कुत्तों ने काट लिया था. हम वास्तव में नहीं जानते कि यह कैसे फैला है.

वहीं कहा ये भी गया है कि इस मामले के मद्देनजर बहुत ज्यादा चिंतित होने की कोई जरूरत है. वायरस और लोगों में न फैले इसके लिए लगातार सुझाव दिए जा रहे हैं. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि इंसान को जानवरों से उचित दूरी बनाकर ही रहना चाहिए.

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