1986 में लापता हुआ था माउंटेनियर, 37 साल बाद ऐसी हालत में मिले शव के अवशेष

माउंटेनियर्स को पहाड़ों पर चढ़ते हुए विषम परिस्थितियों का सामने करना पड़ता है जिसके चलते कई बार उनकी मौत भी हो जाती है. ऐसी ही स्थिति में एक माउंटेनियर 37 साल पहले लापता हो गया था. पुलिस को अब जाकर बर्फ में उसके शव के अवशेष बरामद हुए हैं.

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Pic- Swiss police Pic- Swiss police

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

37 साल पहले स्विट्जरलैंड के प्रतिष्ठित मैटरहॉर्न पर्वत के पास चढ़ाई के दौरान लापता हुए एक जर्मन व्यक्ति के शव  के अवशेष अब जाकर बरामद हुए हैं. डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई कि अवशेष उस 38 वर्षीय व्यक्ति के ही थे, जो सितंबर 1986 में लापता हो गया था.

1986 में लापता हुआ था शख्स

वैलैस कैंटन की पुलिस ने कहा कि यह खोज 12 जुलाई को जर्मेट में थियोडुल ग्लेशियर के किनारे ट्रैकिंग कर रहे पर्वतारोहियों द्वारा की गई थी. पुलिस ने एक बयान में कहा, "डीएनए टेस्ट से इस पर्वतारोही की पहचान संभव हो पाई जो 1986 से लापता था."

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सामने आई बर्फ से चिपके अवशेषों की तस्वीर

दरअसल, सितंबर 1986 में, एक 38 साल के जर्मन पर्वतारोही के ट्रैकिंग से नहीं लौटने के बाद लापता होने की सूचना दी गई थी." हालांकि शव मिलने के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति की पहचान या उसकी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में विवरण नहीं दिया.

पुलिस ने बर्फ से चिपके हुए लाल फीते वाले के जूते की तस्वीर साझा की, जो पर्वतारोही की थी. बता दें कि सिकुड़ते ग्लेशियर अक्सर मृत पर्वतारोहियों के शरीर को सामने लाते हैं. स्विस जलवायु विज्ञानियों और अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में देश के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके लिए वे कुछ हद तक मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानते हैं.

पहले भी पिघलते ग्लेशियर पर मिले शव

सिकुड़ते ग्लेशियरों के कारण पिछले कुछ दशकों में गायब हुए पर्वतारोहियों के शवों की खोज हुई है. 2015 में, दो युवा जापानी पर्वतारोहियों के अवशेष पाए गए थे, जो 1970 के बर्फीले तूफान में मैटरहॉर्न पर लापता हो गए थे और डीएनए परीक्षण के माध्यम से उनकी पहचान की पुष्टि की गई थी. 

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बदतर दर से पिघल रहे ग्लेशियर

पिछले साल, स्विट्ज़रलैंड के ग्लेशियरों ने एक सदी से भी अधिक समय पहले रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से पिघलने की सबसे खराब दर दर्ज की थी. उन्होंने अपनी शेष मात्रा का 6% खो दिया, जो 2003 में पिछले रिकॉर्ड से लगभग दोगुना है.

 

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