क्या हो सकते हैं पाकिस्तान के दो टुकड़े? किस शर्त पर अलग देश बन सकता है बलूचिस्तान...

पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी का कुछ दिनों पहले मीर बलोच ने औपचारिक ऐलान किया है. इसी के साथ ही उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र से समर्थन की अपील की है. ऐसे में जानते हैं कि कैसे कोई अलग देश का निर्माण हो सकता है?

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बलूचिस्तान की आजादी से जुड़े प्लेकार्ड लिए लोग बलूचिस्तान की आजादी से जुड़े प्लेकार्ड लिए लोग

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST

कुछ दिनों पहले बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से अलग आजादी की घोषणा की है. बलूचिस्तान के बलूच नेता मीर यार बलोच ने पाकिस्तान से अपने क्षेत्र की आजादी की घोषणा करते हुए संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की अपील की है ताकि बलोच लोगों को पाकिस्तान से आजाद कराया जा सके. 

मीर बलोच बलूचिस्तान में लोगों पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से की जा रही हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी का औपचारिक ऐलान किया है. इसी के साथ ही उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की अपील की है. 

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क्या दो हिस्सों में बंट सकता है पाकिस्तान 
ऐसे में क्या कभी पाकिस्तान के दो टुकड़े हो सकते हैं या फिर अंतरराष्ट्रीय तौर पर क्या बलूचिस्तान को एक अलग देश की मान्यता मिल सकती है? कैसे कोई अलग देश बन सकता है और इसे कैसे मान्यता दी जाती है, जानते हैं इन सवालों का जवाब. 

दिल्ली में दूतावास खोलने की मीर यार बलोच ने मांगी इजाजत
मीर यार बलोच ने भारत से नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की इजाजत मांगी. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने, करेंसी और पासपोर्ट के लिए अरबों रुपये का फंड मांगा है. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी भी देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने की प्रक्रिया क्या है?

अलग देश के लिए अनिवार्य तत्व 
अंतराराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ किसी राज्य के चार मुख्य पहलुओं की पहचान करते हैं. इसमें लोग, क्षेत्र, सरकार, तथा संप्रभुता प्रमुख हैं. 

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- लोगों की परिभाषा पर बहुत विवाद है, लेकिन कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि इसका अर्थ है एक स्थायी आबादी जिसकी अपनी राष्ट्रीयता की अवधारणा और उसमें विश्वास हो.

- दूसरी अनिवार्य बात यह है कि राज्य के पास एक निश्चित भूभाग होना चाहिए. उसकी सीमा के भीतर एक क्षेत्र हो. 

- तीसरा, जिस क्षेत्र विशेष के अलग देश होने का दावा कर रहे हैं उस पर वे संप्रभु हों.

- चौथा, कई विशेषज्ञों के अनुसार अलग देश का दर्जा पाने का एक अन्य मानदंड स्थिर और प्रभावी सरकार बताया गया है, जिसमें अन्य देशों के साथ संबंध संचालित करने की क्षमता हो. 

दूसरे देशों का भी चाहिए समर्थन
अलग देश बनाने के लिए सिर्फ इन चार तत्वों और घोषणा से काम नहीं चलता है. इसके लिए जरूरी है, दूसरे देशों से वहां की सरकार और उनके फैसलों को मान्यता मिलना. सबसे जरूरी बात संयुक्त राष्ट्र की ओर से अलग देश की मान्यता प्राप्त करना. 

बिना संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के संभव नहीं है अलग देश बन पाना
संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त हो जाने के बाद किसी भी देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई लाभ मिलते हैं. इसके तहत अंतरराष्ट्रीय कानून की सुरक्षा, विश्व बैंक और आईएमएफ से ऋण प्राप्त करना, सीमाओं पर नियंत्रण और आर्थिक नेटवर्क तथा तंत्रों तक बेहतर पहुंच जैसे फायदे शामिल हैं. इसके अलावा व्यापार कानूनों द्वारा प्रदत्त संरक्षण के कारण व्यापार समझौते करना आसान हो जाता है. लेकिन क्या संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त न होने पर भी आप एक अलग बने रह सकते हैं?

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संयुक्त राष्ट्र से कैसे मिलती है मान्यता 
संयुक्त राष्ट्र से अलग देश की मान्यता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक आवेदन पत्र भेजना होता है. इसमें लिखा होता है कि क्षेत्र एक राष्ट्र के रूप में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर यानी संविधान का पालन करेगा.

स्थायी सदस्यों में से एक की असहमति से रद्द हो जाएगा आवेदन
संयुक्त राष्ट्र को आवेदन मिलने के बाद उसे सुरक्षा परिषद के पास भेजा जाता है. सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से कम से कम नौ सदस्य देशों का उस क्षेत्र विशेष के देश बनने के प्रस्ताव को समर्थन देना जरूरी होता है. परिषद के 15 सदस्य देशों में से पांच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका और अगर इनमें से किसी एक देश ने भी क्षेत्र के देश बनने के खिलाफ मतदान किया तो आवेदन रद्द हो जाता है.

यह भी पढ़ें: 'बलूचिस्तान अब PAK का हिस्सा नहीं', बलोच नेता ने किया आजादी का ऐलान, भारत समेत ग्लोबल समुदाय से मांगा समर्थन

संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो तिहाई बहुमत की जरूरत
अगर आवेदन को मंजूरी मिल जाती है तो संयुक्त राष्ट्र में देश के शामिल होने के लिए परिषद की सिफारिश को महासभा में ले जाया जाता है. महासभा में 193 सदस्य देश हैं और किसी नए देश को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता पाने के लिए महासभा के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.

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