पति की मौत कैसे हुई? शव कहां गया? 84 दिन की लड़ाई के बाद पत्नी ने ढूंढ निकाले सवालों के जवाब

Assam Urvashi Moran: असम की रहने वाली उर्वशी का 1764 घंटों का इंतजार उस वक्त खत्म हुआ, जब एक गहरी कोयला खदान से उनके पति का शव निकाला गया. इसके लिए उन्होंने जो संघर्ष किया, वो कभी भुलाया नहीं जा सकता.

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उर्वशी मोरान ने पति का शव घर लाने के लिए खूब संघर्ष किया (तस्वीर- East Mojo) उर्वशी मोरान ने पति का शव घर लाने के लिए खूब संघर्ष किया (तस्वीर- East Mojo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

शादी को अभी 5 साल ही पूरे हुए हैं. रोज की तरह पति काम पर गए थे, घर पर एक छोटा बच्चा है. वो अपने पापा का इंतजार करता रहा, लेकिन वो नहीं लौटे. गए तो ऐसे गए कि शव तक नहीं मिल रहा था.

ये कहानी असम के तिनसुकिया जिले के हुकानी गांव की रहने वाली उर्वशी मोरान की है. उनके 1764 घंटों का इंतजार आज लोगों को पता चल रहा है. इससे पहले इस पर किसी ने बात करने की ज्यादा जहमत नहीं उठाई. 

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उनके पति प्रांजल मोरान 6 जनवरी को लीडो शहर के पास एक अवैध कोयला कोयला खदान में मजदूरी करने गए थे. इसके बाद वो लापता हो गए. कुछ दिन बाद उर्वशी को बताया गया कि उनके पति की मौत हो चुकी है.

उर्वशी का कहना है कि उन्होंने 12 जनवरी को पति से आखिरी बार बात की थी. वो दो दिन बाद ही माघ बीहू का त्योहार मनाने के लिए घर आने वाले थे. उन्होंने बेटे का ध्यान रखने और अपनी चिंता नहीं करने को कहा था. 

5 लाख रुपये देने की बात कही

फिर अचानक 2 फरवरी को एक शख्स घर पर आया. उसने उर्वशी से कहा कि आपके पति का शव खदान में देखा गया है, जो सड़ गया है. इसलिए उसे लाना संभव नहीं है. कोयला खदान में इस तरह की घटनाएं होना आम बात है.

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खदान का मालिक 5 लाख रुपये देने को तैयार है. यहीं से उर्वशी की लड़ाई शुरू हुई. तब लोगों ने भी उर्वशी को यही सलाह दी कि पैसे ले लो और पति का शव वहीं रहने दो. लेकिन उर्वशी ने किसी की बात नहीं सुनी.

84 दिनों तक किया संघर्ष

शादी के सात फेरे और मोहब्बत में कितनी ताकत होती है, ये उर्वशी के संघर्ष ने साबित कर दिया. उन्होंने ठान लिया था कि पति के शव को कैसे भी करके खोजना है. इसके लिए पुलिस थानों के अनगित चक्कर लगाने पड़ रहे थे.

तिनसुकिया जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना भी दिया. इतने पर भी बात नहीं बनी, तो 3 साल के मासूम बेटे के साथ 500 किलोमीटर का सफर तय कर गुवाहाटी जाकर धरना दिया. वह तीन बार गुवाहाटी गई थीं.

पति का शव ढूंढकर घर लाईं

उर्वशी का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने उनकी मदद की है. वहीं आईजीपी ने बीते शुक्रवार को उनके पति का शव सौंपा. तब जाकर पूरे रीति रिवाज के साथ प्रांजल का अंतिम संस्कार किया गया. उर्वशी के चचेरे भाई उमामंद मुदोई मोरान इस लड़ाई में उनके साथ रहे.

पुलिस ने उर्वशी के पति का शव ढूंढने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मदद ली. बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया. तब जाकर प्रांजल का शव एक गहरी कोयला खदान से बाहर निकाला गया.

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उर्वशी ने असम के डीजीपी जीपी सिंह से मुलाकात की थी. जिसके बाद शव को ढूंढने में तेजी लाई गई. पुलिस ने इस मामले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया है. जांच में इसे कोयला खदान में हुई दुर्घटना बताया गया है. मगर अब भी उर्वशी के मन में एक सवाल है, और वह है पति की मौत का सही कारण पता करना.

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