हममें से हर कोई जैसे ही हवाई अड्डे के ड्यूटी-फ्री स्टोर के अंदर जाता है, सामानों को देखकर मन खुश हो जाता है. एक तरफ व्हिस्की की सजी हुई बोतलें, तो दूसरी तरफ ब्रांडेड परफ्यूम रखे होते हैं. हर जगह बड़े-बड़े बोर्ड दिखाई देते हैं, जिन पर लिखा होता है टैक्स-फ्री. ऐसे में हमें तुरंत लगता है कि खरीदारी का इससे अच्छा मौका मिल ही नहीं सकता. लेकिन क्या सच में हर डिस्काउंट उतना ही बढ़िया होता है, जितना हमें दिखता है? यह बात सही है कि टैक्स नहीं लगता, तो कीमत कम होनी चाहिए, पर पैसों का हिसाब-किताब अक्सर यहां अलग निकलता है. आइए, इस पूरी सच्चाई को समझते हैं और जानते हैं कि ड्यूटी-फ्री में खरीदारी करना कब सचमुच फायदे का सौदा होता है और कब हमें नुकसान हो सकता है.
ड्यूटी-फ्री शॉपिंग आखिर है क्या?
सरल भाषा में कहा जाए तो ड्यूटी-फ्री शॉपिंग का मतलब है ऐसी खरीदारी जिस पर आप स्थानीय टैक्स नहीं देते. विदेश जाने वाले यात्रियों को यह छूट मिलती है, इसलिए माना जाता है कि कीमतें कम होंगी. लेकिन असली खेल यहीं शुरू होता है. टैक्स भले न लगे, लेकिन बेस प्राइस यानी मूल कीमत तय करने का अधिकार पूरी तरह दुकान वालों के पास होता है. वे चाहें तो कीमतें ऊंची रख सकते हैं. ऐसे में ‘टैक्स-फ्री’ का टैग सिर्फ एक आकर्षण बन जाता है.
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मुद्रा और मार्क-अप का खेल
सिर्फ टैक्स हट जाने से ही सामान की कीमत कम नहीं हो जाती. पैसे बदलने की दर, कंपनी का अपना मुनाफा और आपके देश में लगने वाला टैक्स ये सब मिलकर उस बचत को खत्म कर सकते हैं. हो सकता है कि आप काउंटर पर तो कम पैसे दें, लेकिन जब आप सारे खर्चों को जोड़ेंगे, तो पता चलेगा कि आपको अपने शहर की किसी दुकान से ज्यादा या उतना ही खर्च करना पड़ गया. इसलिए, यह बात जानना बहुत जरूरी है कि हर हवाई अड्डा एक जैसी कीमत बिल्कुल नहीं देता.
जगह के हिसाब से बदलती हैं कीमतें
ड्यूटी-फ्री में किसी सामान की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस हवाई अड्डे से उड़ान भर रहे हैं. जिन एयरपोर्ट पर दुकान का किराया, कर्मचारियों को दी जाने वाली सैलरी और सामान मंगाने का शुल्क (टैक्स) ज्यादा होता है, वहां ड्यूटी-फ्री स्टोर भी अपने सामान की कीमतें बढ़ा देते हैं. ये सारे खर्च सीधे ग्राहक की जेब से वसूले जाते हैं.
उदाहरण के लिए हो सकता है कि आपको व्हिस्की की एक बोतल दिल्ली एयरपोर्ट पर सस्ती मिले, लेकिन सिंगापुर के एयरपोर्ट पर वह महंगी हो, क्योंकि वहां दुकान चलाने का खर्च ज्यादा है. यहां तक कि एक ही परफ्यूम की कीमत दो अलग-अलग एयरपोर्ट पर अलग-अलग हो सकती है. इसलिए, यह सोचना छोड़ दें कि आपको पूरी दुनिया में एक ही रेट मिलेगा. हर ड्यूटी-फ्री स्टोर की कीमतें उस हवाई अड्डे के हिसाब से अलग होती हैं.
हर चीज खरीदना फायदेमंद नहीं
ड्यूटी-फ्री सेक्शन में हर सामान पर बचत नहीं होती.
सबसे ज्यादा फायदा: शराब, तंबाकू और परफ्यूम अक्सर सबसे ज्यादा बचत देते हैं, क्योंकि इन पर हमारे देश में टैक्स बहुत अधिक लगता है.
कम फायदा: इलेक्ट्रॉनिक्स, हैंडबैग या मेकअप के सामान पर शायद ही कोई बड़ी बचत होती है. क्योंकि इनकी शुरुआती कीमतें पहले से ही ऊंची होती हैं और इन पर टैक्स का असर कम होता है, इसलिए टैक्स हटने से भी बड़ी छूट नहीं मिलती.
जरूरी सलाह: हवाई अड्डे पर कोई भी महंगा सामान खरीदने से पहले, अपने फोन पर उसकी ऑनलाइन कीमत जरूर जांच लें. कहीं 'एयरपोर्ट स्पेशल प्राइस' ही सबसे महंगा न निकल जाए.
कार्ड चार्ज और पैसे बदलने का बड़ा खेल
विदेश में कोई सामान सस्ता लग सकता है, लेकिन पैसे बदलने की दर और कार्ड पर लगने वाले शुल्क को ध्यान में रखें, तो वह आखिर में महंगा पड़ सकता है. क्योंकि कई क्रेडिट कार्ड विदेश में लेनदेन करने पर अलग से शुल्क लगाते हैं. यही नहीं हवाई अड्डे पर मुद्रा बदलने की दरें भी अक्सर ग्राहकों के लिए सही नहीं होतीं. अगर आप 60 पाउंड का परफ्यूम खरीदते हैं, तो हो सकता है कि जब आपके बैंक स्टेटमेंट में पैसे कटें, तो वह भारतीय बाजार की कीमत से भी ज्यादा हो जाए. ऐसे में अगर आप बार-बार यात्रा करते हैं, तो ट्रैवल कार्ड का इस्तेमाल करें और भुगतान करने से पहले हमेशा पैसे बदलने की दरें जरूर देख लें.
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मार्केटिंग और मनोविज्ञान का असर
ड्यूटी-फ्री स्टोर ग्राहकों के मन को अच्छी तरह समझते हैं. ये स्टोर अक्सर खास यात्रा सेट, सुंदर पैकिंग वाले सामान और सिर्फ एयरपोर्ट पर मिलेगा जैसे सामान पेश करते हैं. ये सब आपको प्रीमियम अनुभव देने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, लेकिन इनकी कीमत लोकल बाजार में मिलने वाले सामान्य सामान से अधिक हो सकती है. कई बार, आप सामान की कीमत के बजाय उसकी आकर्षक पैकिंग के लिए ज्यादा पैसे दे रहे होते हैं. ऐसे में खरीदने से पहले खुद से पूछें कि क्या यह असली छूट है, या सिर्फ बेचने का एक तरीका है.
कस्टम्स भत्ता: सीमा जानना जरूरी
आप ड्यूटी-फ्री में जितनी भी खरीदारी करें, इस बात को हमेशा याद रखें कि कस्टम्स विभाग ही आपकी आखिरी सीमा तय करता है. नेपाल, भूटान और म्यांमार को छोड़कर, किसी भी दूसरे देश से भारत लौट रहे भारतीय नागरिक 50,000 रुपये तक का सामान टैक्स-फ्री ला सकते हैं. ध्यान रखें, इस 50,000 रुपये की कुल सीमा में 2 लीटर शराब और तंबाकू उत्पाद भी शामिल हैं. हालांकि, नेपाल, भूटान या म्यांमार से आने वाले यात्रियों के लिए यह सीमा केवल 15,000 रुपये है. अगर आप इस तय सीमा से ज्यादा का सामान लाते हैं, तो आपको उस पर कस्टम ड्यूटी देनी पड़ सकती है और ऐसा होते ही आपकी सारी बचत पल भर में खत्म हो जाएगी.
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