दशहरा सिर्फ एक त्योहार नहीं है, यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत प्रदर्शन है और जब इसके साथ वीकेंड मिल जाए, तो यह छुट्टी मनाने और देश के अद्भुत उत्सवों का अनुभव करने का एक शानदार मौका बन जाता है. अगर आप इस दशहरे और वीकेंड की छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते हैं, तो कुछ बेहतरीन जगहें हैं जहां त्योहार का रोमांच और यात्रा का मज़ा दोगुना हो जाएगा.
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नैनीताल से कुछ किलोमीटर दूर बसा पंगोट, चहल-पहल से दूर एक ऐसी जगह है, जहां पक्षियों का कलरव आपको नए सवेरे का तोहफ़ा देता है. 250 से ज़्यादा पक्षियों की प्रजातियों वाला यह गांव प्रकृति प्रेमियों और शांति चाहने वालों के लिए आदर्श जगह है. यहां दशहरे की छुट्टियों को धुंध से ढकी पहाड़ियों और ट्रैकिंग पगडंडियों पर बिताई जा सकती हैं.
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गंगा किनारे बसा ऋषिकेष दशहरे पर रोमांच और अध्यात्म का मेल करवाता है. इसके अलावा दिन में रिवर राफ्टिंग का मज़ा और शाम को गंगा आरती का दिव्य अनुभव इस यात्रा को खास बना देते हैं. यही नहीं योग और ध्यान की चाह रखने वालों के लिए भी यह जगह परफ़ेक्ट है.
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पार्वती घाटी का कसोल अपने कैफ़े, ट्रेक और कल्चर के लिए मशहूर है. वहीं कुल्लू का दशहरा तो भारत के सबसे बड़े उत्सवों में से एक है, जो हफ़्ते भर चलता है. यहां भगवान रघुनाथ की शोभायात्रा और बर्फ़ से ढकी चोटियां इस सफर को अनोखा बना देती हैं.
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राजस्थान की नीली नगरी जोधपुर दशहरे पर रंग और रौनक से भर जाती है. यहां मेहरानगढ़ किले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सरदार मार्केट की रौनक और स्थानीय पकवान जैसे मिर्ची बड़ा और मावा कचौरी आपके सफर को स्वादिष्ट बना देंगे.
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दशहरे पर वाराणसी एक जीवंत रंगमंच बन जाता है. यहां रामलीला, रावण दहन और गंगा आरती का संगम ऐसा माहौल रचता है जिसे भुलाना आसान नहीं. इसके अलावा मिठाई और रेशमी साड़ियों से सजी गलियां इस यात्रा को और भी खास बना देती हैं.
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