लाखों लोगों ने प्ले स्टोर से ऐप के बदले वायरस डाउनलोड कर लिया

जिन यूजर्स ने ये ऐप्स डाउनलोड किए हैं उन्होंने ये सोच कर किया है कि ये ट्रक और कार ड्राइविंग गेम है. लेकिन डाउनलोड करने के बाद ये बग वाले ऐप इंस्टॉल हुए और खुलने में भी दिक्कत हुई.

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मुन्ज़िर अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

गूगल प्ले स्टोर से गेमिंग के नाम पर लाखों लोगों ने अपने स्मार्टफोन में मैलवेयर डाउनलोड कर लिया है. सिक्योरिटी रिसर्चर के मुताबिक गूगल प्ले पर 13 ऐसे गेम थे जिनमें मैलवेयर था. इन ऐप्स में कार और ट्रक रेसिंग गेम्स शामिल थे जिसे अब प्ले स्टोर से हटा लिया गया है.

गूगल के एक प्रवक्ता के मुताबिक गूगल प्ले से ये ऐप्स हटा लिए गए हैं. उन्होंने कहा है, ‘यूजर्स को सेफ और सिक्योर एक्सपीरिएंस देना हमारी प्राथमिकता है. गूगल प्ले को ज्यादा सिक्योर बनाने को लेकर रिसर्चर द्वारा की गई रिपोर्ट की सराहना करते हैं. ये ऐप्स हमारी पॉलिसी का उल्लंघन करते थे औक इन्हें हमने प्ले स्टोर से हटा लिया है.’

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रिपोर्ट्स के मुताबिक ये ऐप्स Luiz O Pinto नाम के ऐप डेवेलपर के थे. ऐप डिस्कवरी पोर्टल सॉफ्टोनिक पर ये सभी ऐप्स लिस्ट थे और इनमें जीरो डाउनलोड था.

इन ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से 560,000 बार इंस्टॉल किया गया था. बताया जा रहा है कि ये प्ले स्टोर पर इस तरह का सबसे बड़ा ब्रीच है.

गूगल के साथ ये सिक्योरिटी ब्रीच यूजर्स के लिए भी गंभीर है. क्योंकि गूगल दावा करता है कि गूगल प्ले प्रोटेक्ट लगातार करोड़ों ऐप्स को स्कैन करते हैं और मैलवेयर वाले ऐप्स से निपटते हैं.

प्ले स्टोर की सिक्योरिटी के तमाम दावों के बावजूद भी 13 ऐसे ऐप गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड किए गए जो ऐप थे ही नहीं, बल्कि वो खतरनाक मैलवेयर थे और जिससे यूजर्स का बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐपल के ऐप स्टोर के मुकाबले पहले से गूगल प्ले स्टोर को कम सिक्योर ऐप प्लेटफॉर्म माना जाता है और एक्सपर्ट्स इस मामले पर गूगल की आलोचना भी करते आए हैं.

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रिसर्चर के मुताबिक ये ऐप्स दूसरे डोमेन से पेलोड डाउनलोड करते हैं जो इस्तान्बुल के ऐप डेवेलपर के नाम से रजिस्टर है. ये ऐप मोबाइल में एक तरह का मैलवेयर इंस्टॉल करते हैं और इस प्रोसेस में असली ऐप का आइकॉन डिलीट कर देते हैं. फिलहाल ये साफ नहीं है कि ये खतरनाक ऐप्स करते क्या हैं.

टेक क्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक ये ऐप्स स्मार्टफोन और टैबलेट ओपन होते ही खुद से चलने लगते हैं और इनके पास नेटवर्क ट्रैफिक का पूरा ऐक्सेस होता है जिससे मैलवेयर बनाने वाला शख्स यूजर्स के सीक्रेट चुराने के लिए यूज कर सकता है.

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