ऐपल और गूगल आपके स्मार्टफोन को ही कोरोना ट्रैकिंग डिवाइस में बदल देंगे!

Apple और Google आने वाले कुछ समय में आपके स्मार्टफोन को कोरोना ट्रैकिंग डिवाइस में बदल सकते हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 10:56 AM IST

अमेरिकी टेक कंपनी ऐपल और गूगल कोरोना ट्रैकिंग सिस्टम पर काम कर रहे हैं. वैसे तो Covid-19 को लेकर कई ऐप्स और वेबसाइट्स बन चुकी है. इन ऐप्स में सरकारी और प्राइवेट दो तरह के ऐप्स हैं. लेकिन गूगल और ऐपल का ये सिस्टम आपके स्मार्टफोन को ही कोरोना ट्रैकर में तब्दील करने की तैयारी में हैं.

ऐपल iOS और Android वाले स्मार्टफोन्स दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में एंड्रॉयड और iOS बेस्ड में कोरोना ट्रैकर डायरेक्ट दिया जा सकता है. गूगल और ऐपल स्मार्टफोन बेस्ड इंटीग्रेटेड कोरोना ट्रैकर पर काम कर रहे हैं.

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गूगल और ऐपल मिल कर कोरोना ट्रैकर आईफोन और एंड्रॉयड स्मार्टफोन में पुश करने की तैयारी में हैं. मई के शुरुआत में इन्हें अपडेट के लिए जारी किया जा सकता है.

ऐपल और गूगल द्वारा बनाया गया यह कोरोना ट्रैकर रोलिंग प्रॉक्सिमिटी पर काम करेगा जिसके तहत ब्लूटूथ से ट्रांसफर हो रही जानकारियों का सहारा लिया जाएगा. स्मार्टफोन यूजर अगर कोरोना ट्रैकिंग प्रोग्राम को एनेबल रखता है और किसी कोरोना पीड़ित यूजर के आसा पास आता है तो इसे नोटिफिकेशन के जरिए इसकी जानकारी मिलेगी.

फर्स्ट स्टेज के तौर पर ऐपल और गूगल ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेसेज (API) जारी करेंगी जो एंड्रॉयड और आईफोन के बीच अंतर करेगा. सरकारी हेल्थ एजेंसियां इस API को कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप्स के लिए यूज कर सकेंगे जिससे लोगों को ये अगाह किया जाएगा कि वो कोरोना पेशेंट के कॉन्टैक्ट में आए हैं.

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हालांकि प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए दूसरे यूजर्स जिसे कोरोना के लक्षण हैं उनकी जानकारी अगले यूजर को तो मिलेगी, लेकिन ये कोडेड होगी. अगर कोई क्लोज कॉन्टैक्ट कोरोना की चपेट में आता है तो वो या उनके डॉक्टर्स ये डीटेल्स सेंट्रल सिस्टम में अपलोड करेंगे जो हेल्थ मिनिस्ट्री मैनेज करती है.

कोरोना पेशेंट की डीटेल्स डेटाबेस में एंटर होने के बाद सिस्टम उन सभी आइडेंटिफायर से कॉन्टैक्ट करेगा जो 14 दिन के अंदर उस कोरोना पेशेंट के टच में थे या उनके आस पास थे. इस आधार पर दूसरे लोगों को बताया जाएगा कि आपको भी कोरोना हो सकता है. इसके बाद ये बताया जाएगा कि आगे क्या करना है.

ऐपल ने द वर्ज को बताया है कि लेटेस्ट वर्जन के सॉफ्टवेयर के साथ फोन अपडेट होने के बाद यूजर्स को ऑप्ट इन ऑप्शन दिया जाएगा. अगर यूजर इसके लिए हामी भरते हैं तो फोन आस पास के दूसरे स्मार्टफोन्स को ब्लूटूथ सिग्नल भेजना शुरू करेगी और दूसरे फोन्स के ब्लूटूथ सिग्नल को रिकॉर्ड भी करेगा.

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