झारखंड में खुले में शौच मुक्त क्षेत्र का दावा, हकीकत कुछ और

सरकार का दावा है कि शहर के हर घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है, लेकिन राजधानी रांची के वार्ड संख्या 53 का नायकटोली मोहल्ले का हाल भी बहुत खराब है और यहां से झारखंड विधानसभा से इसकी दूरी महज 5 किलोमीटर और राज्य सचिवालय जहां बड़े नौकरशाह बैठते हैं वहां से इसकी दूरी लगभग 3 किलोमीटर है. लेकिन यहां की हालत बेहद खराब है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

धरमबीर सिन्हा

  • रांची,
  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बीते दिनों झारखंड सहित देश के छह राज्यों को खुले में शौच मुक्त घोषित (ODF) किया था. हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक इन राज्यों ने महज तीन साल के भीतर शहरी क्षेत्रो में ODF का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है, लेकिन क्या यह दावा वास्तव में जमीनी सच्चाई है या फिर यह आंकड़ों की बाजीगरी कर महज लक्ष्य पूरा करने का दिखावा.

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इस बात की सच्चाई की जांच झारखंड के कुछ बड़े शहरों से करते हैं जो शौच मुक्त घोषित (ODF) घोषित किए गए हैं.

रांची में ही निर्माण अधूरा

सरकार के दावों की मानें तो शहर के हर घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है, लेकिन बानगी के तौर पर झारखंड राजधानी रांची के वार्ड संख्या 53 का नायकटोली मोहल्ले का हाल भी बहुत खराब है और यहां से झारखंड विधानसभा से इसकी दूरी महज 5 किलोमीटर और राज्य सचिवालय जहां बड़े नौकरशाह बैठते हैं वहां से इसकी दूरी लगभग 3 किलोमीटर है. लेकिन यहां की हालत बेहद खराब है.

अब सरकार के दावों की मानें तो यहां सभी के घर में शौचालय है. कोई भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता, लेकिन इस दावे की हकीकत यहां आने पर मिलती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि हमारे इलाके में शौचालय का निर्माण शुरू तो जरूर हुआ, लेकिन शौचालयों का निर्माण ठेकेदरों को सौंप दिया गया. जो आधा-अधूरा काम कर शहर से निकल गए. जिसके वजह से आधे से अधिक शौचालय अधूरे पड़े हैं. ऐसे में यहां के अधिकांश लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.

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2 अक्टूबर तक झारखंड को ODF बनाने का दावा

यही हाल झारखंड के दूसरे शहरों का भी है. खुले में शौच मुक्त घोषित किए जाने वाला झारखंड का पहला जिला रामगढ़. इसे सरकार ने बीते साल तीन अप्रैल को ODF जिला घोषित किया था. तब दावा किया गया था कि 2016-17 के दौरान 77,701 शौचालयों का निर्माण कर लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन आज सिर्फ 50 फीसदी शौचालयों का ही इस्तेमाल हो पा रहा है. बाकि शौचालय पानी की किल्लत की वजह से बंद पड़े हैं.

हर शौचालय के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से 12 हजार की अनुदान राशि दी जाती है, लेकिन लोगों का आरोप है कि इसमें अधिकतर ठेकेदारों ने अपनी जेबें गर्म कीं, लेकिन यहां भी पानी की कमी और आधे-अधूरे निर्माण की वजह से ये बंद पड़े हैं.

दूसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि अब केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकारों के बाद शहरी क्षेत्रों के निकाय चुनाव में भी पार्टी को जीत मिली है, ऐसे में अब विकास का कार्य गति पकड़ेगा. वैसे मुख्यमंत्री का दावा यह भी है कि 2 अक्टूबर 2018 तक पूरे राज्य को ODF बना दिया जाएगा.

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