छोटे सैटेलाइट छोड़ने में ISRO अव्वल, फिर भी अंतरिक्ष बाजार में हिस्सेदारी कम

अंतरिक्ष का बाजार 26.29 लाख करोड़ रुपए का है. वर्ष 2017 में सात देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने अंतरिक्ष अभियानों पर करीब 6856 करोड़ रु. खर्च किए. इस बाजार का सबसे बड़ा खिलाड़ी है अमेरिका. भारत छोटे सैटेलाइट छोड़ने के मामले में अभी दुनिया का अग्रणी देश है. इसके सस्ते मिशन की वजह से दुनियाभर के 32 देशों ने भारत से अब तक 269 सैटेलाइट लॉन्च करवाए हैं.

Advertisement
इसरो का श्रीहरिकोटा स्थिस सतीश धवन स्पेस सेंटर. (फोटो-अनिल जायसवाल) इसरो का श्रीहरिकोटा स्थिस सतीश धवन स्पेस सेंटर. (फोटो-अनिल जायसवाल)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

अंतरिक्ष का बाजार 26.29 लाख करोड़ रुपए का है. वर्ष 2017 में सात देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने अंतरिक्ष अभियानों पर करीब 6856 करोड़ रु. खर्च किए. इस बाजार का सबसे बड़ा खिलाड़ी है अमेरिका. इस पूरी राशि में से 57 फीसदी तो सिर्फ अमेरिका ने ही खर्च किए हैं. वहीं, पूरी दुनिया में सैटैलाइट की लॉन्चिंग को लेकर 7 फीसदी का इजाफा हुआ है. फ्रॉस्ट एंज सलिवन की पिछले साल आई रिपोर्ट को माने तो 2018 से 2030 तक पूरी दुनिया में करीब 8 से 10 हजार छोटे सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े जाएंगे.

Advertisement

इस बाजार में करीब 10 से 20 फीसदी का हिस्सा भारत का होगा. हर साल करीब 280 से 560 छोटे व्यावसायिक सैटेलाइट छोड़े जाएंगे. इनमें 1 से 15 किलो के उपग्रह 68 फीसदी होंगे. 16 से 57 किलो तक के सैटेलाइट 25 फीसदी और 76 से 150 किलो तक के सैटेलाइट 6 फीसदी होंगे. 150 से 500 किलो के सैटेलाइट कम होंगे लेकिन इनका भी बाजार बढ़ेगा. भारत छोटे सैटेलाइट छोड़ने के मामले में अभी दुनिया का अग्रणी देश है. इसके सस्ते मिशन की वजह से दुनियाभर के 32 देशों ने भारत से अब तक 269 सैटेलाइट लॉन्च करवाए हैं. 

20 घंटे का काउंटडाउन, जानें- कैसे शुरू हुई Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग

हर साल बढ़ रहा है ISRO का बजट

साल           बजट

2019-20    10,252 करोड़ रु.

2018-19    9918 करोड़ रु.

2017-18    9094 करोड़ रु.

Advertisement

2016-17    8045 करोड़ रु.

Chandrayaan-2 का काउंटडाउन शुरू, जानें-क्यों और कितना अहम है ISRO का ये मिशन

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अभी भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% की है

सैटेलाइट इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक अभी अमेरिका बड़े मिशन कर रहा है. लेकिन भारत के बढ़ते बाजार को देखते हुए वह आने वाले समय में सस्ते लॉन्चिंग की तरफ बढ़ेगा. अंतरिक्ष बाजार में अभी अमेरिका, यूरोप और रुस मिलाकर 75 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं. चीन का बाजार 3 फीसदी का है. जबकि, भारत का सिर्फ 0.5 फीसदी हिस्सा है.

लॉन्चिंग के बाद ऐसे चांद का सफर तय करेगा चंद्रयान-2

भारत की मांग क्यों बढ़ रही है?

पूरी दुनिया में इस समय संचार क्रांति चल रही है. एकदूसरे से जुड़े रहने के लिए संचार उपग्रहों की ज्यादा जरूरत है. 2017 में इसरो ने एकसाथ 104 सैटेलाइट छोड़कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. साथ ही, अंतरिक्ष बाजार का बड़ा खिलाड़ी बनकर सामने आया. अभी संचार उपग्रहों का बाजार ही 8.22 लाख करोड़ का है.

ISRO ने हमें क्या दिया? जानें- सैटेलाइट से हमें क्या होता है फायदा

स्पेस स्टेशन बनाने से भारत को होंगे ये फायदे

स्‍पेस स्‍टेशन से भारत की अंतरिक्ष में बल्कि पृथ्‍वी की निगरानी की क्षमता बढ़ेगी. इस स्टेशन पर भारतीय वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर पाएंगे. स्‍पेस स्‍टेशन में लगे कैमरे से भारत अच्‍छी गुणवत्ता वाली तस्‍वीरें ले पाएगा. भारत जो देखना चाहेगा, उसे आसानी से देख सकेगा. स्पेस स्टेशन से भारत अपने दुश्‍मनों पर आसानी से नजर रख सकेगा. इससे अंतरिक्ष में बार-बार निगरानी उपग्रह भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे खर्च में भी कमी आएगी. स्‍पेस स्‍टेशन को बनाने से 15 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

Advertisement

ये कैसा इनाम? Chandrayaan-2 से पहले सरकार ने काटी ISRO वैज्ञानिकों की तनख्वाह

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement