IPL 2022 Mega Auction: महीनों पहले शुरू होती है तैयारी, जानें टीमें कैसे तय करती हैं किस प्लेयर को खरीदें!

आईपीएल मेगा ऑक्शन से पहले ये जानना भी जरूरी है कि कैसे टीमें किसी भी प्लेयर को खरीदने के लिए महीनों पहले ही तैयारी शुरू कर देती हैं. अलग-अलग जगह जाकर खिलाड़ियों को तलाशा जाता है, फिर ऑक्शन में उनके लिए बोली लगाई जाती है.

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IPL 2022 Mega Auction (File) IPL 2022 Mega Auction (File)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST
  • आईपीएल 2022 का मेगा ऑक्शन 12-13 फरवरी को
  • आईपीएल में इस बार 10 टीमें ले रही हैं हिस्सा

IPL 2022 Mega Auction: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के लिए मेगा ऑक्शन की तैयारी हो गई है. 12 और 13 फरवरी को बेंगलुरु में खिलाड़ियों का सबसे बड़ा मेला लगेगा. कुल दस टीमें इस बार 590 खिलाड़ियों के लिए दाम लगाएंगीं. इस बार से ऑक्शन में बेस प्राइस 20 लाख रुपये से लेकर 2 करोड़ रुपये तक का है.

टीमों की नज़र देशी और विदेशी दोनों तरह के खिलाड़ियों पर रहेगी. लेकिन एक सवाल ये भी है कि कैसे कोई टीम तय करती है कि किस खिलाड़ियों को खरीदना है और उसके लिए कितनी रकम लगानी है. यहां समझने की कोशिश करते हैं...

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आईपीएल की कोई भी टीम जितनी खिलाड़ियों से सजी होती है, उतनी ही सजावट बिहाइंड द सीन हो रही होती है. यानी एक टीम को बनाने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती है. इनमें कोच, असिस्टेंट, फिजियो, मैनेजर समेत अन्य सभी की गिनती होती है और इन्हें लोग टीवी स्क्रीन पर देखते भी रहते ही हैं. 

हालांकि, आईपीएल की टीमें जब ऑक्शन से जुड़ी तैयारियां कर रही होती हैं तब ये पूरा प्रोसेस काफी वक्त पहले शुरू हो चुका होता है. हर टीम के पास अपनी एक स्काउट टीम होती है, जिसका काम टैलेंट को तलाशना होता है. ये टैलेंट देश में हो, किसी जिले के क्रिकेट में हो या फिर किसी अंतरराष्ट्रीय टीम और दूसरे देश में चल रही लीग का हो. 

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ये स्काउट टीम उसी तरह काम करती है, जैसे बीसीसीआई की टैलेंट हंट टीम काम करती थी जिसने महेंद्र सिंह धोनी को लंबे-लंबे छक्के जड़ते हुए दो दशक पहले तलाशा था. आईपीएल टीमों की स्काउट यूनिट में साधारण तौर पर पूर्व क्रिकेटर ही होते हैं. उदाहरण के तौर पर मुंबई इंडियंस के साथ पार्थिव पटेल, आर. विनय कुमार जैसे खिलाड़ी स्काउट की भूमिका में हैं. पंजाब किंग्स के साथ विनायक सामंत, विनायक माने ने स्काउट के रूप में काम किया. 

घर से लेकर विदेश तक होती है तलाश

स्काउट का काम खिलाड़ी को तलाशना, उसके बारे में जानकारी हासिल करना, उसकी कमी, खूबियां समेत पता करना और उसपर रिसर्च करना है. उसके बाद अपनी टीम की जरूरत के हिसाब से उसको लेकर रिपोर्ट तैयार करना है. अधिकतर टीमों के स्काउट रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी या अन्य किसी लोकल टूर्नामेंट में मिल जाते हैं. या हाल ही में टी-20 वर्ल्डकप, अंडर-19 वर्ल्डकप, ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग, बांग्लादेश प्रीमियर लीग, कैरिबियाई प्रीमियर लीग समेत अन्य टूर्नामेंट में भी आईपीएल की टीमों के स्काउट पहुंचे हुए थे. 

मॉक ऑक्शन की प्रक्रिया

किसी भी खिलाड़ी की क्षमता, टीम की जरूरत, अनुभव, उम्र, फिटनेस और तमाम चीज़ों को ध्यान में रखकर ही उसपर रिसर्च की जाती है. जिसके बाद उसके लिए स्काउट और टीम रिसर्चर ही एक तय कीमत को अपने पास तैयार रखते हैं. हर टीम को पता होता है कि उन्हें कितने विकेटकीपर, बॉलर, ऑलराउंडर, देशी या विदेशी खिलाड़ियों की तलाश है. ऐसे में कोई भी ऑक्शन होने से पहले मॉक ऑक्शन किए जाते हैं. 

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यानी नेट प्रैक्टिस, यहां पूरा तामझाम असली जैसा ही होता है और खिलाड़ियों की बोली लग रही होती हैं. लेकिन टीमें अपने हिसाब से तैयारी करती हैं कि किस प्लेयर के लिए बोली कहां तक खिंच सकती है. उसके बाद किसी एक प्लेयर के लिए बजट तैयार किया जाता है. मसलन किसी टीम को एक देशी खिलाड़ी को खरीदना है, उसके लिए 4 करोड़ बजट रखा गया है.

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अगर उस प्लेयर का बेस प्राइस 40 लाख रुपये है, तब बोली की शुरुआत होने पर टीम की ओर से उसके लिए बिड किया जाएगा. अगर दूसरी टीमें भी उसमें इंट्रेस्ट दिखाती हैं तो प्राइस को आगे बढ़ाया जाएगा, लेकिन टीम उस प्लेयर के लिए 4 करोड़ रुपये तक ही बिड बढ़ाएगी क्योंकि मॉक ऑक्शन और प्लान के मुताबिक उतनी ही छूट खुद के लिए तय की गई थी.

जैसे समाचार एजेंसी ने हाल ही में रिपोर्ट किया है कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम ने 12 करोड़ रुपये वेस्टइंडीज़ के ऑलराउंडर जेसन होल्डर के लिए रिजर्व किए हुए हैं, यानी आरसीबी 12 करोड़ तक के बजट के लिए उनकी बोली लगा सकती है. 

हर टीम इसी प्रकार से अपने-अपने टारगेट ऑक्शन में लेकर जाती है और उसके हिसाब से ही बोली लगाना तय करती है. साथ ही ऑक्शन में कई खिलाड़ी अन-कैप्ड होते हैं जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं. ऐसे खिलाड़ियों का बेस प्राइस 20 लाख, 30 लाख या 40 लाख होता है. इन प्लेयर्स को उनकी उम्र, प्रदर्शन और भविष्य की तैयारियों के हिसाब से लिया जाता है. क्योंकि अगर 20 साल का कोई प्लेयर खरीदा जाता है, तो वह टीम के साथ बना रहता है. प्लेइंग-11 में जगह मिले या नहीं, लेकिन टीम उसे आगे के लिए बढ़ावा देती है.  

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अभी किस टीम के पास पर्स में कितने पैसे, कितने खिलाड़ियों को खरीदने की जगह

चेन्नई सुपर किंग्स: 
बजट: 48 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 21
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

दिल्ली कैपिटल्स
बजट: 47.5 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 21
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

कोलकाता नाइट राइडर्स
बजट: 48 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 21
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 6

लखनऊ सुपर जायंट्स
बजट: 59 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 22
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

मुंबई इंडियंस
बजट: 48 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 21
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

पंजाब किंग्स
बजट: 72 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 23
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 8

राजस्थान रॉयल्स
बजट: 62 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 22
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु 
बजट: 57 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 22
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

सनराइजर्स हैदराबाद 
बजट: 68 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 22
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

अहमदाबाद
बजट: 52 करोड़
खिलाड़ियों की जगह: 22
विदेशी खिलाड़ियों की जगह: 7

 

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