Ravichandran Ashwin: रविचंद्रन अश्विन की लंबे अरसे बाद वनडे टीम में वापसी हुई है. इससे पहले टी20 वर्ल्ड कप 2021 के जरिए इस अनुभवी स्पिनर ने टी20 टीम में भी वापसी की थी. वैसे, रविचंद्रन अश्विन कई सालों से भारतीय टेस्ट टीम के अभिन्न अंग बने हुए हैं. 35 साल के अश्विन 429 विकेट्स के साथ भारत के लिए टेस्ट में तीसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं.
... लोगों ने मुझे ताने मारे थे
अब,अश्विन ने कहा है कि एक समय था जब कई लोगों ने उन्हें खत्म बता दिया था. ऑफ स्पिनर ने यह भी खुलासा किया कि जब भी वह चेन्नई में क्लब गेम खेलने जाते थे, तो वह लोगों को कहते सुनते थे कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो गया है. अश्विन ने यह भी स्वीकार किया कि हर बार इन टिप्पणियों पर हंसना उनके लिए आसान नहीं था.
अश्विन ने एक इंटरव्यू में कहा, 'एक खिलाड़ी के रूप में आप आलोचनाओं से घिरे रहते हैं. आप इससे उबरना चाहते हैं. बहुत सारे लोगों ने मुझे खत्म बता दिया था. जब मैं चेन्नई में क्लब गेम्स में जाता था, तब उन मुकाबलों में भी कड़ी मेहनत करता था. उस दौरान मैंने लोगों को यह कहते हुए सुना कि 'यह आदमी यहां इसलिए खेल रहा है क्योंकि उसका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो गया है. मैं ये बातें सुनता रहता था, कभी-कभी इन बातों को हंसी समझकर टालना आसान होता था, तो कभी-कभी बुरा भी लगता था.'
मैं मैदान पर मर सकता हूं लेकिन...
अश्विन ने सिडनी टेस्ट को याद करते हुए कहा, 'सिडनी टेस्ट से पहले मैं गेंदबाजी कर रहा था, तो मुझे लगा कि अगर मुझे 100 ओवर करने हैं तो मैं टेस्ट मैच में नहीं जा सकता. मुझसे सवाल पूछा गया कि क्या आप पहली पारी में 50 और दूसरी पारी में 50 ओवर फेंक सकते हैं. मैंने कहा कि मैं दर्द को परे रखकर गेंदबाजी कर सकता हूं क्योंकि मैं क्रिकेट मैदान पर मर सकता हूं, लेकिन मैं कभी भी एक प्रतियोगिता से दूर नहीं जा सकता.'
रविचंद्रन अश्विन ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान वह उठने के बाद खुद से कहते थे कि उनमें कुछ बचा है और लोग उनके बारे में क्या बोलते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. ऑफ स्पिनर ने कहा कि यह उनके लिए एक कठिन लड़ाई थी. अश्विन को लगता है कि वह दिमागी रूप से ज्यादा सकारात्मक होने के साथ ही बेहतर तरीके से खाना खा रहे हैं और ट्रेनिंग कर पा रहे हैं.
अश्विन ने कहा, 'मैं हर दिन महामारी के दौरान खुद से कहता था – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या सोचते हैं, लेकिन मेरे अंदर अब भी काफी कुछ बचा है. इस तरह से मैं छोड़ना नहीं चाहता था और यह एक कठिन लड़ाई हुआ करती थी. मैं दिन में दो बार ट्रेनिंग करता था. मैंने काफी आहार विशेषज्ञों के साथ समीक्षा की. मैं निश्चित रूप से बेहतर खा रहा हूं, बेहतर प्रशिक्षण ले रहा हूं और मेरे दिमाग में अब अधिक पॉजिटिविटी है.'
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