आईसीसी का वो अजीबोगरीब नियम... जिसने न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम का सबसे बड़ा सपना तोड़ दिया था. वो सपना था वर्ल्ड कप जीतने का. उस नियम ने कीवी टीम का तो सपना तोड़ दिया, मगर इंग्लैड की लॉटरी लग गई थी. जी हां! बात हो रही साल 2019 के क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल की. ठीक 5 साल पहले आज (14 जुलाई) ही के दिन लॉर्ड्स में ऐतिहासिक फाइनल खेला गया था. तब मेजबान इंग्लैंड पहली बार वनडे वर्ल्ड कप में चैम्पियन बनने में कामयाब रहा था.
हार के बाद कीवी खिलाड़ियों का टूटा दिल!
इंग्लिश टीम की यह जीत काफी विवादों में रही थी. दरअसल फाइनल मुकाबला टाई हो गया था. उसके बाद सुपर ओवर हुआ, तो वह भी टाई हो गया था. इसके बाद जीत-हार का फैसला मैच के दौरान सबसे ज्यादा बाउंड्री लगाने के आधार पर हुआ. इस मामले में इंग्लैंड की टीम न्यूजीलैंड पर भारी पड़ी. इंग्लैंड ने पूरे मैच में कुल 26 बाउंड्री लगाई थी, जबकि न्यूजीलैंड के खाते में 17 बाउंड्री ही थी. सुपर ओवर में लगाई गई बाउंड्री भी काउंट की गई थी. इसी आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया. खिताबी मैच में हार के बाद कीवी खिलाड़ियों की आंखें नम हो गई थीं.
आईसीसी के उस 'बाउंड्री काउंट नियम' की जमकर आलोचना हुई. ऐसे में 3 महीने बाद ही यानी अक्टूबर 2018 में आईसीसी ने इस नियम को हटा लिया. यानी अब कोई भी टीम बाउंड्री की गिनती के आधार पर विजेता नहीं बन सकती है. आईसीसी ने तब स्पष्ट कर दिया था कि वनडे वर्ल्ड कप के दौरान ग्रुप स्टेज में अगर सुपर ओवर टाई रहता है, तो इसके बाद मुकाबला टाई ही रहेगा. जबकि दूसरी तरफ सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबला 'सुपर ओवर' में तब तक जारी रहेगा, जब तक एक टीम दूसरी टीम से ज्यादा रन नहीं बना लेती.
बता दें कि फाइनल मैच में न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 241 रन बनाए. इंग्लैंड को वर्ल्ड चैम्पियन बनने के लिए 242 रनों की जरूरत थी, लेकिन मेजबान टीम भी 50 ओवरों में 241 रन ही बना सकी और मैच टाई हो गया. इस टाई मैच का नतीजा निकालने के लिए सुपर ओवर कराया गया, जिसमें इंग्लैंड ने 15 रन बनाए और बाद में न्यूजीलैंड भी 15 रन ही बना पाया. इसलिए मैच यहां भी टाई हो गया. फिर मैच में किस टीम की ओर से ज्यादा बाउंड्री लगी, इसके आधार पर विजेता तय हुआ.
... मैच का ये रहा सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट
वैसे मैच का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा इंग्लैंड की पारी के आखिरी ओवर में बेन स्टोक्स के बल्ले से लगकर ओवर थ्रो जाना. उस ओवर में जब इंग्लैंड को 3 गेंदों में 9 रन की जरूरत थी, तो बेन स्टोक्स तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट की फुल टॉस गेंद को डीप मिडविकेट की तरफ खेलकर दो रन के लिए भागे. मगर मार्टिन गुप्टिल का स्ट्राइकर एंड की तरफ फेंका गया थ्रो स्टोक्स के बैट से टकराकर ओवरथ्रो के लिए बाउंड्री के बाहर चला गया और इंग्लैंड को इस गेंद पर कुल छह रन मिल गए. इन छह रनों के चलते मैच आगे चलकर सुपर ओवर में पहुंचा.
उस मैच में मैदानी अंपायर रहे कुमार धर्मसेना ने बाद में स्वीकार किया था कि वर्ल्ड कप फाइनल में इंग्लैंड को चार देना उनकी गलती थी और उन्हें एक रन देना चाहिए था. धर्मसेना ने श्रीलंका के अखबार संडे टाइम्स से कहा था, 'अब टीवी पर रीप्ले देखने के बाद मैं स्वीकार करता हूं कि फैसला करने में गलती हुई थी. लेकिन मैदान पर टीवी रीप्ले देखने की सहूलियत नहीं थी और मुझे अपने फैसले पर कभी मलाल नहीं होगा.'
aajtak.in