भारत ने साउथ अफ्रीका को 2-1 से हराकर सीरीज जीत ली है, लेकिन इस जीत में भी कई कमियां है जिनपर काम करना अभी बाकी है. सबसे बड़ा सवाल टीम चयन को लेकर है. शुभमन गिल की गैरमौजूदगी में केएल राहुल ने अंतरिम कप्तान के रूप में बल्ले से, विकेट के पीछे, और कप्तानी में अच्छा काम किया. लेकिन कुछ मुद्दे बने रहे. भारत ने ODI सीरीज़ जीतने के कुछ ही क्षणों बाद टीम की आलोचना करना शायद सही न लगे, लेकिन अगर गलतियों की ओर ध्यान न दिलाया जाए, तो यह अनुचित होगा.
केएल राहुल की बल्लेबाज़ी क्रम के साथ खिलवाड़
रांची में, राहुल को छठे नंबर पर भेजना और वाशिंगटन सुंदर को 5 पर खिलाना बिल्कुल समझ में नहीं आया. अक्षर पटेल के समान विकल्प के रूप में सुंदर को प्रमोट किया गया था. लेकिन याद रखना होगा कि अक्षर को उनकी स्पिन क्षमता के कारण प्रमोट किया गया था. वाशिंगटन के पास वह गुणवत्ता नहीं है.
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ऋषभ पंत या नीतीश रेड्डी क्यों नहीं?
गंभीर दो ऑलराउंडर खिलाना चाहते थे. लेकिन वाशिंगटन ने दो मैचों में सिर्फ 7 ओवर फेंके. इसे ऑलराउंडर कहना मुश्किल है. तुलना में, रविंद्र जडेजा ने 16 ओवर फेंके. यह सवाल उठता है कि ऋषभ पंत या नीतीश रेड्डी में से किसी को क्यों नहीं खिलाया गया?
पंत सफेद गेंद क्रिकेट में वाशिंगटन से कहीं बेहतर मध्यक्रम बल्लेबाज़ हैं, और वह बैकअप विकेटकीपर भी हैं. यदि गंभीर दाएं-बाएं कॉम्बिनेशन जारी रखना चाहते थे, तो पंत का चयन किया जा सकता था.
छठे गेंदबाज़ के प्रति जुनून
गंभीर 5 से अधिक गेंदबाज़ी विकल्प चाहते हैं. यही कारण था कि वॉशिंगटन को खिलाया गया. वह इसीलिए थे कि अगर किसी को मुश्किल हो या उनके अनुकूल स्थितियां हों तो कुछ ओवर डाल सकें. अगर वाशिंगटन यह करते, तो कुछ हद तक समझ में आता, लेकिन तिलक वर्मा को इस भूमिका के लिए चुनना बिल्कुल भी समझदारी नहीं थी.
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भारत खेला और जीता, लेकिन उसने क्या सीखा?
रोहित, कोहली और राहुल पहले की तरह अच्छा खेले. जायसवाल और हर्षित राणा, जिनमें भरपूर प्रतिभा है, चमके. प्रसिद्ध कृष्णा पहले की तरह अनिश्चित रहे. ऋतुराज गायकवाड़ ने अपनी पोज़ीशन से बाहर खेलते हुए भी अपना पहला ODI शतक जमाया. हर्षित और गायकवाड़ शायद एकमात्र सकारात्मक पहलू थे.
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