इस घटना ने एक बड़ा सवाल उठाया है कि कब ऐसा दिन आएगा जब किसी मस्जिद का नाम एक महिला मुस्लिम शासक के नाम पर रखा जाएगा. क्या हमेशा पुरुषों के नाम ही मस्जिदें बनी रहेंगी?