Kamada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के घर में धन और समृद्धि का संचार होता है. हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत मनाया जाता है. यह व्रत पुण्य फल देने वाला और सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है. तो आइए जानते हैं कि कामदा एकादशी की पढ़ें ये कथा.
कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat katha)
कहा जाता है कि पुण्डरीक नामक नागों का एक राज्य था. यह राज्य बहुत वैभवशाली और संपन्न था. इस राज्य में अप्सराएं, गन्धर्व और किन्नर रहा करते थे. वहां ललिता नाम की एक अतिसुन्दर अपसरा भी रहती थी. उसका पति ललित भी वहीं रहता था. ललित नाग दरबार में गाना गाता था और अपना नृत्य दिखाकर सबका मनोरंजन करता था. इनका आपस में बहुत प्रेम था. राजा पुण्डरीक ने एक बार ललित को गाना गाने और नृत्य करने का आदेश दिया. ललित नृत्य करते हुए और गाना गाते हुए अपनी पत्नी ललिता को याद करने लगा, जिससे उसके नृत्य और गाने में भूल हो गई. सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता उपस्थित थे, जिन्होंने पुण्डरीक नामक नाग राजा को ललित की गलती के बारे में बता दिया था. इस बात से राजा पुण्डरीक ने नाराज होकर ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया.
इसके बाद ललित एक अयंत बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया. उसकी अप्सरा पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई. ललिता अपने पति की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढने लगी. तब एक मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. ललिता ने मुनि के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पुण्य लाभ अपने पति को दे दिया. व्रत की शक्ति से ललित को अपने राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया.
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