ऐसी मान्यता है कि शनिदेव को महादेव ने न्याय का देवता बनाया और शनिदेव ही कलियुग में मनुष्यों के पापों का हिसाब करते हैं. उन्हें उनके पापों के हिसाब से सजा भी देते हैं. लेकिन ज्योतिषी कहते हैं कि पाप कर्मों से तौबा कर लेने और फिर शनिदेव के मंत्रों के जाप से उसे प्रसन्न होते हैं. शनि के क्रोध से कोई नहीं बचा है. शनि की टेढ़ी नजर जिस इंसान पर पड़ती है उसका जीवन कष्टों से भर जाता है. आइए आपको बताते हैं कि क्यों कुपित होते हैं शनि और क्या है शनि के क्रोध का असली कारण.
शनि के बारे में बुरा वही लोग कहते हैं जो उनसे पीड़ित हैं. लेकिन वो ये नहीं समझते कि शनि उन्हीं लोगों को पीड़ा देते हैं. जिन्होंने अपने इस जीवन या उससे पहले के जीवन में बुरे कर्म किए होते हैं. ऐसे में शनि आपके ही कर्मों का फल देते हैं. शनि धन प्राप्ति का कारक हैं. ऐसे में धन नौकरी से धन के लिए कैसे शनि को प्रसन्न करें आइए जानते हैं.
शनि कृपा से बेहतर होगा रोजगार-
शनिवार को पहले पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
इसके बाद पीपल की कम से कम तीन बार परिक्रमा करें
परिक्रमा के बाद शनिदेव के तांत्रिक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें
मंत्र होगा- "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
फिर किसी निर्धन व्यक्ति को सिक्कों का दान करें
व्यवसाय को बेहतर बनाएंगे शनि-
शनिवार को सूर्योदय के पूर्व पीपल के पेड़ में जल डालें
शाम को उसी पेड़ के नीचे एक बड़ा और एक मुखी दीपक जलाएं
वहीं पर खड़े होकर हनुमान चालीसा का पाठ करें
पाठ के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन करवाएं
इस दिन स्वयं भी सात्विक रहें
दान कर्म से प्रसन्न होते हैं शनि-
सब हेडर- शनि दान से जुड़ी वस्तुएं
चने, काले कपड़े, जामुन के फ़ल, काली उड़द
काली गाय, गोमेद, काले जूते, तिल, भैंस, लोहा
तेल, नीलम, कस्तूरी आदि का दान शनि से जुड़े हैं