भगवान गणेश के आने और विराजने के साथ ही गणेशोत्सव आरंभ हो चुका है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को धनधान्य ज्ञान और विज्ञान के दाता गणपति आगमन स्थापन हुआ है. अब वे हम सबके साथ भाद्रपद एकादशी तक रहेंगे. एक सप्ताह का गौरीनंदन का यह साथ अनंत कृपाओं को बरसाने वाला है.
आज भाद्रपद शुक्लपक्ष पंचमी है. गणेशोत्सव का द्वितीय दिवस है. इस दिन श्रीगणेश के लंबोदर स्वरूप की पूजा अर्चना आराधना किया जाना मंगलकारी है. आदिशक्ति पराम्बा मां पार्वती ने अपने उबटन से भगवान गणेश को बनाया सुंदर लंबोदर छवि से अति प्रसन्न मां के वात्सल्यपूर्ण संकल्प से उस स्वरूप में आत्मतत्व आया.
इस तरह देवों में अग्रपूज्य विघ्न विनाशक का अवतरण हुआ. अत्यंत मोहक लंबोदर छवि का पूजन-अर्चन आज संमस्त इच्छाओं को पूर्णता प्रदान करने वाला है. शिव-पार्वती की कृपा से भक्तवत्सल गणेश सब पर आशीष लुटाते हैं.
यह गणेश का प्राथमिक रूप है. इसी रूप में उन्होंने पार्वती की रक्षा में महादेव से युद्ध कर मातृशक्ति जगत्जननी के प्रभाव को बल प्रदान किया. शिव और गणेश का यह घमासान अद्भुत अकल्पनीय और समस्त ब्रह्मांड को विस्मय से भर देने वाला रहा.
लंबोदर समस्त संसार को उदर में समाए से प्रतीत होते हैं. यह लौकिक जगत उन्हीं के संरक्षण में संरक्षित सवंर्धित और फलित प्रतीत होता है. यह बालरूप माताओं पर विशेष कृपा बरसाने वाला है. उनकी संतति और मातृत्व को श्रेष्ठता देने वाला है.