मानव का जीवन मन से प्रभावित होता और चलता है. मन मुख्य रूप से शरीर के चक्रों से प्रभावित होता है, जो कुल मिलाकर सात हैं. दुनिया में तीन चीजें ऐसी हैं जो चक्रों पर सीधा असर डालती हैं- रंग, सुगंध और मंत्र. हर व्यक्ति के मन की अलग अलग अवस्था होती है और मन की अवस्था के अनुसार अलग सुगंध का प्रयोग किया जाए तो मन की जटिलताएं दूर की जा सकती हैं.
सुगंध के सही प्रयोग से एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है. स्नायु तंत्र और अवसाद जैसी बीमारियां दूर की जा सकती हैं. सुगंध हमारे काम करने और विचार की क्षमता पर असर डालता है. इसीलिए पूजा और उपासना के दौरान इसका व्यापक प्रयोग होता है.
सुगंध के प्रयोग के नियम और सावधनियां क्या हैं?
- जहां तक हो सके प्राकृतिक और फूलों की सुगंध का प्रयोग करें.
- पढ़ने के स्थान, काम करने की जगह और पूजा स्थान पर सुगंध का प्रयोग जरूर करें.
- सुगंध जितनी हल्की होगी, उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा.
इन बातों का भी रखें ख्याल
- अगर शरीर पर सुगंध का प्रयोग करना है तो इसे कलाई, गर्दन के पीछे और नाभि पर लगाएं
- जल में भी सुगंध डालकर स्नान करने से अद्भुत लाभ हो सकता है
- विद्यार्थियों और अविवाहितों को केवल चन्दन की सुगंध का प्रयोग करना चाहिए
किस समस्या के लिए किस सुगंध का प्रयोग करें?
- एकाग्रता बढ़ाने के लिए कार्यस्थल पर चन्दन की धूपबत्ती का प्रयोग करें
- मानसिक तनाव दूर करने के लिए चन्दन की सुगन्ध स्नान के बाद लगाएं
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए गुलाब या मोगरे की सुगंध का प्रयोग करें
- अवसाद दूर करने के लिए अधिक से अधिक सुगंध का प्रयोग करें
- फूलों की सुगंध हो तो और भी ज्यादा उत्तम होगा
- आकर्षण बढ़ाने के लिए लैवेंडर की सुगंध का प्रयोग करें
- देवकार्यों के लिए या पूजा उपासना के लिए गुग्गल की सुगंध का प्रयोग करें