पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा की तरह महाराष्ट्र में होने वाली गणेश चतुर्थी भी काफी लोकप्रिय होने लगी है. गणेश चतुर्थी का उत्सव करीब दस दिनों तक चलता है, जिसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है. उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर को है और भगवान गणेश की भव्य व आकर्षक प्रतिमा बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
ज्यादातर मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गए हैं. मूर्तियों पर कलर करने काम शुरू हो चुका है. गणेश चतुर्थी आने से पहले ही मूर्तियां तैयार हो जाएंगी. तस्वीरों में देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मूर्तियों का आकार कितना बड़ा है.
बता दें कि मूर्ति बनाने के लिए ये मूर्तिकार अच्छी किस्म की मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर मूर्तिककार कोलकाता से लाई गई मिट्टी का ही इस्तेमाल करते हैं.
पहले जहां ब्रश से मूर्तियों पर पेंटिंग की जाती थी, वहीं अब कई मूर्तिकार स्प्रे पेंट का भी इस्तेमाल करने लगे हैं. कलाकारों के अनुसार मूर्ति निर्माण में पेंटिंग की सबसे अहम भूमिका होती है.
मूर्तियों पर पेंटिंग करते वक्त कलाकार काफी ज्यादा मेहनत करते हैं. मूर्तियों पर रंग-रोगन करते वक्त मूर्तिकारों को काफी बारीकी से काम करना पड़ता है.