बद्रीनाथ मंदिर-
करीब 3133 मीटर ऊंची चोटी पर बने बद्रीनाथ मंदिर का
इतिहास काफी पुराना है. ये मुख्य रूप से भगवान विष्णु का मंदिर है. यहां पर
नर और नारायण की उपासना की जाती है. ये मंदिर तीन भागों में विभाजित है-
गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामंडप. फिलहाल भगवान बद्रीनाथ के कपाट भक्तों के
लिए भी खुल गए हैं. अब भक्त अपने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर सकते हैं.
तप्त कुंड-
बद्रीनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर तप्त कुंड बना हुआ है. अलकनंदा नदी के किनारे बने इस कुंड का प्राकृतिक पानी करीब 45 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहता है, जहां श्राद्धालु आस्था की डुबकी लेते हैं. ऐसा माना जाता है कि कुंड के पानी में औषधीय गुण होते हैं.
भीम पुल-
बद्रीनाथ से थोड़ी ही दूरी पर मौजूद भीम पुल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पांडवों के युग से जुड़ी है. सरस्वती नदी के ऊपर बने इस प्राकृतिक पुल का निर्माता भीम को बताया जाता है. यह पुल दो पहाड़ों के बीच से निकलती नदी के ऊपर बना है.
व्यास गुफा-
यहां मौजूद सबसे खास धार्मिक स्थलों में व्यास गुफा भी शामिल है. ऐसा बताया जाता है कि महर्षि व्यास ने भगवान गणेश की मदद लेकर इसी गुफा में महाभारत लिखी थी. इस गुफा में व्यास ने सूत्रास और वेद जैसे और भी कई पुराणों का निर्माण किया है.